कुछ दिनों पहले लल्लनटॉप के खास शो ‘बरगद’ में एडिटर सौरभ द्विवेदी के साथ ‘अक्स’, ‘शूल’ और ‘लापतागंज’ जैसी फिल्मों और टीवी शोज़ से फेम हासिल कर चुके एक्टर विनीत कुमार ने बैठक जमाई. जहां विनीत कुमार ने अपने बचपन से लेकर जवानी, राजनीति से लेकर अभिनय और हिंदी सिनेमा से लेकर तमिल सिनेमा तक सब पर खूब तफसील से बात की. बातों के दौरान उन्होंने कई रोचक किस्से साझा किए. उन्हीं किस्सों में एक आपके साथ साझा कर रहे हैं.
साल 1977. चुनावी वर्ष था. एक दिन अखबार में खबर छपी कि विनीत कुमार चुनाव लड़ेंगे. खबर पढ़ लोगों के विनीत के पास बधाई के फ़ोन पहुंचने लगे. इधर विनीत खुद इस खबर से अनजान थे कि वो चुनाव लड़ने वाले हैं. पता लगवाया आखिर किसने ये खबर छपवा दी. मालूम पड़ा विनीत के पड़ोस में रहने वाले नेता जी ने खबर छपवाई है. मिलने पहुंचे और पूछा भैया काहे अफ़वाह फैला रहे हो. नेता जी बोले “अरे क्या हो गया एक्टिंग वहां करते रहो ,यहां राजनीती कर लो”. विनीत घर गये और अपनी मां से इस बारे में बात की. मां ने कहा कि तुम भावुक और गुस्सैल किस्म के इंसान हो. राजनीति तुम्हारे जैसे इंसान की जगह नहीं है. विनीत को भी मां की बात सही लगी और उन्होंने नेता जी को साफ़ मना कर दिया.

साल 2009. पटना से शेखर सुमन और शत्रुघ्न सिन्हा चुनाव लड़ रहे थे. इन दोनों फ़िल्मी हस्तियों के विरूद्ध विनीत को एक बार फ़िर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव मिला. पूरा माज़रा विनीत ने हमें इंटरव्यू के दौरान बताया,
“एक तरफ़ शेखर सुमन खड़े थे. एक तरफ़ शत्रु जी खड़े थे. तब हमसे भी कहा गया चुनाव लड़ने को. हम बोले बड़े-बड़े लोग हैं यार ये, हम क्या करेंगे. तो वो बोला वोट काटेगा ना रे तुम. तो वोट कटवा बनाने का विचार था. पॉपुलर तो हम भी हैं उस इलाके में. तो सत्ता में पहुंच ऐसे ही होती है. कि आपको इशारा होता है, आप लपक लेते हो. तो वो लपकना जो है, मेरे लिए संभव नहीं था. हमने कहा नहीं भाई, हम नहीं लपक सकते हैं. जो कर रहे हैं वहीं करें. और मां जो बोलती हैं, ठीक ही बोलती हैं कि कभी तुम भावुक हो जाते हो, कभी तुम गुस्से में आ जाते हो. तो अपना एक काम करो, सही से करोगे.”
ये स्टोरी दी लल्लनटॉप में इंटर्नशिप कर रहे शुभम ने लिखी है.
विडियो: विक्रमारकुडू विलेन को बिहार में वोट कटवा कौन बना रहा था ?