क्या कोई यह कल्पना कर सकता है कि जिस क्रिकेटर के करियर का आगाज़ शून्य के साथ हुआ हो, वह दशक बीतते-बीतते रनों के ऐसे पहाड़ पर बैठा होगा, जहां तक पहुंच पाना किसी दूसरे क्रिकेटर के लिए सपने देखने जैसा होगा. क्या कोई सोच सकता है कि जो क्रिकेटर अपने पहले करियर के पहले 79 वनडे मैचों में तीन अंकों में अपना स्कोर देखने को तरस गया हो, वो अगले 4 सालों में शतकों के शिखर पर बैठा होगा? लेकिन कहते हैं ना कि क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है, उसी तरह एक क्रिकेटर का करियर उससे भी ज्यादा अनिश्चितताओं से भरा होता है.
इस कहानी की शुरूआत होती है 1989 की सर्दियों से. उस वक्त एक तरफ देश के प्रधानमंत्री राजीव गांधी लोकसभा चुनावों में विपक्षी गठबंधन की पेस बैटरी के सामने हलकान हो रहे थे, वहीं दूसरी तरफ देश की क्रिकेट टीम पाकिस्तान की धरती पर पाकिस्तानी पेस बैटरी (इमरान खान, वसीम अकरम और वकार यूनुस) का सामना कर रही थी.
उस वक्त भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी BCCI की चयन समिति के अध्यक्ष हुआ करते थे राज सिंह डूंगरपुर. क्रिकेटरों के बीच राज भाई के नाम से लोकप्रिय. उन्होंने जब पाकिस्तान जाने वाली भारतीय टीम घोषित की, तो उसमें एक नाम को देखकर सबको बहुत आश्चर्य हुआ. वह नाम था तकरीबन साढ़े सोलह साल के लड़के सचिन तेंदुलकर का. सबको लगा कि पाकिस्तान के इतने खूंखार खिलाड़ियों के सामने इस ‘बच्चे’ को भेजने का मतलब होगा, किसी कसाई के सामने मेमने को भेज देना. लेकिन राज भाई अड़े रहे. भारतीय टीम पाकिस्तान के दौरे पर गई. कप्तान श्रीकांत को छोड़कर सबने जोर लगाया, और चारों टैस्ट मैच ड्रॉ पर खत्म हुए.

उसके बाद शुरू हुई वनडे सीरीज. 16 दिसंबर को पहला वनडे मैच बारिश और बैड लाइट के कारण धुल गया. फिर आया 18 दिसंबर. हिंदी भाषी भारतीयों के नजरिए से कहें तो खरमास का महीना, जब कोई शुभ काम शुरू नही किया जाता. लेकिन इसी महीने में राज भाई के ब्लू आईड ब्वॉय सचिन तेंदुलकर अपना पहला वनडे मैच खेलने उतरे. गुजरांवाला शहर का क्रिकेट स्टेडियम था. बारिश और बैड लाइट ने एक बार फिर व्यवधान डाला. लेकिन दिन में एक बार मौसम साफ हुआ, तो अंपायरों ने फील्ड का मुआयना किया. तय हुआ कि मैच 50-50 ओवरों के बजाए 16-16 ओवर का होगा.
टाॅस हुआ. भारतीय कप्तान कृष्णामाचारी श्रीकांत ने जीत लिया, और पहले फिल्डिंग करने का फैसला किया. इस मैच में भारत की ओर से कपिलदेव नही खेल रहे थे. लेकिन तीन नए खिलाड़ियों ने डेब्यू किया- दो पेस बाॅलर विवेक राजदान और सलिल अंकोला और एक बैट्समैन सचिन तेंदुलकर.
पाकिस्तान की बैटिंग शुरू हुई. दोनों ओपनर मंसूर अख्तर और रमीज राजा ने संभलकर खेलना शुरू किया. लेकिन एक तो कम ओवरों का दबाव और दूसरी तरफ मनोज प्रभाकर की अगुवाई में भारत के यंग मीडियम पेस बाॅलर. धड़ाधड़ पाकिस्तान के विकेट गिरने लगे. 34 रन के स्कोर तक रमीज राजा, सलीम मलिक और पिंच हिटर वसीम अकरम, तीनों पैवेलियन लौट चुके थे. लेकिन फिर मंसूर अख्तर का साथ देने आए युवा खिलाड़ी सईद अनवर. एक तरफ से रुक-रुककर विकेट गिरते रहे, लेकिन सईद अनवर धुआंधार बल्लेबाजी करते रहे. 16 ओवरों के बाद पाकिस्तान का स्कोर रहा 9 विकेट के नुकसान पर 87 रन. इसमें सईद अनवर का स्कोर था 32 गेंदों पर 42 रन नाॅट आउट.
इसके बाद इंडिया की बैटिंग शुरू हुई. कप्तान श्रीकांत के साथ रमन लांबा ने पारी शुरू की. श्रीकांत को इस पूरे दौरे पर वसीम अकरम ने बहुत परेशान किया था. पूरी टेस्ट सीरीज में वो फेल रहे थे. इस मैच में भी ज्यादा नही चले. केवल 17 रन बनाकर वकार यूनुस की बाॅल पर क्लीन बोल्ड हो गए. 34 रन तक पहुंचते-पहुंचते रमन लांबा और नवजोत सिंह सिद्धू भी पैवेलियन लौट चुके थे. लेकिन तभी मोहम्मद अजहरुद्दीन का साथ देने के लिए सचिन तेंदुलकर की मैदान में एंट्री हुई. लोगों को भी सचिन से उम्मीदें थीं, क्योंकि अभी हफ्ता भी नही बीता था जब सचिन ने नवजोत सिंह सिद्धू के साथ मिलकर सियालकोट टेस्ट ड्रा कराया था. लेकिन लोगों की उम्मीदें जल्दी ही टूट गईं क्योंकि डबल डब्ल्यू ने सचिन तेंदुलकर की पहली वनडे इनिंग को 2 गेंदों में ही खत्म कर दिया था. डबल डब्ल्यू मतलब वकार यूनुस और वसीम अकरम. वकार की इन स्विंगर पर सचिन ने बल्ला लगाया, और बाॅल सीधे वसीम अकरम के हाथ में चली गई. सचिन तेंदुलकर के वनडे करियर का आगाज़ अच्छा नही रहा. वैसे 1 महीने पहले सचिन के टेस्ट करियर का आगाज़ भी अच्छा नही रहा था, जब वह कराची के पहले टेस्ट में केवल 15 रन बनाकर वकार यूनुस की ही बाॅल पर क्लीन बोल्ड हो गए थे.

मैच का क्या हुआ?
बहरहाल इस वनडे मैच पर लौटते हैं, जहां सचिन को आउट करने के बाद अगले ही ओवर में वकार यूनुस ने रवि शास्री को भी आउट कर दिया, और मैच पाकिस्तान के पक्ष में झुक गया. और जब 16 ओवर खत्म हुए, तब स्कोर बोर्ड पर इंडिया का स्कोर था- 9 विकेट के नुकसान पर 80 रन. भारत यह मैच 7 रन से हार चुका था. सईद अनवर को मैन ऑफ द मैच घोषित किया गया. इस मैच के बाद पाकिस्तान दौरे के बचे हुए दोनों वनडे मैचों में सचिन तेंदुलकर को मौका नही दिया गया. लेकिन यह दौरा खत्म हुआ. उसके बाद राज भाई के सपनों का क्रिकेट दशक शुरू हो गया. 90 का दशक जिसमें सचिन समेत युवा खिलाड़ियों के लिए मौकों की कमी नही थी. राज भाई ने अजहरुद्दीन से पूछा,
“मियां, कैप्टन बनोगे?”
और अज़हर को कैप्टन बना भी दिया. फिर पूरे दशक अज़हर की कप्तानी में सचिन तेंदुलकर को भरपूर मौके मिलते चले गए, और उन्होंने अपने चयन को सही साबित करके दिखाया. सचिन की परफॉर्मेंस ने राज भाई के उन आलोचकों का भी मुंह बंद करवा दिया, जो सचिन को पाकिस्तान भेजने के उनके निर्णय की मुखालफत कर रहे थे.

23 साल बाद 2012 में जब सचिन ने वनडे क्रिकेट को अलविदा कहा, तब तक रिकॉर्ड बुक में उनके नाम 18,426 रन और 49 शतक दर्ज हो चुके थे. और आज भी इस रिकॉर्ड के आसपास कोई पहुंच नहीं पाया है.
किसने सोचा था कि जीरो से शुरू करने वाले इस क्रिकेटर के नाम इतने रिकॉर्ड्स होंगे कि अलग से एक रिकॉर्ड बुक की आवश्यकता महसूस होने लगेगी? वनडे क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन (18426) और शतक (49), टैस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन (15921) और शतक (51) – ये सब उपलब्धियां सचिन तेंदुलकर के खाते में दर्ज हैं. लेकिन सचिन तेंदुलकर के कॅरियर की शुरूआत में किसने कल्पना की होगी कि वे भारतीय अर्थव्यवस्था के मुक्त बाजार की दुनिया (an era of free market economy) में प्रवेश के दशक में विज्ञापन की दुनिया के सबसे विश्वसनीय ब्रांड एंबेसडर साबित होंगे? लेकिन यह सब हुआ और सचिन तेंदुलकर अपने दौर में भारत के सबसे बड़े आइकाॅन के तौर पर स्थापित हो गए.
विडियो : एडिलेड में भारत-ऑस्ट्रेलिया के पहले टेस्ट के पहले दिन का सबसे बड़ा ड्रामा तो ये था.