1970/71 में पहली बार अजीत वाडेकर की कप्तानी में टीम इंडिया ने वेस्टइंडीज़ को सीरीज़ में हराया था. इस जीत के बाद सबने कहा, ये सिर्फ तुक्का है. लोगों की बात सच भी साबित हुई. 1974/75 और 75/76 में हमें फिर से वेस्टइंडीज़ से हार मिली.
लेकिन 78/79 में हमने वेस्टइंडीज़ को हराकर बता दिया कि
‘ये नया इंडिया है.’
1983 की विश्वकप जीत कोई नहीं भुला सकता. लेकिन इस जीत के बाद वेस्टइंडीज़ का गुस्सा सातवें आसमान पर था. उस एक हार के बाद वेस्टइंडीज़ ने ये ठान लिया कि भारत को सबक सिखाना है. वेस्टइंडीज़ के सारे दिग्गज यानी लॉयड, रिचर्ड्स, होल्डिंग, रॉबर्ट्स, मार्शल भारी गुस्से में थे और भारत से बदला लेना चाहते थे.
विश्वकप के चंद महीनों बाद ही उन्हें बदला लेने का मौका भी मिल गया. वो छह टेस्ट की सीरीज़ खेलने भारत आए. दौरे की शुरुआत हुई कानपुर से. गुस्साए कैरेबियन खिलाड़ियों ने भारत को पारी और 83 रनों से रौंद दिया. इसके बाद दिल्ली टेस्ट में थोड़ी बहुत इज़्ज़त बचाई और मैच ड्रॉ हो गया.
अहमदाबाद आते-आते फिर से वेस्टइंडीज़ की टीम हावी हुई और सीरीज़ में 2-0 की बढ़त बना ली. अब सीरीज़ का चौथा टेस्ट खेलने के लिए टीमें बॉम्बे पहुंच गईं. ये कहानी भी उसी बॉम्बे टेस्ट की है.
इंडिया-वेस्टइंडीज़ बॉम्बे टेस्ट 1983:
टेस्ट की शुरुआत हुई. भारत ने पहली पारी में 463 रन बोर्ड पर टांग दिए. दिलीप वेंगसरकर शानदार फॉर्म में थे और उन्होंने वेस्टइंडीज़ के तगड़े बोलिंग अटैक के सामने शतक बनाया था. अब बारी आई वेस्टइंडीज़ की. पारी की शुरुआत हुई. गॉर्डन ग्रिनेज सिर्फ 13 के स्कोर पर शिवलाल यादव का शिकार बन गए. बाद में इस पारी में गेंदबाज़ी के हीरो शिवलाल यादव ही रहे.
ग्रिनेज के आउट होने के बाद मैदान पर उतरे रिची रिचर्डसन. रिचर्डसन का ये डेब्यू मैच था. लेकिन शिवलाल को इससे फर्क नहीं पड़ने वाला था. दूसरी गेंद पर ही उन्होंने रिची को LBW आउट करवाकर वेस्टइंडीज़ को दूसरा झटका दे दिया.

अब क्रीज़ पर मौजूद थे ओपनर डेस्मंड हेन्स और सर विवियन रिचर्ड्स. दोनों ने संभलकर बैटिंग की टीम को मुश्किल से निकाला और 100 के पार पहुंचाया. हेन्स ने जल्द ही अपना अर्धशतक भी पूरा कर लिया.
कपिल की गेंद पर हेन्स से हो गई गलती:
तीसरे दिन का खेल खत्म होने की तरफ था. कप्तान कपिल देव ने मोर्चा संभाले रखा. वेस्टइंडीज़ का स्कोर 128 हुआ था. कपिल देव हेन्स को गेंदबाज़ी करने के लिए दौड़े. गेंद फेंकी और उसने हेन्स के बल्ले का भीतरी किनारा लिया और पैड से टकराते हुए स्टम्प्स की तरफ बढ़ने लगी. हेन्स गेंद को देख रहे थे कि अचानक से उन्होंने विकेटों में जाती गेंद को हाथ से रोक दिया. बस ऐसा करते ही खुद हेन्स भी समझ गए कि उनसे बहुत बड़ी गलती हो गई है. कपिल देव समेत पूरी टीम ने ज़ोरदार अपील की और अंपायर ने तुरंत उंगली उठा दी. हेन्स को हेन्डल्ड दी बॉल आउट दे दिया गया.

उस वक्त ये टर्म क्रिकेट में बहुत ज़्यादा पुराना नहीं था. क्योंकि हेन्स क्रिकेट हिस्ट्री के सिर्फ चौथे ऐसे बल्लेबाज़ थे. जो गेंद को हाथ से रोकते हुए आउट हुए थे.
हालांकि हेन्स के विकेट से मैच पर बहुत ज़्यादा असर नहीं पड़ा. लेकिन इस मैच का ये किस्सा हमेशा याद किया जाता है. हेन्स के विकेट के बाद विवियन रिचर्ड्स ने शानदार शतक पूरा किया. शिवलाल यादव ने इस पारी में कुल पांच विकेट चटकाए जिससे वेस्टइंडीज़ की टीम 393 रनों पर सिमट गई.
भारत को पहली पारी में अहम 70 रन की बढ़त मिली. भारत ने 173 रन बनाकर अपनी दूसरी पारी नतीजा निकालने की कोशिश में घोषित कर दी. लेकिन वेस्टइंडीज़ टीम दूसरी पारी में 4 विकेट पर 104 रन बनाकर मैच ड्रॉ कराने में सफल रही.
इस मैच के बाद वेस्टइंडीज़ ने कोलकाता टेस्ट जीतकर सीरीज़ भी जीत ली और आखिरी चेन्नई टेस्ट ड्रॉ पर खत्म हुआ.
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