# रिकी पॉन्टिंग को रुलाने वाला दिल्ली के पटेल नगर का लौंडा
# कोहली के साथ ट्रायल देने वाला लंबू, जो अंडर-19 वर्ल्ड कप नहीं खेल पाया, क्योंकि उसे ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट मैच खेलने थे.
# टीम इंडिया का वर्कहॉर्स, जो बिना थके दिन के 20 ओवर फेंक सकता है.
# सबसे धीमे 300 विकेट लेने वाला बोलर, जो बिना ख़ौफ पैदा किए शिकार कर लेता है.
ये सारी बातें शुरू हुईं साल 2008 में. इंडियन टीम ऑस्ट्रेलिया टूर पर थी. चार मैचों की सीरीज के पहले दो मैच हारने के बाद अब बारी पर्थ टेस्ट की थी. इंडियन कैप्टन अनिल कुंबले ने टॉस जीता और पहले बैटिंग का फैसला कर लिया. द्रविड़ की 93 रन की पारी की बदौलत भारत ने 330 बनाए. जवाब में ऑस्ट्रेलिया 212 पर सिमट गई. आरपी सिंह के खाते में चार विकेट आए. दूसरी पारी में भारत ने 294 बनाए और ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए 413 का लक्ष्य मिला.
इरफान पठान ने क्रिस रॉजर्स और फिल जैक्स को सस्ते में निपटा दिया. सिर्फ 21 पर रॉजर्स के निपटने के बाद क्रीज पर आए रिकी पॉन्टिंग. उनके आने के थोड़ी ही देर बाद जैक्स भी वापस हो लिए. जैक्स के जाते ही कैप्टन कुंबले ने सिर्फ 19 साल के ईशांत शर्मा को गेंद थमा दी. ईशांत ने ही पहली पारी में पॉन्टिंग को आउट किया था. ऐसे में उन्हें लाना छोटा सा ही सही, मास्टरस्ट्रोक था.
# भटकी लाइन और लेंथ
शर्मा की पहली ही गेंद लेग स्टंप के बहुत ज्यादा बाहर थी. दूसरी गेंद फिर लेग स्टंप पर थी, इस पर पॉन्टिंग ने दो रन ले लिए. अंत में जाकर शर्मा अपनी तीसरी गेंद लाइन पर रख पाए. हालांकि ऑफ स्टंप की इस गेंद की लेंथ के बारे में ऐसा नहीं कह सकते. यह बहुत बुरी तो नहीं थी लेकिन पॉन्टिंग ने इसपर अच्छा शॉट जमाया और थोड़ी हेल्प मिसफील्ड से हुई. इस गेंद पर तीन रन आ गए. अगली तीन गेंदें माइक हसी ने खेली.
पहले ओवर में पांच रन देकर गए शर्मा लौटे. और अगले ओवर से उन्होंने पॉन्टिंग को जो परेशान करना शुरू किया, कि आज तक उसके क़िस्से सुनाए जाते हैं. तीसरे दिन का खेल खत्म हुआ तो ईशांत ने तीन ओवर फेंके थे. चौथे दिन कुंबले ने ईशांत को जल्दी गेंद थमा दी. दिन का तीसरा और इस पारी में ईशांत का कुल छठा ओवर. छह में से पांच गेंदों पर उन्होंने रिकी पॉन्टिंग के छक्के छुड़ा दिए.
पॉन्टिंग हर गेंद पर विकेट देते-देते बचे. लेकिन बचते रहे. विकेट नहीं मिला. शर्मा ने सात ओवर फेंके. पॉन्टिंग को इतना परेशान किया कि यह स्पेल दंतकथाओं में दर्ज हो गया. लेकिन विकेट…. नहीं मिल रहा था. दिन का पहला सेशन खत्म होने में आधा घंटा बाकी था. माइक हसी और रिकी पॉन्टिंग जम चुके थे. ऐसे में कैप्टन कुंबले और सहवाग ने ईशांत को बुलाया और पूछा- और करेगा? दरअसल सहवाग ने कुंबले को यह सलाह दी थी कि पॉन्टिंग के सामने ईशांत से एक ओवर और कराया जाए.
# हां, मैं करूंगा
लेकिन कुंबले अपने युवा पेसर पर बहुत लोड नहीं डालना चाहते थे. ऐसे में उन्होंने उससे पहले पूछना सही समझा. तो कुंबले ने पूछा. जवाब में ईशांत ने बिना हिचके कहा,
‘हां, मैं करूंगा.’
कट टू ईशांत के स्पेल के आठवें ओवर की पहली गेंद. हल्की सी आगे पड़ी. जम चुके पॉन्टिंग ने इसे आगे आकर पुश करना चाहा. लेकिन गेंद बल्ले को चूमती हुई स्लिप में खड़े राहुल द्रविड़ के हाथों में चली गई. ईशांत शर्मा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. मेहनत रंग लाई. यह इस पारी में ईशांत का इकलौता विकेट था.
यानी आंकड़े देखेंगे तो लगेगा कि एक ही विकेट तो है, क्या हल्ला मचाना. लेकिन इस विकेट के पीछे ईशांत ने जो मेहनत की. जो कमाल की गेंदबाजी की, ये तभी जान पाएंगे जब आपने गेंदबाजी करते हुए देखा होगा. ईशांत 300 टेस्ट विकेट ले चुके हैं. आंकड़े कहते हैं कि वह सबसे धीमी गति से यहां तक पहुंचने वाले बोलर हैं.
लेकिन इन 13 सालों में जाने कितने बोलर आए और चले गए. ईशांत टिके रहे. घोड़े की तरह, अपने काफिले का बोझ लिए. बिना रुके, बिना थके और बिना शिकायत किए. कोई शूं-शां नहीं. कोई लंबी-लंबी बातें नहीं. बस मेहनत करते रहे. और साथ ही खुद को स्टारडम से एकदम दूर रखा. साल 2019. एक रणजी मैच के दौरान PTI के एक पत्रकार ने ईशांत से बात करने की कोशिश की. उस वक्त 96 टेस्ट खेल चुके ईशांत ने कहा था,
‘अरे यार मेरा इंटरव्यू करके क्या करोगे? मैं तो बुझता हुआ दिया हूं.’
आंकड़े देखने वालों ने भी सालों पहले यही सोचा था. कि ईशांत एक बुझता दिया ही हैं. पहले 33 टेस्ट मैचों में 32.60 का ऐवरेज. अगले 33 टेस्ट मैचों में 41.34 का ऐवरेज. ये आंकड़े देखेंगे तो आप भी कहेंगे कि इनमें तो कुछ नहीं है. सही बात है. इन आंकड़ों की नज़र से तो ईशांत का करियर ऐसा ही दिखता है. लेकिन अगले 33 टेस्ट. यानी 67 से 99 तक ईशांत की ऐवरेज 23.42 है. साल 2015 के बाद ये ईशांत इस कमाल की ऐवरेज से बोलिंग कर रहे हैं.
# और वो लेजेंड बन गया…
क्रिकइंफो के मुताबिक इस दौरान उन्होंने अपनी दो आदतें सुधारी हैं. पहली- अब वह बुरी गेंदें नहीं फेंकते. और दूसरी- अब वह बिना थके, बिना शिकायत किए लंबे-लंबे स्पेल्स फेंकते रहते हैं. इस दौरान रनगति भी कंट्रोल कर लेते हैं. और इसके लिए उन्हें किसी तरह का ख़ौफ पैदा करने की जरूरत भी नहीं पड़ती. हाल के सालों में ईशांत ने अपना एक्शन भी बेहतर किया और फिटनेस तो खैर कमाल रही ही है. ईशांत एक दिन में 20 ओवर तक फेंक जाते हैं, जो कि आमतौर पर पेसर्स के लिए संभव नहीं होता.
टीम इंडिया के बोलिंग कोच भरत अरुण के मुताबिक ईशांत ने जेसन गिलेस्पी की मदद से अपनी कलाई का बेहतर प्रयोग करना भी सीखा है. अब वह क्रीज की चौड़ाई का प्रयोग कर बल्लेबाजों को खेलने पर मजबूर तो करते ही हैं. साथ ही उनकी स्विंग कराने की कला भी लौट आई है. साल 2018 के इंग्लैंड टूर पर उन्होंने दाविद मलान और बेन स्टोक्स को जिस तरह निपटाया था. उसे देख बाएं हाथ का कोई भी बल्लेबाज सिहर जाएगा.
Ishant Sharma is just 32, and is all set to play his 100th Test!
Can he play till he is 38, like Anderson? #INDvENG pic.twitter.com/ZrJ8tnXm3t
— ICC (@ICC) February 22, 2021
ईशांत अब 100 टेस्ट खेलने वाले सिर्फ 11वें पेस बोलर बनने वाले हैं. कभी भी स्पेशलिस्ट पेसर का लोड ना उठाने वाले जैक्स कैलिस को हटा दें तो इस लिस्ट में अभी तक 10 नाम हैं. जिमी एंडरसन, ग्लेन मैक्ग्रा, कर्टनी वॉल्श, स्टुअर्ट ब्रॉड, कपिल देव, शॉन पोलक, वसीम अकरम, मखाया एनटिनी, इयान बॉथम और चामिंडा वास. इस लिस्ट का हर नाम आपको ईशांत से कई गुना ज्यादा खतरनाक लगेगा. और यही ईशांत की खासियत है. वह बिना खतरनाक लगे, अपनी धुन में 100 टेस्ट खेल गए.
इंग्लैंड के खिलाफ आखिरी दो टेस्ट में कौन सा बॉलर टीम से जुड़ रहा है?