बिहार SIR: 'लोगों को आधार दिखाने की अनुमति मिले', सुप्रीम कोर्ट का चुनाव आयोग को साफ निर्देश
14 अगस्त को भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बिहार की ड्राफ्ट मतदाता सूची से हटाए जाने से असंतुष्ट मतदाता आधार कार्ड के जरिये दावा कर सकते हैं.
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सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को चुनाव आयोग (ECI) से कहा कि बिहार में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के तहत वोटर सूची से अलग किए गए लोगों के लिए आधार कार्ड को पहचान के प्रमाण के तौर पर मान्य किया जाए. कोर्ट ने कहा कि 11 दस्तावेज़ों में से कोई भी एक या आधार कार्ड पहचान पत्र के तौर पर स्वीकार किया जाए.
LiveLaw की रिपोर्ट के मुताबिक अदालत ने कहा कि जिनका नाम सूची से हटाया गया है, वे अब ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों तरीकों से अपना दावा पेश कर सकते हैं और पहचान के लिए आधार कार्ड भी इस्तेमाल कर सकते हैं. साथ ही, बूथ लेवल एजेंट्स (BLAs) को स्पष्ट निर्देश दिए जाएं कि वे मतदाताओं की मदद करें ताकि आवश्यक फॉर्म्स आसानी से भरे जा सकें.
इससे पहले 14 अगस्त को भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बिहार की ड्राफ्ट मतदाता सूची से हटाए जाने से असंतुष्ट मतदाता आधार कार्ड के जरिये दावा कर सकते हैं. इसी दिन अदालत ने चुनाव आयोग (EC) को निर्देश दिए थे कि हटाए गए मतदाताओं की सूची, उनके नाम हटाने के कारणों के साथ, अखबारों, रेडियो और टीवी मीडिया के जरिए व्यापक रूप से पब्लिश किए जाएं.
सुप्रीम कोर्ट उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था जिनमें बिहार में चल रहे मतदाता सूची संशोधन पर सवाल उठाए गए हैं. आयोग ने इस अभ्यास में करीब 65 लाख लोगों के नाम ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से हटा दिए थे. इसके चलते विपक्ष ने आरोप लगाया कि बिना ठीक से जांच किए असली मतदाताओं को भी हटा दिया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने इस पर हैरानी जताई कि राजनीतिक दलों ने हटाए गए नामों को सही कराने में कोई खास रुचि नहीं दिखाई. अदालत ने नोट किया कि अब तक बिहार SIR में 85,000 नए मतदाता सामने आए हैं, लेकिन दलों के बूथ एजेंट्स ने सिर्फ दो ही आपत्तियां दर्ज की हैं.
चुनाव आयोग ने अदालत को बताया कि निर्देशानुसार 19 अगस्त तक हटाए गए नामों की सूची प्रकाशित कर दी गई है. ये नाम ‘ASD’ (Absentee, Shifted, Dead) यानी अनुपस्थित, स्थानांतरित या मृत श्रेणी के अंतर्गत आते हैं.
वीडियो: बिहार SIR पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को क्या आदेश दिए?