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SIR के दस्तावेजों में शामिल होगा आधार कार्ड, सुप्रीम कोर्ट का EC को निर्देश, तेजस्वी बोले- 'हम जीत गए!'

कोर्ट ने आयोग को साफ निर्देश दिया कि SIR के लिए स्वीकार्य 11 दस्तावेजों की सूची में आधार कार्ड को भी शामिल किया जाए. आयोग को विज्ञापन के जरिये इसकी जानकारी मतदाताओं को देनी होगी.

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Bihar SIR
सुप्रीम कोर्ट ने पहचान के लिए आधार कार्ड स्वीकार करने का आदेश दिया है. (सांकेतिक तस्वीर- Aaj Tak)
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सौरभ
14 अगस्त 2025 (Published: 07:31 PM IST)
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बिहार की ड्राफ्ट मतदाता सूची से हटाए जाने से असंतुष्ट मतदाता आधार कार्ड के जरिये दावा कर सकते हैं. अदालत ने चुनाव आयोग (EC) को निर्देश दिया कि हटाए गए मतदाताओं की सूची, उनके नाम हटाने के कारणों के साथ, अखबारों, रेडियो और टीवी मीडिया के जरिए व्यापक रूप से पब्लिश किए जाएं.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट ने आयोग को साफ निर्देश दिया कि SIR के लिए स्वीकार्य 11 दस्तावेजों की सूची में आधार कार्ड को भी शामिल किया जाए. आयोग को विज्ञापन के जरिये इसकी जानकारी मतदाताओं को देनी होगी.

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने यह आदेश उस याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया, जिसमें 24 जून को बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) कराने के EC के फैसले को चुनौती दी गई है.

तेजस्वी यादव की प्रतिक्रिया

मतदाता के तौर पर पहचान के लिए आधार जोड़ने के कोर्ट के आदेश पर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की प्रतिक्रिया आई. उन्होंने बिहार विधानसभा में इसे अपनी जीत बताया है. तेजस्वी ने कहा,

"आज सुप्रीम कोर्ट का आंतरिक फैसला लोकतंत्र की जीत है. बिहार बंद, सड़क पर, सदन में या सुप्रीम कोर्ट, हर जगह लड़ाई लड़ी. हम लोगों ने जो मांग की उस पर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगाई है. हम लोग SIR का विरोध नहीं कर रहे थे बल्कि प्रक्रिया का विरोध था. आज दूध का दूध पानी का पानी हो गया. आधार को जोड़ने का फैसला लिया है वो ऐतिहासिक है."

EC को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 22 अगस्त तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करनी होगी. साथ ही शीर्ष अदालत ने बिहार SIR के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई टाल दी है.

गुरुवार की सुनवाई में अदालत ने EC से पूछा,

“आप क्यों नहीं बता सकते कि किन लोगों की मृत्यु हो चुकी है, कौन लोग पलायन कर गए हैं या दूसरी निर्वाचन क्षेत्रों में चले गए हैं?”

EC के अनुसार, ऐसे नाम पहले ही राज्य की राजनीतिक पार्टियों को दे दिए गए हैं.

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा,

“आप ये नाम नोटिस बोर्ड या वेबसाइट पर क्यों नहीं डाल सकते? जो लोग प्रभावित हैं, वे 30 दिन के भीतर समाधान के लिए कदम उठा सकें. हम नहीं चाहते कि नागरिक राजनीतिक पार्टियों पर निर्भर रहें.”

कांग्रेस, लालू यादव की पार्टी RJD और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) समेत विपक्षी नेताओं ने बिहार में मतदाता सूची संशोधन अभियान को चुनौती दी है.

सुप्रीम कोर्ट ने 13 अगस्त को कहा था कि मतदाता सूची ‘जस की तस’ नहीं रह सकती, इसमें संशोधन होना ही है. अदालत ने यह भी कहा था कि बिहार के SIR के लिए पहचान पत्रों की स्वीकार्य सूची 7 से बढ़ाकर 11 करना वास्तव में “मतदाता-हितैषी” है.

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