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मरकज निजामुद्दीन के प्रमुख के खिलाफ कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला, कोविड को लेकर FIR के 5 साल हो गए

Maulana Mohd Saad के खिलाफ गैर इरादतन हत्या के आरोप लगाए गए. दावा किया गया कि 21 मार्च 2020 को वाट्सएप पर साद ने एक ऑडियो रिकॉर्डिंग शेयर किया.

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Markaz Nizamuddin Case
मोहम्मद साद पर कोविड फैलाने के आरोप हैं. (फाइल फोटो: इंडिया टुडे/सोशल मीडिया)
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रवि सुमन
4 सितंबर 2025 (Published: 08:15 AM IST)
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दिल्ली के मरकज निजामुद्दीन (Markaz Nizamuddin) के हेड मौलाना मोहम्मद साद कांधलवी (Mohd Saad) और अन्य के खिलाफ FIR के पांच साल से ज्यादा वक्त बीत गए हैं. आरोप लगाए गए कि उन्होंने एक अंतरराष्ट्रीय समागम का आयोजन कर कोविड महामारी को फैलाया. लेकिन अब पुलिस को अपनी जांच में साद के भाषण में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला है.

इंडियन एक्सप्रेस के जुड़े महेंद्र सिंह मनराल ने इस मामले को रिपोर्ट किया है. इसके मुताबिक, दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के जांच अधिकारी ने अपने सीनियर्स को जानकारी दी है कि साद के लैपटॉप में उनके जो भाषण मिले थे, उसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है. 

31 मार्च 2020 को हजरत निजामुद्दीन पुलिस स्टेशन के तत्कालीन एसएचओ ने साद और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज कराया था. उनके खिलाफ खिलाफ गैर इरादतन हत्या के आरोप लगाए गए. दावा किया गया कि 21 मार्च 2020 को वाट्सएप पर साद ने एक ऑडियो रिकॉर्डिंग शेयर किया. कथित रूप से इसमें वक्ता को अपने अनुयायियों से लॉकडाउन और सामाजिक दूरी का उल्लंघन करने और मरकज के धार्मिक आयोजन में शामिल होने के लिए कहते हुए सुना गया था.

अखबार ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि वर्तमान जांच अधिकारी ने दिल्ली पुलिस मुख्यालय में अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया है कि साद अब तक जांच में शामिल नहीं हुए हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी ने जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया,

डेटा निकालने के लिए एक लैपटॉप और कुछ इलेक्ट्रॉनिक उपकरण FSL में जमा किए गए थे, और अब भी उनकी जांच बाकी है. साद के भाषण लैपटॉप में थे, जांच के दौरान पहले ही उनका विश्लेषण किया जा चुका था, और उनमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला।.

ये भी पढ़ें: तबलीगी जमात के 70 भारतीय बाइज्जत बरी, कोरोना फैलाने का आरोप था, अब ओपन कोर्ट में सारे केस रद्द हुए

जमात से जुड़े लोगों पर दर्ज FIR रद्द

पिछले महीने, दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि केवल मरकज में रहना, महामारी के दौरान आवाजाही पर रोक लगाने वाले सरकारी आदेशों का उल्लंघन नहीं है. न्यायालय ने तबलीगी जमात से जुड़े 70 भारतीयों के खिलाफ दर्ज 16 FIR और उसके बाद दायर आरोपपत्रों को खारिज कर दिया था.

अंतरराष्ट्रीय इस्लामी धार्मिक समूह जमात ने 13 मार्च 2020 से 15 मार्च 2020 तक दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में एक अंतरराष्ट्रीय समागम का आयोजन किया था. इसी को लेकर उन पर कोविड फैलाने के आरोप लगे थे. इस केस में 36 देशों के कुल 952 विदेशी नागरिकों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किए गए थे. एक अधिकारी ने बताया कि 2020 में 26, 27 और 28 मई और 19 जून को अदालत में 48 आरोप पत्र और 11 पूरक आरोप पत्र दायर किए गए.

मुकदमे के दौरान, 44 आरोपी विदेशी नागरिकों ने मुकदमे का सामना करने का विकल्प चुना. जबकि 908 ने अपना दोष स्वीकार किया और 4,000 रुपये से लेकर 10,000 रुपये तक का जुर्माना अदा किया.

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