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जजों पर 'संघ परिवार' के प्रभाव में काम करने का आरोप लगाया, हाई कोर्ट ने जेल भेज दिया

कोर्ट ने कहा कि ये पोस्ट लोगों का कोर्ट पर भरोसा कम करते हैं. जजों ने कहा कि ऐसी बातें कोर्ट की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर सवाल उठाती हैं.

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Kerala High Court sentences man to three days in jail for accusing judges of Sangh Parivar influence
एक अन्य पोस्ट में सुरेश ने जस्टिस रामचंद्रन द्वार कोर्ट में बोली गई बात को 'वर्बल डायरिया' (verbal diarrhoea) कहा था. (फोटो- PTI)
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प्रशांत सिंह
16 जुलाई 2025 (Published: 12:17 AM IST) कॉमेंट्स
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केरल हाई कोर्ट ने जजों के खिलाफ अपमानजनक पोस्ट शेयर करने के आरोप में एक व्यक्ति को तीन दिन की जेल की सजा सुनाई है (Kerala High Court sentences man to three days). शख्स का नाम पीके सुरेश कुमार है. उसने फेसबुक पर कुछ जजों के खिलाफ अपमानजनक बातें लिखी थीं. सुरेश ने कहा था कि कोर्ट के जज 'संघ परिवार' के प्रभाव में हैं. उसने जजों पर पक्षपात और गलत फैसले लेने का आरोप भी लगाया. खास तौर पर उसने जस्टिस अनिल के नरेंद्रन का नाम लिया और कहा कि वो राजनीतिक फायदा लेने और प्रमोशन के लिए गलत फैसले दे रहे हैं. 

हाई कोर्ट ने मामले को गंभीर माना. उसने कहा कि सुरेश के फेसबुक पोस्ट कोर्ट की गरिमा को ठेस पहुंचाते हैं. बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट ने कहा कि ये पोस्ट लोगों का कोर्ट पर भरोसा कम करते हैं. जजों ने कहा कि ऐसी बातें कोर्ट की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर सवाल उठाती हैं. ये आपराधिक अवमानना (criminal contempt) है. इसके लिए कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट्स एक्ट, 1971 के तहत कार्रवाई की गई. 

मामले की सुनवाई में जस्टिस राजा विजयराघवन वी और जस्टिस जोबिन सेबेस्टियन की बेंच ने कहा,

“इन पोस्टों का उद्देश्य स्पष्ट रूप से इस न्यायालय की स्वतंत्रता, निष्ठा और निष्पक्षता में जनता के विश्वास को कम करना है. ऐसे पोस्ट न्यायिक प्रक्रिया पर लोगों के भरोसे को कम करते हैं. और निश्चित रूप से जजों के संवैधानिक कर्तव्यों के निर्वहन में बाधा डालते हैं.”

पोस्ट में क्या-क्या लिखा?

11 मार्च, 2024 के एक पोस्ट में सुरेश ने जस्टिस के नरेंद्रन पर निशाना साधा था. सुरेश ने आरोप लगाया कि जस्टिस अनिल के नरेंद्रन ‘संघ परिवार गुटों के प्रभाव में’ काम कर रहे थे. और सुप्रीम कोर्ट में प्रमोशन हासिल करने के उद्देश्य से राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए अनुकूल आदेश पारित कर रहे थे.

17 मार्च, 2024 को किए एक अन्य पोस्ट में उसने जस्टिस रामचंद्रन की कोर्ट में कही बात को 'वर्बल डायरिया' (verbal diarrhoea) कहा था. कोर्ट ने इसे जजों का अपमान माना. उसने कहा कि आलोचना की जा सकती है, लेकिन जजों पर पक्षपात या भ्रष्टाचार का आरोप लगाना गलत है. सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि ऐसी टिप्पणियां कोर्ट की गरिमा को नुकसान पहुंचाती हैं.

बचाव में कुमार ने क्या कहा?

कुमार ने इस मामले में अपना बचाव भी किया. उसने कहा कि ये पोस्ट उसकी व्यक्तिगत पीड़ा के कारण किए गए थे, और वो उसकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के तहत आता है. सुरेश ने ये भी कहा कि अन्य लोगों के पास भी उनके फेसबुक अकाउंट का एक्सेस है, तो हो सकता है कि ये पोस्ट अज्ञात व्यक्तियों द्वारा किए गए हों.

हालांकि, कोर्ट ने उसकी दलीलों को खारिज कर दिया. बेंच ने इन पोस्ट के तकनीकी साक्ष्यों का हवाला देते हुए पुष्टि की कि पोस्ट उसके अकाउंट से ही किए गए थे. इन पोस्टों में जजों को राजनीतिक रूप से पक्षपाती और समझौता करने वाला बताया गया था.

वीडियो: केरल की चीफ सेक्रेटरी ने रंगभेद पर क्या लिखा जो वायरल हो रहा?

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