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दुनिया सुखी रहे इसलिए लगाए 5000 पेड़, मिला पद्मश्री, अब ये बुजुर्ग जैसे रह रहा, देख दुखी हो जाएंगे

लगातार बारिश की वजह से 79 साल के Dukhu Majhi के घर की छत टपकने लगी है. कच्चा फर्श दलदल में बदल गया है. घर ढहने के कगार पर है. जबकि घर के प्रवेश द्वार पर एक लाल बोर्ड पर चाक से लिखा हुआ है, “भारत के राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित, पद्मश्री दुखू माझी.” माझी अपनी बूढ़ी पत्नी और विकलांग बेटे के साथ बेहद नाजुक हालात में रह रहे हैं.

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Dukhu Majhi Padma Shri lives in a broken house 5,000 trees planting in west bengal
अस्सी साल का दुखू माझी आज टूटी झोपड़ी में रहने के लिए मजबूर हैं. (फोटो: इंडिया टुडे)
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अर्पित कटियार
6 सितंबर 2025 (Updated: 6 सितंबर 2025, 03:32 PM IST)
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करीब डेढ़ साल पहले, पश्चिम बंगाल के दुखू माझी (Dukhu Majhi) को प्रतिष्ठित पद्मश्री पुरस्कार मिला. वे अब तक 5,000 से ज्यादा पेड़ लगा चुके हैं. लोग प्यार से उन्हें ‘गाछ दादू’ यानी ‘पेड़ों के दादा’ के नाम से बुलाते हैं. उन्होंने अपना पूरा जीवन जलवायु परिवर्तन से निपटने में खर्च कर दिया. कई सारे सम्मान भी मिले. लेकिन इन उपलब्धियों के बावजूद, 79 साल का यह व्यक्ति आज टूटी झोपड़ी में रहने के लिए मजबूर हैं.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, दुखू माझी पुरुलिया जिले के रहने वाले हैं. 15 साल की उम्र से ही वे धरती को हरा-भरा बनाये रखने के अभियान में जुट गए और इस तरह उन्होंने जिले की बंजर पड़ी अजोध्या पहाड़ियों को हरी-भरी पहाड़ियों में बदल दिया. लेकिन आज देश का इतना बड़ा पर्यावरणविद और उनका परिवार एक जर्जर मिट्टी की झोपड़ी में रहने के लिए मजबूर है.

लगातार बारिश की वजह से उनके घर की छत टपकने लगी है. कच्चा फर्श दलदल में बदल गया है. घर ढहने के कगार पर है. जबकि घर के प्रवेश द्वार पर एक लाल बोर्ड पर चाक से लिखा हुआ है, “भारत के राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित, दुखु माझी.” इसके बगल में एक पुरानी साइकिल रखी है. माझी अपनी बूढ़ी पत्नी और विकलांग बेटे के साथ बेहद नाजुक हालात में रहते हैं. प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए प्रशासन से बार-बार गुहार लगाने के बावजूद, उन्हें कभी इसका लाभ नहीं मिला.

दशकों तक जंगलों की देखभाल करने वाले इस व्यक्ति का अपना घर आज मुश्किल से बारिश झेल पाता है. उन्होंने बताया कि उनके जीवन का उद्देश्य प्रकृति और हरित पर्यावरण को बढ़ावा देना है, जिसके लिए उन्हें कई सम्मान मिले हैं. हालांकि, इन उपलब्धियों के बावजूद, अस्सी साल के इस शख्स को एक नाजुक जीवन-स्थिति से जूझना पड़ रहा है.

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विपक्ष के नेता ने किया मदद का एलान

सरकारी योजना के तहत उन्हें एक मकान मिला भी तो शादी के बाद से उनके बड़े बेटे ने उसमें रहना शुरू कर दिया. माझी बताते हैं कि पूरे परिवार का एक ही घर में रहना नामुमकिन था, और बड़े बेटे की शादी के बाद बेटा अपने परिवार के साथ वहां रहने लगा. माझी के पास अपना कोई घर नहीं है, और अब उनकी बस एक ही ख्वाहिश है कि उन्हें एक ऐसा घर मिले जहां उनका परिवार सम्मान के साथ रह सके.

इस मामले ने सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियां बटोरीं और पश्चिम बंगाल के विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी को हस्तक्षेप करना पड़ा. उन्होंने माझी के लिए एक घर का निर्माण शुरू करने के लिए तत्काल 2 लाख रुपये की सहायता का एलान किया. साथ ही निर्माण पूरा होने तक आगे भी मदद का वादा किया.

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