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वैज्ञानिक सुब्बन्ना अय्यप्पन का नदी में मिला शव, नीली क्रांति के लिए मिला था पद्म श्री

डॉ. सुब्बन्ना अय्यप्पन 7 मई से मैसूर जिले स्थित अपने घर से लापता थे. 10 मई को कर्नाटक के मांड्या में कावेरी नदी में उनका शव पाया गया.

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padma shri agricultural scientist subbanna ayyappan found dead in kaveri river
डॉ. सुब्बन्ना अय्यप्पन की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है. (तस्वीर-इंडिया टुडे)
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सचेंद्र प्रताप सिंह
12 मई 2025 (Published: 07:22 PM IST)
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देश के जाने-माने कृषि वैज्ञानिक पद्म श्री सम्मानित डॉ. सुब्बन्ना अय्यप्पन की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है. उनका शव शनिवार, 10 मई को कर्नाटक के मांड्या जिले में साईं आश्रम के पास कावेरी नदी में पाया गया. पुलिस ने उनके शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजकर मामले की जांच शुरू कर दी है.

डॉ. अय्यप्पन 7 मई से मैसूर जिले स्थित अपने घर से लापता थे. यहां वह अपनी पत्नी के साथ रह रहे थे. इंडिया टुडे से जुड़े सगाय राज की रिपोर्ट के मुताबिक परिवार ने पुलिस को बताया कि वह हमेशा की तरह अपने घर से निकले थे. लेकिन वापस नहीं लौटे. पुलिस ने परिवार की शिकायत पर मामला दर्ज कर जांच-पड़ताल शुरू कर दी. इसके बाद शनिवार को श्रीरंगपटना में साईं आश्रम के पास कावेरी नदी में स्थानीय लोगों ने शव देखा. उन्होंने पुलिस को सूचना दी.

सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को नदी से बाहर निकाला. इसके बाद जांच में पाया गया कि शव डॉ. अय्यप्पन का है. वहीं घटनास्थल के पास उनका स्कूटर भी मिला. डॉ. सुब्बन्ना की उम्र 69 साल थी. प्रारंभिक जांच में कथित तौर पर आत्महत्या की बात सामने आई है. पुलिस ने बताया कि उनके परिवार को मामले की सूचना दे  दी गई है. वही शव को पोस्टमार्टम के लिए मैसूर से केआर हॉस्पिटल भेजा गया है. पुलिस ने बताया कि मौत की वजह का पता लगाने के लिए  जांच की जा रही है.  

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक डॉ. सुब्बन्ना अय्यप्पन का जन्म 10 दिसंबर 1955 को कर्नाटक के चामराजनगर जिले में हुआ था. वह बचपन से ही पढ़ने में काफी तेज थे. उन्होंने मंगलुरु से मत्स्य विज्ञान में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद बेंगलुरु के कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री हासिल की. डॉ. अय्यप्पन ने साल 2016 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के प्रमुख के तौर पर काम किया था. इस दौरान देश में नीली क्रांति (मछली पालन के विकास और मैनेजमेंट) को बढ़ावा देने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्हें साल 2022 में राष्ट्रपति द्वारा पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया था.

 

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