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अमित शाह ने PM-CM को जेल भेजने वाले बिल का 'असल मकसद' बताया, इंदिरा गांधी पर क्या बोल गए?

अमित शाह ने 130वें संविधान संशोधन बिल का विरोध करने वाले विपक्षी दलों के सांसदों को घेरते हुए कहा कि भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए वो इस बिल का विरोध कर रहे हैं.

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Amit shah
अमित शाह ने बिल का विरोध करने पर कांग्रेस को जमकर सुनाया है (India Today)
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राघवेंद्र शुक्ला
20 अगस्त 2025 (Updated: 20 अगस्त 2025, 09:05 PM IST)
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लोकसभा में संविधान संशोधन बिल पेश करने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस और विपक्षी दलों को खूब सुनाया है. ‘एक्स’ पर पोस्ट करके उन्होंने कहा कि ‘जेल से सरकार चलाने वाले’ और ‘कुर्सी का मोह न छोड़ने’ के लिए कांग्रेस के साथ सभी विपक्षी दलों ने इस बिल का विरोध किया जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद को भी इसके दायरे में लाने के लिए यह संशोधन पेश किया है. 

अमित शाह ने कहा कि ये पहले से स्पष्ट था कि बिल को संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी को भेजा जाएगा. फिर भी ‘शर्म और हया छोड़कर’ भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए पूरा ‘इंडी गठबंधन’ भद्दे तरीके से बिल का विरोध कर रहा है. 

गृह मंत्री ने ‘एक्स’ पर तीन पोस्ट करके बिल के बारे में विस्तार से जानकारी दी है. उनके मुताबिक, इस बिल का मकसद है कि महत्वपूर्ण संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति जेल में रहकर सरकार न चला पाए. ‘सार्वजनिक जीवन में गिरते जा रहे नैतिकता के स्तर को ऊपर उठाने के लिए’ इस बिल को सदन में लाया गया है, जिसमें…

कोई भी व्यक्ति गिरफ्तार होकर जेल से प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केंद्र या राज्य सरकार के मंत्री के रूप में शासन नहीं चला सकता है.

आरोपित राजनेता को गिरफ्तारी के 30 दिन के अंदर अदालत से जमानत लेने का प्रावधान है.

अगर 30 दिन में जमानत नहीं मिलती है तो 31वें दिन या तो केंद्र में प्रधानमंत्री और राज्यों में मुख्यमंत्री उन्हें पदों से हटाएंगे या वे खुद ही कानूनी रूप से अयोग्य हो जाएंगे.

क़ानूनी प्रक्रिया के बाद ऐसे नेता को अगर जमानत मिलेगी, तब वो अपने पद को फिर से हासिल कर सकते हैं.

शाह ने कहा कि पिछले कुछ सालों में यह भी देखने को मिला कि जब सीएम या मंत्री बिना इस्तीफा दिए जेल से ही अनैतिक रूप से सरकार चलाते रहे. उनका इशारा दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल की तरफ था, जिन्हें दिल्ली का सीएम रहते जेल हुई थी और वो वहीं से सरकार चला रहे थे.

बिल का तगड़ा विरोध करने वाले कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद को बिल के दायरे में रखा है, लेकिन कुर्सी का मोह न छोड़ने वाले कांग्रेस समेत विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं. 

उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी की शुरू की गई ‘अनैतिक परंपरा’ को कांग्रेस पार्टी आज भी आगे बढ़ा रही है. ‘एक्स’ पर उन्होंने लिखा,

देश को वह समय भी याद है, जब इसी महान सदन में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संविधान संशोधन संख्या-39 से प्रधानमंत्री को ऐसा विशेषाधिकार दिया कि प्रधानमंत्री के खिलाफ कोई भी कानूनी कार्यवाही नहीं हो सकती थी. एक तरफ यह कांग्रेस की कार्य संस्कृति और उनकी नीति है कि वे प्रधानमंत्री को संविधान संशोधन करके कानून से ऊपर करते हैं जबकि, दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी की नीति है कि हम हमारी सरकार के प्रधानमंत्री, मंत्री, मुख्यमंत्रियों को ही कानून के दायरे में ला रहे हैं.

शाह ने कहा,

भाजपा और एनडीए हमेशा नैतिक मूल्यों के पक्षधर रहे हैं. लालकृष्ण आडवाणी ने सिर्फ आरोप लगने पर अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. खुद उन्होंने गुजरात सरकार में रहने के दौरान अपनी गिरफ्तारी से पहले पद से इस्तीफा दे दिया था और तब तक कोई संवैधानिक पद नहीं लिया जब तक पूरी तरह से निर्दोष साबित नहीं हो गया. 

अमित शाह ने दागी सांसदों को लेकर मनमोहन सरकार के लाए बिल की याद दिलाते हुए कहा कि कांग्रेस जिन लालू प्रसाद यादव को बचाने के लिए वो बिल लेकर आई थी, उन्हीं के साथ राहुल गांधी बिहार में गलबहियां कर रहे हैं. मनमोहन सरकार के इस बिल का तब राहुल गांधी ने ही विरोध किया था.

गृह मंत्री ने कहा कि आज विपक्ष जनता के बीच पूरी तरह से एक्सपोज हुआ है.

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