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अफगानिस्तान में भूकंप से 1411 लोगों की मौत, लाशें निकालने का रास्ता नहीं मिल रहा

कुनार प्रांत का एक गांव भूकंप से लगभग नष्ट हो गया है. 50 वर्षीय अब्दुल लतीफ ने अल जजीरा को बताया कि मकान गिरने की वजह से उनके बेटे, पत्नी और मां की मौत हो गई. उन्होंने बताया कि पास में ही उनके रिश्तेदारों के दो घर भी ढह गए. एक में 11 लोग थे और दूसरे में 13. उनमें से कोई भी बच नहीं पाया.

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Death toll in September 1 Afghanistan earthquake rises to 1,411, over 3,000 injured
तालिबान सरकार लोगों को बाहर निकालने के लिए हेलीकॉप्टरों का उपयोग कर रही है. (फोटो- AFP)
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प्रशांत सिंह
2 सितंबर 2025 (Published: 05:53 PM IST)
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अफगानिस्तान के पूर्वी हिस्से में बीती 31 अगस्त की देर रात आए 6.0 तीव्रता के भीषण भूकंप ने भारी तबाही मचाई है. तालिबान सरकार के अनुसार, इस आपदा में अब तक 1,411 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि 3 हजार से अधिक लोग घायल हुए हैं (1400 deaths in Afghanistan earthquake). भूकंप का केंद्र नंगरहार प्रांत के जलालाबाद शहर से 27 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में था. इसकी गहराई जमीन से 8-10 किलोमीटर नीचे थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक कुनार और नंगरहार प्रांतों में सबसे ज्यादा तबाही हुई, जहां कई गांव पूरी तरह बर्बाद हो गए.

भूकंप 31 अगस्त-1 सितंबर की दरमियानी रात आया, जब अधिकांश लोग अपने घरों में सो रहे थे. इससे कुनार प्रांत के नूरगल जिले में कई गांव, जैसे शोल्ट, अरित, ममागल और वदिर पूरी तरह तबाह हो गए. मिट्टी और पत्थर से बने घरों के ढहने से कई लोग मलबे में दब गए. तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने बताया कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है, क्योंकि बचाव कार्य अभी जारी हैं. 

मुजाहिद ने X पर पोस्ट कर बताया,

“कुनार प्रांत के नर्गल, सोकी, जाबा दराह, बिश दराह, ताबोर और असदाबाद क्षेत्रों में भूकंप से हुए नुकसान में 1,411 लोगों की मौत हुई है. 3,124 लोग घायल हुए हैं. जबकि 5,400 से अधिक घर नष्ट हो गए हैं.”

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक दुर्गम पहाड़ी इलाकों और भूस्खलन के कारण राहत कार्यों में बाधा आ रही है. इसलिए तालिबान सरकार लोगों को बाहर निकालने के लिए हेलीकॉप्टरों का उपयोग कर रही है. सरकार के कई सूत्रों ने बताया है कि दर्जनों घर मलबे में दबे हुए हैं. अंतरराष्ट्रीय संगठनों से सहायता मांगी गई है और कई देशों ने मदद की पेशकश की है. संयुक्त राष्ट्र बाल कल्याण संस्थान (UNICEF) के सलाम अल जनाबी के अनुसार, सबसे ज्यादा प्रभावित हुए क्षेत्रों तक सड़क मार्ग से पहुंचना अभी भी कठिन है.

विदेशी से अभी तक कोई बड़ा समर्थन नहीं

अफगान रेड क्रिसेंट और कुछ अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने आपातकालीन सहायता शुरू की है. लेकिन विदेशी सरकारों से अभी तक कोई बड़ा समर्थन नहीं मिला है. संयुक्त राष्ट्र ने भी सहायता का वादा किया है. वहीं भारत, पाकिस्तान, जापान और चीन जैसे देशों ने प्रभावितों के प्रति संवेदना जताई है. नॉर्वेजियन शरणार्थी परिषद के महासचिव जान एगेलैंड ने X पर पोस्ट कर लिखा,

“अफगानिस्तान में राहत प्रयासों के लिए विदेशी डोनर्स से कोई वास्तविक धनराशि नहीं मिल रही है. NATO देशों द्वारा अफगान लड़कियों और लड़कों के साथ खड़े रहने के वादे को तोड़ा नहीं जा सकता."

परिवार की मौत

अल जजीरा की रिपोर्ट के अनुसार कुनार प्रांत का गाजियाबाद गांव भूकंप से लगभग नष्ट हो गया है. 50 वर्षीय अब्दुल लतीफ ने अल जजीरा को बताया कि मकान गिरने की वजह से उनके बेटे, पत्नी और मां की मौत हो गई. उन्होंने बताया कि पास में ही उनके रिश्तेदारों के दो घर भी ढह गए. एक में 11 लोग थे और दूसरे में 13. उनमें से कोई भी बच नहीं पाया. 

अब्दुल ने कहा कि शवों को निकालने का कोई रास्ता नहीं है. वो बताते हैं,

"हम मलबे से मृतकों को निकालने के लिए बस कोई मदद ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं. कड़ाके की ठंड है, खाने-पीने की कोई जगह नहीं है, न ही कोई आश्रय है. स्थिति बेहद निराशाजनक है."

बता दें कि अफगानिस्तान हिंदू कुश पर्वत श्रंखला में स्थित है. इस कारण भूकंपों का खतरा बना रहता है. ये क्षेत्र भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों के जोड़ पर है, जिससे बार-बार भूकंपीय गतिविधियां होती हैं. 2022 और 2023 में भी यहां बड़े भूकंप आए थे, जिनमें हजारों लोग मारे गए थे.

ये आपदा अफगानिस्तान के लिए एक और बड़ा झटका है, जहां पहले से ही सूखा, गरीबी और मानवीय संकट गहराया हुआ है. स्थानीय लोग और संगठन मदद के लिए आगे आ रहे हैं, लेकिन प्रभावित क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे की कमी और संसाधनों की कमी स्थिति को और जटिल बना रही है.

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