इस मोटापे की वजह आपका खाना नहीं बल्कि हॉर्मोन्स हैं, कारण समझ लीजिए
कई बार शरीर में कुछ खास हॉर्मोन्स का लेवल गड़बड़ाने से व्यक्ति का वज़न तेज़ी से बढ़ने लगता है. थोड़ा-सा खाने पर भी वज़न बढ़ जाता है. एक्सरसाइज करने पर भी नहीं घटता.
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क्या आप उन लोगों में से हैं जो ज़्यादा नहीं खाते. जंक फ़ूड के शौक़ीन भी नहीं हैं. फिर भी वज़न बढ़ा हुआ है. कम होने का नाम नहीं ले रहा?
अगर आपका जवाब ‘हां’ है, और आप भी अक्सर सोचते रहते हैं कि भई, ऐसा क्यों है? तो इसकी वजह है हॉर्मोन्स. कई बार शरीर में कुछ खास हॉर्मोन्स का लेवल गड़बड़ाने से व्यक्ति का वज़न तेज़ी से बढ़ने लगता है. थोड़ा-सा खाने पर भी वज़न बढ़ जाता है. एक्सरसाइज करने पर भी नहीं घटता.
डॉक्टर से जानिए कि क्या वज़न सिर्फ़ खाने-पीने से बढ़ता है. अगर नहीं, तो किन हॉर्मोनल कारणों से मोटापा होता है. कैसे पता करें आपका मोटापा हॉर्मोनल है या नहीं. हॉर्मोनल मोटापे से बचाव और इलाज क्या है. साथ ही BMI पर भी बात होगी. पता करेंगे, BMI क्या है और इसका मोटापे से क्या कनेक्शन है. कितना BMI मोटापा कहलाता है.
BMI क्या होता है और कितना BMI मोटापा कहलाता है?ये हमें बताया डॉक्टर सुधीर कल्हण ने.

- किसी को मोटापा है या नहीं, इसका पता BMI से लगाया जा सकता है
- BMI यानी बॉडी मास इंडेक्स
- इसे पता करने के लिए अपने वज़न (किलोग्राम में) को अपनी ऊंचाई (मीटर में) के वर्ग से भाग दें
- अगर BMI 28 या 30 से ऊपर है, तो व्यक्ति को ओबीज़ माना जाएगा
- ऐसे व्यक्ति को डॉक्टर से मिलकर अपना इलाज कराना चाहिए
- अगर कोई व्यक्ति 6 फीट का है और उसका वज़न 80 किलो है, तो वो ओवरवेट नहीं है
- लेकिन अगर व्यक्ति 5 फीट का है और उसका वज़न 80 किलो है, तो वो ओवरवेट है
- BMI एक पैमाना है, जो बताता है कि व्यक्ति मोटापे से ग्रस्त है या नहीं
क्या मोटापा केवल खाने से होता है?- व्यक्ति कई वजहों से मोटापे से ग्रस्त हो सकता है
- कई लोग मानते हैं कि मोटापा सिर्फ ज़्यादा खाने से होता है
- ऐसा नहीं है, मोटापा कई वजहों से हो सकता है
- जैसे जेनेटिक्स, लाइफस्टाइल, खाने का तरीका और हॉर्मोन्स

हॉर्मोनल कारणों में थायरॉइड ग्रंथि से जुड़ी दिक्कतें शामिल हैं. जैसे हाइपोथायरॉइडिज़्म, इसमें व्यक्ति का वज़न बढ़ सकता है.
एड्रिनल ग्रंथि से जुड़ी दिक्कतें, जैसे हाइपरएड्रिनलिज़्म या कोर्टिसोल हॉर्मोन्स के लेवल में बदलाव. इनसे भी व्यक्ति का वज़न बढ़ सकता है.
मोटापा हॉर्मोनल है या नहीं, इसका पता अल्ट्रासाउंड और अन्य जांचों से लगाया जा सकता है.
मोटापे की वजह कहीं जेनेटिक तो नहीं, ये भी जांचा जाता है. जैसे प्रेडर-विली सिंड्रोम, जिसमें बचपन से ही तेज़ी से वज़न बढ़ने लगता है.
हॉर्मोनल मोटापे से बचाव और इलाज क्या है?सबसे पहले हॉर्मोनल और जेनेटिक कारणों को पता लगाया जाता है. मरीज़ से उसकी दिनचर्या के बारे में पूछा जाता है. कई बार मरीज़ को एक बुकलेट दी जाती है. इसमें वो लिखता है कि उसने दिनभर में क्या-क्या खाया. इससे मरीज़ के खानपान का पैटर्न समझा जाता है. पता किया जाता है कि कहीं वो कार्बोहाइड्रेट से भरपूर चीज़ें तो नहीं खा रहा.
मोटापे का पहला बड़ा कारण ज़रूरत से ज़्यादा कैलोरीज़ लेना है. इसलिए पहला कदम भी कैलोरीज़ को कम करना होता है. फिर कैलोरी की क्वालिटी सुधारी जाती है. यानी सारी कैलोरीज़ सिर्फ कार्बोहाइड्रेट से नहीं आनी चाहिए. कुछ कैलोरीज़ फैट, प्रोटीन और दूसरे पोषक तत्वों से मिलनी चाहिए.
डाइट पर कंट्रोल करने के बाद लाइफस्टाइल में बदलाव किए जाते हैं. अगर आलस भरा जीवन है, तो एक्सरसाइज़ करने को कहा जाता है. इसमें कम से कम आधा घंटा सैर और हल्की वेट ट्रेनिंग जैसी एक्सरसाइज़ शामिल हैं. अगर इसके बाद भी वज़न कम नहीं होता, तो ज़रूरत पड़ने पर थेरेपी, दवाइयां, इंजेक्शन और बेरियाट्रिक सर्जरी की जा सकती है. लेकिन इन्हें काफी सोचने-समझने के बाद ही किया जाता है. ये बहुत ज़रूरी है कि मोटापे का इलाज साइंटिफिक तरीके से हो. इसके लिए मोटापे का असली कारण पता होना ज़रूरी है.
अगर आपकी डाइट ठीक है. आप एक्सरसाइज़ भी करते हैं. फिर भी इसका असर आपके वज़न पर नहीं दिख रहा तो डॉक्टर से ज़रूर मिलिए. हो सकता है आपका बढ़ा हुआ वज़न हॉर्मोनल हो. ऐसे में सही कारण पता लगाना और उसका इलाज करना ज़रूरी है. नहीं तो आप डाइटिंग करते रह जाएंगे, वज़न नहीं घटेगा.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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