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सेलेब्रिटी शेफ गॉर्डन रामसे को स्किन कैंसर, सर्जरी कराकर दी सनस्क्रीन लगाने की सलाह

सनस्क्रीन लगाने से कैंसर का रिस्क कम होता है. मगर कई लोगों को लगता है कि सनस्क्रीन लगाने का कोई फायदा नहीं होता. ये सही बात नहीं है.

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chef gordon ramsay undergoes surgery for skin cancer know everything about basal cell carcinoma
गॉर्डन रामसे ने सोशल मीडिया पर अपनी फोटो डालकर सनस्क्रीन लगाने की सलाह दी है (फोटो: Insta @gordongram/ Freepik)
2 सितंबर 2025 (Published: 02:33 PM IST)
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गॉर्डन रामसे. मशहूर ब्रिटिश शेफ़ हैं. बेहतरीन खाना बनाते हैं. टीवी पर भी खूब आते हैं. अगर आप कुकिंग शोज़ के शौक़ीन हैं, तो आपने इन्हें हेल्स किचन, मास्टरशेफ़ यूएसए जैसे शोज़ में देखा होगा. गॉर्डन रामसे अपने बेबाक अंदाज़ के लिए खूब जाने जाते हैं. लेकिन आज अचानक गॉर्डन रामसे की बात क्यों? 

वो इसलिए क्योंकि गॉर्डन इस वक़्त ख़बरों में हैं. वजह उनका खाना या कोई कुकिंग शो नहीं, उनकी बीमारी है. गॉर्डन रामसे को बेसल सेल कार्सिनोमा नाम का स्किन कैंसर हुआ है. ये बहुत ही आम स्किन कैंसर है. हाल-फ़िलहाल में उनकी सर्जरी हुई है. सर्जरी करके उनका कैंसर निकाला गया है. इसे लेकर गॉर्डन ने इंस्टाग्राम पर एक ऐसा पोस्ट किया है, जो हम सबके लिए सबक है.

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गॉर्डन रामसे ने स्किन कैंसर से जुड़ी सर्जरी करा ली है (फोटो: Insta @gordongram)

गार्डन ने अपनी एक तस्वीर डाली है. इसमें उनकी सर्जरी के निशान दिख रहे हैं. एक मैसेज भी है- 'प्लीज़ सनस्क्रीन ज़रूर लगाओ!'

सनस्क्रीन बहुत ज़रूरी है. ये लगानी चाहिए. इससे कैंसर का रिस्क कम होता है. ऐसी बातें हम सुनते तो बहुत हैं, पर इन पर ध्यान नहीं देते. भारत में रहने वाले कई लोगों को लगता है कि हमारी स्किन को सनस्क्रीन की ज़रूरत ही नहीं है, क्योंकि भारतीयों में स्किन कैंसर का रिस्क कम होता है. एक वक़्त तक ऐसा था भी. पश्चिमी देशों के मुकाबले, भारत में स्किन कैंसर कम होता था. पर अब चीज़ें बदल रही हैं.

साल 2023 में 'द वीक' में छपी एक स्टडी के मुताबिक, भारत में स्किन कैंसर के मामलों में अचानक उछाल आया है. पश्चिमी देशों में रहने वाले लोगों के मुकाबले, भारतीयों की स्किन का रंग आमतौर पर गहरा होता है. इसकी वजह है यूमेलानिन. ये भारतीयों की स्किन को कैंसर से बचाता है. लेकिन, जीजीएस मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के साइंटिस्ट्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूमेलानिन के बावजूद, भारतीयों में लगातार स्किन कैंसर बढ़ रहा है. इसके बावजूद हमारे देश में बहुत सारे लोग सनस्क्रीन लगाने से बचते हैं. 

डॉक्टर से जानिए कि गॉर्डन रामसे को हुआ बेसल सेल कार्सिनोमा क्या है. स्किन कैंसर के बाकी टाइप कौन-से हैं. स्किन कैंसर क्यों हो जाता है. इससे बचा कैसे जाए और इसका इलाज क्या है. 

सबसे आम स्किन कैंसर

ये हमें बताया डॉक्टर अरुण कुमार गोयल ने. 

dr arun kumar goyal
डॉ. अरुण कुमार गोयल, चेयरमैन, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, एंड्रोमेडा कैंसर हॉस्पिटल

स्किन कैंसर कई तरह के होते हैं. लेकिन 3 कैंसर सबसे आम होते हैं. पहला है बेसल सेल कार्सिनोमा. दूसरा है स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा. तीसरा है मेलेनोमा कैंसर. इनके अलावा, कुछ और तरह के कैंसर भी होते हैं. जैसे लिम्फोमा और मर्केल सेल कार्सिनोमा वगैरह. 

बेसल सेल कार्सिनोमा सबसे धीरे-धीरे बढ़ता है. ये आमतौर पर दूसरी जगहों पर नहीं फैलता. स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा कभी-कभी दूसरी जगहों पर फैल सकता है, जैसे लिम्फ नोड्स. मेलेनोमा कैंसर स्किन के पिगमेंट सेल्स, जो स्किन को उसका रंग देते हैं, उससे बनता है. ये बहुत तेज़ी से शरीर के बाकी हिस्सों में भी फैल सकता है

स्किन कैंसर क्यों होता है?

स्किन कैंसर होने का सबसे आम कारण है धूप में रहना. धूप की अल्ट्रावायलेट (UV) किरणें ज़्यादा नुकसान पहुंचाती हैं. जो लोग धूप में किसी भी कारण से ज़्यादा रहते हैं, उनमें स्किन कैंसर का रिस्क बढ़ जाता है. जिन लोगों की स्किन लाइट होती हैं, वो भी स्किन कैंसर के ज़्यादा रिस्क पर होते हैं. कमज़ोर इम्यूनिटी वालों को भी स्किन कैंसर का ज़्यादा रिस्क होता है, जैसे ट्रांसप्लांट के मरीज़ और HIV पेशेंट्स. अगर कैंसर के इलाज में रेडिएशन का इस्तेमाल हुआ है, तो भी स्किन कैंसर का रिस्क हो सकता है. काम के चलते केमिकल्स के संपर्क में रहने वालों को भी स्किन कैंसर हो सकता है. अगर स्किन कैंसर की फैमिली हिस्ट्री है तो भी रिस्क ज़्यादा है

स्किन कैंसर से बचाव

स्किन कैंसर से बचाव के लिए सबसे ज़रूरी है धूप से बचना. तेज़ धूप में जाने से बचें. छाता, ग्लव्स, टोपी पहनें. कम से कम 30-35 SPF वाली सनस्क्रीन इस्तेमाल करें. अगर 50 से ज़्यादा SPF इस्तेमाल कर रहे हैं, तो और भी अच्छा है. हेल्दी लाइफस्टाइल जिएं. फल, रंग-बिरंगी सब्ज़ियां खाएं. 

स्किन कैंसर का इलाज

स्किन कैंसर का सबसे अहम इलाज सर्जरी है, क्योंकि सर्जरी की मदद से कैंसर को शरीर से अलग किया जा सकता है. कभी-कभी प्लास्टिक सर्जरी की भी ज़रुरत पड़ती है ताकि घांव भरा जा सके. इसके अलावा क्रायोथेरेपी और कीमोथेरेपी की लोकल क्रीम भी इस्तेमाल की जा सकती हैं. अगर सर्जरी मुमकिन नहीं है या ट्यूमर ऐसी जगह है, जहां सर्जरी नहीं की जा सकती तो रेडिएशन से इलाज होता है. मेलेनोमा कैंसर में इम्यूनोथेरेपी दी जाती है. एडवांस्ड मेलेनोमा में टार्गेटेड थेरेपी भी दी जाती है.

अगर स्किन कैंसर से बचना है तो धूप की अल्ट्रावायलेट किरणों से भी बचना होगा. इसके लिए सनस्क्रीन लगाएं. जैसा शेफ़ गॉर्डन रामसे ने बताया भी. हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाइए. हेल्दी खाना खाइए. अगर स्किन में कहीं अचानक बदलाव आ रहा है. कोई नई ग्रोथ है जैसे भूरा-काला निशान या मस्सा या पुराने मस्से में बदलाव दिख रहा है ,तो डॉक्टर को ज़रूर दिखाएं. समय पर जांच होना ज़रूरी है.  

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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