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थायरॉइड के मरीज़ों का वज़न क्यों बढ़ जाता है?

थायरॉइड गले में मौजूद एक ग्लैंड यानी ग्रंथि होती है. ये तितली के आकार की होती है. इसका काम T3 और T4 नाम के हॉर्मोन बनाना है. ये दोनों हॉर्मोन शरीर के मेटाबॉलिज़्म को दुरुस्त रखते हैं.

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देश में थायरॉइड से जुड़े डिसऑर्डर्स काफी आम हैं
16 जून 2025 (Published: 04:29 PM IST) कॉमेंट्स
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कुछ लोग वज़न घटाने के लिए हफ़्तों-महीनों मेहनत करते हैं, पर उनका वज़न कम होता ही नहीं. हेल्दी खाते हैं. जंक फ़ूड और बाहर के खाने से दूर रहते हैं. एक्सरसाइज करते हैं. लेकिन, वज़न टस से मस नहीं होता. अगर आप भी वेट लॉस करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वज़न बिल्कुल कम नहीं हो रहा, या बहुत ही धीरे-धीरे घट रहा है. एक किलो घटने में दो-दो महीने लग रहे हैं, तो एक बार आपको थायरॉइड की जांच ज़रूर करानी चाहिए. 

जिन लोगों को थायरॉइड से जुड़ी समस्या होती है, उनका वज़न या तो घटता नहीं है. अगर घटता भी है तो बहुत ही धीरे-धीरे. मगर ऐसा क्यों, ये हमें बताया आकाश हेल्थकेयर में एंडोक्राइनोलॉजी डिपार्टमेंट की सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर मोनिका शर्मा ने.

dr monika sharma
डॉ. मोनिका शर्मा, सीनियर कंसलटेंट, एंडोक्राइनोलॉजी, आकाश हेल्थकेयर

थायरॉइड गले में मौजूद एक ग्लैंड यानी ग्रंथि होती है. ये तितली के आकार की होती है. इसका काम T3 और T4 नाम के हॉर्मोन बनाना है. ये दोनों हॉर्मोन शरीर के मेटाबॉलिज़्म को दुरुस्त रखते हैं. मेटाबॉलिज़्म यानी हम जो खाना खाते हैं, उसे एनर्जी में बदलने, नए सेल्स बनाने और पुराने को बचाए रखने का पूरा कार्यक्रम. और, ऐसा तभी होता है जब ये दोनों हॉर्मोन पर्याप्त मात्रा में बनते हैं.

मगर, हाइपोथायरॉइडिज़्म में ये T3 और T4 हॉर्मोन कम बनते हैं. इससे शरीर का मेटाबॉलिज़्म धीमा हो जाता है. ऐसा होने पर शरीर कम कैलोरीज़ बर्न करता है. नतीजा? शरीर में फैट जमा होने लगता है. इससे वज़न बढ़ता है. धीमे मेटाबॉलिज़्म की वजह से एक्सरसाइज करने या कम खाने के बावजूद भी वज़न आसानी से नहीं घटता.

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हाइपोथायरॉइडिज़्म होने पर थकावट भी बहुत लगती है 

हाइपोथायरॉइडिज़्म होने पर थकान भी खूब महसूस होती है. जब शरीर थका होता है, तो कोई काम करने का मन नहीं करता. एक्सरसाइज़ तो दूर की बात है. इंसान जब एक्सरसाइज ही नहीं कर पाता तो वज़न घटाना और भी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में जिन्हें हाइपोथायरॉइडिज़्म होता है, उन्हें वेट लॉस के लिए एक्स्ट्रा मेहनत करनी पड़ती है. 

लिहाज़ा, ज़रूरी है थायरॉइड का टेस्ट करवाना. अगर हाइपोथायरॉइडिज़्म निकलता है, तो इसका इलाज होना बेहद ज़रूरी है. डॉक्टर की दी हुई दवाएं टाइम पर लें. खूब पानी पिएं. अपनी डाइट में आयोडीन और सेलेनियम से भरपूर चीज़ें शामिल करे. ये दोनों ही थायरॉइड ग्रंथि के ठीक तरह काम करने के लिए ज़रूरी हैं. आयोडीन के लिए दूध, योगर्ट, चीज़, डेयरी प्रोडक्ट्स, अंडा, आयोडीन वाला नमक, टूना मछली और सूखा आलूबुखारा खाया जा सकता है. वहीं, सेलेनियम के लिए पके हुए ब्राउन राइस, मशरूम, पालक, दूध, दालें, सूरजमुखी के बीज, मीट, मछली, अंडे और योगर्ट ले सकते हैं.

साथ ही, अपना स्ट्रेस मैनेज करें. स्ट्रेस होने पर एक्सरसाइज़ करने का मन नहीं करता. ठीक से नींद नहीं आती. खान-पान गड़बड़ा जाता है. इससे थायरॉइड ग्रंथि की सेहत को नुकसान पहुंचता है. इसलिए, स्ट्रेस कम लें. हेल्दी खाएं. रोज़ 7 से 8 घंटे सोएं. सबसे ज़रूरी, वज़न घटाना है तो एक्सरसाइज़ करना न भूलें. ये आपके लिए बहुत ज़रूरी है. 

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

वीडियो: सेहत: अगर बीपी की दवा के साइड इफेक्ट हों तो क्या करना चाहिए?

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