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जॉन अब्राहम की 'परमाणु' उस मिशन पर बनी है जो करने से अमेरिका ने इंडिया को मना किया था

वो काम जिसे करने के बाद पूरी दुनिया इंडिया से नाराज़ हो गई थी.

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फिल्म में जॉन अब्राहम के अलावा डायना पेंटी, बोमन इरानी और योगेंद्र टिकू भी नज़र आएंगे.
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श्वेतांक
12 मई 2018 (Updated: 12 मई 2018, 12:36 PM IST)
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जॉन अब्राहम की नई फिल्म आ रही है 'परमाणु- द स्टोरी ऑफ पोखरण' (Parmanu- The Story of Pokhran). ये भारतीय सेना के उस न्यूक्लियर टेस्ट पर बनी है जो भारतीय सेना ने राजस्थान के पोखरण में किया था. 1998 में ये परीक्षण किया गया और 11 मई को इसकी 20वीं सालगिरह पर फिल्म का ट्रेलर रिलीज़ किया गया है.
प्रोड्यूसर्स के बीच विवाद की वजह से ये फिल्म कोर्ट में भी गई थी, अब जाकर रिलीज तय हुई है - 25 मई. अभिषेक शर्मा ने इसे डायरेक्ट किया है जो 'तेरे बिन लादेन' जैसी कॉमेडी के लिए जाने जाते हैं. जानते हैं 'परमाणु' की कुछ और बातेंः
#1. ये कहानी असली है. कहानी है इंडिया के दूसरे न्यूक्लियर टेस्ट की. पहला परमाणु परीक्षण 1974 में भारत ने कर दिया था और उस मिशन को 'स्माइलिंग बुद्धा' पुकारा गया. इसके दो दशक बाद विश्व में बहुत से देशों के पास परमाणु बमों की ताकत बढ़ती गई और भारत के सत्ता संस्थानों ने भी तय किया कि उन्हें ज्यादा परमाणु बम बनाने चाहिए. लेकिन अमेरिका जैसे देश जो ख़ुद बेपनाह परमाणु बम बनाकर बैठे हैं, वो नहीं चाहते थे कि भारत जैसे दूसरे देश न्यूक्लियर पावर पाएं. इसलिए अमेरिका बाकी देशों की तरह इंडिया पर भी सैटेलाइट्स से नजर रखा रहा था. और इंडिया के रक्षा संस्थान परमाणु पावर बनने की तैयारी कर रहे थे, छुप-छुपकर.
असल में 5 न्यूक्लीयर बॉम्ब का टेस्ट होना था, जिसमें से एक फ्यूज़न और चार फिज़न बम थे. लेकिन फिल्म में इन बमों की संख्या छह बताई गई है.
असल में 5 न्यूक्लियर बॉम्ब का टेस्ट होना था, जिसमें से एक फ्यूज़न और चार फिज़न बम थे. लेकिन फिल्म में इन बमों की संख्या छह बताई गई है.

अमेरिका औऱ दुनिया के बाकी देश इससे गुस्सा हो गए थे. उन्होंने इंडिया और पाकिस्तान को ऐसी टेक्नोलॉजी पाने से बहिष्कृत कर दिया. मगर इंडिया को परमाणु बम बनाने और उनके परीक्षण करने थे. वहीं, दूसरी तरह दुनिया को एक शॉकिंग खबर मिली. वो ये कि पाकिस्तान परमाणु बम तैयार कर रहा है. और उसका ये प्रोजेक्ट अमेरिका के 'मैनहैट्टन प्रोजेक्ट' से काफी मिलता-जुलता है. मतलब साफ था. अमेरिका पाकिस्तान को वो सारी तकनीक उपलब्ध करवा रहा था, जिसका उपयोग वो खुद कर रहा था और इंडिया को रोक रहा था.
#2. जॉन अब्राहम की फिल्म 'परमाणु' पहली फिल्म है जो 1998 के भारत के इस मिशन पर परदे पर ला रही है. इसके ट्रेलर में दिखता है कि अमेरिका अब तक हज़ार से ज़्यादा न्यूक्लियर टेस्ट कर चुका है. उसी की तरह चीन भी 45 से ज़्यादा परमाणु बमों का परीक्षण कर चुका है. इसी ताकत के दम पर चीन ने पहले भारत को हरा दिया था. इसे देखते हुए अब इंडिया को न्यूक्लियर पावर बनना है. जैसे ही ये बात अमेरिका को पता चलती है, वो भारत को मना कर देता है.
जहां ये परमाणु परीक्षण किए गए थे, वो पोखरण राजस्थान के जैसलमेर जिले में पड़ता है. इंडिया का पहला न्यूक्लीयर टेस्ट 'स्माइलिंग बुद्धा' भी यहीं हुआ था.
जहां ये परमाणु परीक्षण किए गए थे, वो पोखरण, राजस्थान के जैसलमेर जिले में पड़ता है. इंडिया का पहला न्यूक्लियर टेस्ट 'स्माइलिंग बुद्धा' भी यहीं हुआ था.

#3. इसके बावजूद इंडिया अपना न्यूक्लियर टेस्ट करने जा रहा है. इस मिशन को गुपचुप पूरा करने के लिए कुछ खास अफसरों को चुना गया है. खास इसलिए क्योंकि इस काम के लिए न तो उन्हें कोई स्पेशल रैंक दी जाएगी, न सैलरी और न ही कोई मेडल. इसे लेकर जॉन अब्राहम का किरदार बोलता भी हैः
"हमने जो सोचा, वो देश के लिए था. हमने जो किया, वो देश के लिए है. हमने जो पाया, वो देश का होगा."
फिल्म में इस मिशन के लिए छह अफसर चुने जाते हैं. इनमें से दो हैं जॉन अब्राहम और डायना पेंटी. इस टेस्ट की तैयारी करने के लिए अड्डा बनता है राजस्थान में जैसलमेर का पोखरण फोर्ट.  ये छह अफसर वहां पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधिकारी बनकर जाते हैं. जिस दिन न्यूक्लियर टेस्ट होना है, उस दिन उन्हें सिर्फ 30 मिनट का टाइम दिया जाता है. इतने से समय में उन्हें छह टेस्ट करने हैं. ये कैसे होता है और इसमें क्या-क्या अड़चनें आती हैं ये 'परमाणु' में दिखता है.
फिल्म में जॉन एक मिलिट्री ऑफिसर के रोल में दिखाई देंगे.
फिल्म में जॉन, अश्वत रैना नाम के एक मिलिट्री ऑफिसर के रोल में दिखाई देंगे.

#4. इस फिल्म का आइडिया तीन साल पहले प्रेरणा अरोड़ा को आया था जिनकी क्रिअर्ज़ एंटरटनमेंट नाम की प्रोडक्शन कंपनी है. वो इसे लेकर पहले अक्षय कुमार के पास गईं. लेकिन अक्षय दूसरे प्रोजेक्ट्स में बिज़ी थे. फिर वे जॉन अब्राहम की टीम से मिलीं. ये कहानी सुनने के बाद जॉन ने इसमें काम करने और प्रोड्यूस करने का फैसला किया.
#5. बनते-बनते ये फिल्म विवाद में भी आ गई थी. इसके प्रोड्यूसर्स प्रेरणा अरोड़ा और जॉन अब्राहम में पैसों को लेकर झगड़ा हो गया था. दरअसल शुरू में इन दोनों में जो करार हुआ था उसके मुताबिक फिल्म जॉन को बनवानी थी जिसके लिए प्रेरणा की कंपनी 35 करोड़ रुपए देने वाली थी. लेकिन दिए सिर्फ 32 करोड़. इसमें पांच करोड़ जॉन की फीस थी. ये तय हुआ था कि बाकी बचे तीन करोड़ तब दिए जाएंगे जब फिल्म तैयार हो जाएगी. बनकर तैयार हुई तो जॉन के मुताबिक प्रेरणा पैसे नहीं दे रही थीं. प्रोजेक्ट अटकता देख जॉन नाराज हो गए और उन्हें बिना बताए फिल्म का पहला टीज़र रिलीज़ कर दिया, जो बाद में उन्हें हटाना पड़ा.
अमेरिका से धमकी मिलने के बावजूद भारत सफल परमाणु परीक्षण करता है.
जॉन का कैरेक्टर फिल्म में परमाणु परीक्षण के जिस मिशन में लगा है वो 1998 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कहने पर ही हुआ था. 

#6.  इसके बाद प्रेरणा ने जॉन अब्राहम की कंपनी 'जे.ए. एंटरटेनमेंट' पर धोखाधड़ी, फंड के गलत इस्तेमाल और कॉपीराइट हनन के आरोप लगाते हुए एफआईआर करवा दी. बदले में जॉन ने भी उन पर तीन केस कर दिए. मामला पहुंचा कोर्ट में. अदालत ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद प्रेरणा से कहा कि वो जॉन की कंपनी को छह करोड़ रुपए दें. मतलब प्रेरणा केस हार गईं. इसके बाद क्रिअर्ज की ओर से एक प्रेस रिलीज़ कर उन्होंने ऐलान किया कि कंपनी 'परमाणु' से अलग हो रही है और ये अब उनके प्रोडक्शन का हिस्सा नहीं है.
हालांकि ये पहली दफा नहीं है जब प्रेरणा और उनकी कंपनी ऐसे कानूनी पचड़े में फंसी है. इससे पहले भी अभिषेक कपूर की सुशांत सिंह स्टारर फिल्म ‘केदारनाथ’ के साथ भी ये हो चुका है. ‘केदारनाथ’ मामले में प्रेरणा ने अभिषेक कपूर पर आरोप लगाया था कि उन्होंने उनसे सलाह किए बिना फिल्म की रिलीज़ डेट 21 दिसंबर 2018 सोशल मीडिया पर अनाउंस कर दी थी. जबकि इसी दिन शाहरुख खान की फिल्म ‘ज़ीरो’ भी लगने वाली है. इसके बाद मामला कानूनी दांव-पेच में फंस गया और फिल्म की शूटिंग रोकनी पड़ी. अब इस फिल्म से रॉनी स्क्रूवाला जुड़े हैं तो शूटिंग फिर शुरू हुई है.
फिल्म का ट्रेलर देखें:

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