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ईश्वर भी मजदूर है? लेखक लोग तो ऐसा ही कह रहे हैं!

पहली मई को दुनियाभर में मजदूरों के हक़ की बात कही जाती है.

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गुज़रे कुछ दिनों में जो सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलते-घिसटते घर गए. उन्हीं मजदूरों का दिन है
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सुमित
1 मई 2020 (Updated: 1 मई 2020, 01:21 PM IST)
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1 मई, 1886 की तारीख़. बेहतर सुविधाओं के बदले मजदूरों को मिली यातना वाली तारीख़. उनके हक़ और उनके आवाज़ की तारीख़. आज का मजदूर दिवस. गुज़रे कुछ दिनों में जो सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलते-घिसटते घर गए. उन्हीं मजदूरों का दिन. देश-दुनिया के साहित्य में इन मजदूरों पर ख़ूब लिखा गया है. आज इस दिन पढ़िए दुनिया भर में लिखी इन दस बेहतरीन कविताओं से कुछ हिस्से –

1#

मेहनत से ये माना चूर हैं हम आराम से कोसों दूर हैं हम पर लड़ने पर मजबूर हैं हम मज़दूर हैं हम मज़दूर हैं हम (असरार-उल-हक़ मजाज़) labour day2# माँ है रेशम के कार-ख़ाने में बाप मसरूफ़ सूती मिल में है कोख से माँ की जब से निकला है बच्चा खोली के काले दिल में है जब यहाँ से निकल के जाएगा कार-ख़ानों के काम आएगा अपने मजबूर पेट की ख़ातिर भूख सरमाए की बढ़ाएगा (अली सरदार जाफ़री) labour day3# क्या तेरे साज़ में भी दहकती है कोई आग गुलनार देखती हैं ये मज़दूर औरतें मेहनत पे अपने पेट से मजबूर औरतें (जाँ निसार अख़्तर) 034# उसे क्या फ़र्क़ पड़ता है उसे तो हर गुज़रता साल इक जैसा ही लगता है वो इक मज़दूर है जिस की मुसलसल भूख और इफ़्लास से अर्से से लम्बी जंग जारी है (शहनाज़ परवीन शाज़ी) labour day5# आज लेबर-यूनियन में शादमानी आई है आज मज़दूरों को याद अपनी जवानी आई है मिल के मालिक को मगर याद अपनी नानी आई है या इलाही क्या बला-ए-आसमानी आई है (सय्यद मोहम्मद जाफ़री) labour day6# ईश्‍वर भी एक मज़दूर है ज़रूर वह वेल्‍डरों का भी वेल्‍डर होगा. शाम की रोशनी में उसकी आंखें अंगारों जैसी लाल होती हैं, रात उसकी क़मीज़ पर छेद ही छेद होते हैं. -सबीर हका (अनुवाद: गीत चतुर्वेदी) labour day7# मैंने कितने मज़दूरों को देखा है इमारतों से गिरते हुए, गिरकर शहतूत बन जाते हुए। -सबीर हका (अनुवाद: गीत चतुर्वेदी) labour day8# वो जिसके हाथ में छाले हैं पैरों में बिवाई है उसी के दम से रौनक आपके बंगले में आई है -अदम गोंडवी labour day9# वह तोड़ती पत्थर; देखा मैंने उसे इलाहाबाद के पथ पर- वह तोड़ती पत्थर... -सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ labour day10# लेकिन अगर तुम्हारे धन की कीमत हमारा खून है तो भगवान कसम, ये कीमत हम बहुत पहले अदा कर चुके हैं अज्ञात (अंग्रेजी से अनुवाद- प्रेरणा प्रथम सिंह) labour day
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