The Lallantop
Advertisement

इस औरत को लगा इंजेक्शन सही निकला तो पूरी दुनिया कोरोना वायरस से बच जाएगी

ये बहादुर महिला खुदपर ट्राय करवा रही है कोरोना का पहला संभावित टीका.

Advertisement
Img The Lallantop
बाईं तरफ वैक्सीन के ट्रायल शॉट से पहले वेटिंग रूम में बैठीं जेनिफर हॉलर/ दाईं तरफ कोरोना वायरस की सांकेतिक इमेज. (तस्वीर साभार: AP/Nature)
pic
प्रेरणा
19 मार्च 2020 (Updated: 24 मार्च 2020, 12:36 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
नॉवेल कोरोना वायरस. जिसकी वजह से COVID-19 बीमारी होती है. इसको लेकर आप लगातार खबरें पढ़ रहे होंगे. सोच रहे होंगे, इसका इलाज ढूंढने के लिए क्या किया जा रहा है? डॉक्टरों और वैज्ञानिकों की टीमें क्या कर रही है. तो एक अच्छी ख़बर है.
इसकी एक्सपेरिमेंटल वैक्सीन का पहला शॉट इंसानों को लगा दिया गया है ट्रायल के लिए. जिस पहले व्यक्ति को इसका शॉट दिया गया, वो एक महिला हैं. नाम है जेनिफर.
कौन हैं ये?
जेनिफर हॉलर. 43 साल की हैं. एक टेक कंपनी में ऑपरेशन्स मैनेजर के पद पर काम करती हैं. दो टीनएज बच्चों की मां हैं. सिएटल में रहती हैं.ये अमेरिका का एक शहर है. वॉशिंगटन स्टेट में. यहां पर है 'कायसर पर्मनेंते वॉशिंगटन रीसर्च इंस्टिट्यूट'. इसने वैक्सीन की रीसर्च के लिए ऐड निकाला था. एक फेसबुक पोस्ट के ज़रिए जेनिफर ने उसे देखा, और अप्लाई कर दिया. कुछ दिनों बाद उनके पास फोन आया. उन्हें रीसर्च के लिए बुलाया गया था.
Jennifer Ap जेनिफ़र एक रेस्तरां में बैठी थीं, जब उनके पास फोन आया कि उन्हें रीसर्च के लिए चुना गया है. (तस्वीर साभार: AP)

क्या है ये रीसर्च?
इंस्टिट्यूट में 45 वालंटियर्स को दो डोजेज दी जाएंगी. एक महीने के अंतराल पर. फिर देखा जाएगा कि उनका शरीर इस वैक्सीन को लेकर किस तरह रियेक्ट कर रहा है. अलग अलग लोगों को अलग अलग ताकत वाली डोज़ देकर देखा जाएगा कि कितनी स्ट्रेंथ वाली डोज़ तैयार करनी है वैक्सीन के लिए. उसके बाद फिर आगे बढ़ेगी ये रीसर्च. डॉक्टर लीजा जैकसन इस रीसर्च को लीड कर रही हैं.
जेनिफर हॉलर ने एसोसिएटेड प्रेस को दिए एक इंटरव्यू में बताया,
‘हम सभी असहाय महसूस कर रहे हैं. ये मेरे लिए कुछ कर पाने का एक बेहद बढ़िया मौक़ा है. मेरे दोनों बच्चे सोचते हैं कि मेरा इस रीसर्च प्रोजेक्ट में हिस्सा लेना बहुत अच्छा काम है’.
इंजेक्शन लेने के बाद कमरे से बाहर निकलते हुए उन्होंने कहा, ‘मुझे अच्छा लग रहा है’.
इस रीसर्च को लीड कर रही डॉक्टर लीज़ा जैकसन ने AP को बताया,
‘अब हम टीम कोरोना वायरस हैं. इस आपातकाल की स्थिति में लोग जो भी कर सकते हैं, वो करना चाह रहे हैं’.
Doc Lisa Ap अपने वर्कस्टेशन पर काम करतीं डॉक्टर लीज़ा जैकसन. वो इस रीसर्च में सीनियर इन्वेस्टिगेटर हैं.(तस्वीर साभार: AP)
वैक्सीन कैसे काम करती है?
शरीर में नए वायरस के आने पर हमारा इम्यून सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक तंत्र चौंक जाता है. जब तक वो इस वायरस से लड़ने की तैयारी करे, तब तक काफी नुकसान हो जाता है शरीर को. वैक्सीन में वायरस के कमज़ोर सैम्पल होते हैं, ताकि शरीर उनके लिए पहले से तैयार रहे. शरीर का इम्यून सिस्टम इन कमज़ोर सैम्पल्स से लड़ने के लिए खुद को तैयार कर लेता है. और वायरस उसके लिए नया नहीं रह जाता. लेकिन कितनी मात्रा में डोज दी जाएगी, उससे शरीर को कहीं कोई ख़तरा तो नहीं, कोई साइड इफेक्ट तो नहीं, ये सब मापने में समय लगता है. वैक्सीन के बनने से लेकर उसके काम करने की प्रक्रिया तक पर आप पूरी जानकारी यहां क्लिक कर के पढ़ सकते हैं.

इस टेस्ट के बाद क्या होगा?
वायरस के रिस्क को ध्यान में रखते हुए क्लिनिकल ट्रायल कई फेज़ में होते हैं. आप हर फेज़ में वॉलंटियर्स के प्रकार, उनकी संख्या और इसमें लगने वाले टाइम पर गौर कीजिएगा.
फेज़ 1
सबसे पहले दर्जनों स्वस्थ लोगों पर वैक्सीन का ट्रायल होता है. इसमें करीब तीन महीने लगते हैं. अगर इन्हें कोई दिक्कत नहीं होती, तो अगले फेज़ पर बढ़ा जाता है.
फेज़ 2
इस बार सैकड़ों लोगों को टीका लगाया जाता है. कोशिश होती है कि ये लोग वायरस के संक्रमण वाले इलाके से हों. इसमें छ: से आठ महीने लग जाते हैं. अगर यहां भी सब चंगा होता है, तो अगले फेज़ पर बढ़ते हैं.
Vaccine Rep कोई भी वैक्सीन बनाने में सालों तक का समय भी लग सकता है. क्योंकि ये सुनिश्चित करना ज़रूरी होता है कि ये किसी भी तरह से खतरनाक तो साबित नहीं होगी. इसमें काफी रीसर्च लगती है. (सांकेतिक तस्वीर: Reuters)

फेज़ 3
इस फेज़ के लिए कई हज़ार लोगों को लिया जाता है. वो भी वायरस आउटब्रेक वाले इलाके से. यहां छ:-आठ महीने और लगते हैं. अगर इस फेज़ में भी कोई दिक्कत नहीं होती, तो मामला आगे बढ़ता है. अप्रूवल की तरफ.
सारे टेस्ट का डेटा किसी ड्रग रेग्युलेटरी बॉडी के पास जाता है. भारत में Central Drugs Standard Control Organization है. अमेरिका में US Food and Drug Administration है. ये संस्थाएं सारा डेटा देखती हैं और उसके बाद फैसला करती हैं कि वैक्सीन को अप्रूव करना है या नहीं. इस प्रोसेस में भी कई महीने या सालभर का समय लग सकता है. ये सब हो चुकने के बाद इस वैक्सीन की मैन्युफैक्चरिंग और डिस्ट्रीब्यूशन का काम शुरू होता है.
जेनिफर हॉलर और उनके साथ के दूसरे वॉलंटियर्स इतिहास का हिस्सा बन रहे हैं. एक वैश्विक महामारी के दौरान इंसानों के सर्वाइवल की लड़ाई में फ्रंट पर भेजे गए पहले सैनिक. जिनका योगदान हमेशा याद रखा जाना चाहिए. उन डॉक्टर्स का भी, जिन्होंने बेहद कम समय में एक बड़ी बीमारी से निपटने में रात-दिन एक कर दिए हैं.


वीडियो:  साइंसकारी: जानिए कोरोना वायरस की वैक्सीन कब आएगी और इसको बनाने का प्रॉसेस क्या है?

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement