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  • Film Review: Daddy based on the life of Mumbai gangster Arun Gawli starring Arjun Rampal, Nishikant Kamath directed by Ashim Ahluwalia

फ़िल्म रिव्यू : डैडी

मुंबई के गैंगस्टर अरुण गवली के जीवन पर बनी फ़िल्म.

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डैडी फिल्म में अर्जुन रामपाल ने अरुण गवली का किरदार निभाया है.
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केतन बुकरैत
8 सितंबर 2017 (Updated: 8 सितंबर 2017, 08:57 AM IST)
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ब्रा गैंग. ब्रा यानी अंग्रेजी में BRA. B से बाबू, R से रमा और A से अरुण. अरुण गवली. वो नाम जो ब्रा का आखिरी सिरा था. जो अटक जाता है. आपके दिमाग में. उसकी एक-एक हरकत अटक जाती है. मुंबई का डॉन, अरुण गवली. वो भी उस समय में जब डॉनगिरी मुंबई से खतम हो चुकी थी. जब 93 के बदसूरत दंगे हो चुके थे और दाऊद इब्राहिम देश छोड़कर भाग चुका था. जब पुलिस टेक्नोलॉजी से लैस थी और उतनी असहाय नहीं थी. उसने दगड़ी चॉल को एक किला बना दिया. और अपने चेलों को अंडरग्राउंड ट्रेनिंग देता. उन्हें इसका भत्ता भी मिलता. वो रॉबिनहुड बन गया. पॉलिटिक्स में घुसा और एमएलए बन गया. एक गैंगस्टर होने के बाद पॉलिटिकली इतना ताकतवर हो जाने पर गवली के इतने दुश्मन बन गए जितनी आंखें वो जुटा नहीं सका. पुलिस ने भी साम-दाम-दंड के अलावा भेद का भरपूर उपाय लगाकर उसे जेल पहुंचाया. फ़िल्म डैडी पूरी तरह से अरुण गवली की जीवनी है. डैडी ही उसका नायक है और डैडी ही उसका विलेन. कितना हीरो है और कितना विलेन, ये देखने वाले के विवेक पर निर्भर करता है.


बहुत वक़्त के बाद हिंदी फ़िल्मों में किसी की जीवनी को इस इंटेंसिटी के साथ स्क्रीन पर लाया गया है. अगर आप क्राइम फ़िल्मों के मुरीद हैं तो अशीम अहलुवालिया की बनाई फ़िल्म डैडी आपको जकड़े रहेगी. हमारी फिल्मों में इतिहास में घुसकर क्राइम दिखाने की भतेरी कोशिश की गई है. ज़ंजीर (नई वाली), स्ट्राइकर, वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई, बॉम्बे वेल्वेट वगैरह इसका उदाहरण हैं. लेकिन डैडी एक अलग प्रभाव छोड़ती है. अरुण के एक लुक्खा होने से लेकर रॉबिनहुड बन जाने तक के सफ़र को देखते हुए आप खुद को पत्थर का बन गया पाते हैं. सामने जो भी चल रहा होता है, आप उसमें घुसे होते हैं. असल जीवन में एक कमाल की नाटकीय जीवन यात्रा को इस फ़िल्म में जिस तरह से दिखाया गया है, उसकी तारीफ़ की जानी चाहिए.



कोई बड़े डायलॉग्स नहीं. "दुआ में याद रखना." जैसी बकैती नहीं. गवली एक चुप रहने वाला, चीज़ों को सफ़ेद और स्याह में देखने वाला इंसान था. उसे वैसा ही दिखाया गया. उसने वक़्त आने पर दाऊद से हाथ मिलाने से इनकार कर दिया. उसने दाऊद के घर (पढ़ें इलाके) में घुसकर उसपर गोलियां चलाईं क्यूंकि उसे दाऊद से डर नहीं लगता था. उसे बस इतना मालूम था कि दाऊद उसका दुश्मन है. बड़ा या छोटा, फ़र्क नहीं पड़ता था. कोई सेंटी सीक्वेंस नहीं. कोई मां से बिछड़ना नहीं, कोई पत्नी का मरना नहीं. सब कुछ एक दम सादा. जैसे फ़िल्म बनाने वालों से किसी ने कह दिया हो, "मुद्दे की बात करो."
arjun rampal daddy
डैडी में अर्जुन रामपाल.


अर्जुन रामपाल ने अपने जीवन का सबसे शानदार रोल किया है. इस फ़िल्म के लिए जितनी मेहनत और जितना स्ट्रगल अर्जुन ने किया है, शायद ही किसी और ने किसी फिल्म के लिए किया हो. जब इस फ़िल्म को कोई भी प्रोड्यूस करने को तैयार नहीं हुआ तो इसकी ज़िम्मेदारी भी उन्होंने अपने कंधे पर ले ली. इस फ़िल्म में अरुण डावली का भौकाल वैसा ही था जैसे सरकार में देखने को मिला था. गवली का रोल बार-बार सरकार के शंकर की याद दिलाता था. शंकर की अप्रोच और सरकार का भौकाल. इसका कॉम्बो है गवली. क्राइम पर बनी फ़िल्मों में बहुत ही कम ऐसे किरदार होंगे जो गवली से मुक़ाबला कर पाएंगे. अर्जुन रामपाल के सिवा एक और चेहरा जो अटक जाता है. उसका नाम आप जानना चाहते हैं. ज़रा सा ढूंढें तो मालूम चलता है वो निशिकांत कामत है. गवली की ज़िन्दगी का मुख्य विलेन. निशिकांत मराठी एक्टर हैं और इस फ़िल्म में वो पुलिसवाले बने हैं जो अपने रिटायरमेंट को होल्ड पर रखकर गवली के पीछे पड़ा है.
nishikant Kamath daddy
निशिकांत कामत


फ़िल्म की सबसे अच्छी बात, इसमें मसाला नहीं मारा गया है. कोई छौंका नहीं. कोई तड़का नहीं. जो जैसा होना चाहिए, वैसा है. यहां तक कि फ़िल्म की पेस से भी छेड़छाड़ नहीं की गई है. हर वक्त एक्शन-एक्शन की भभक नहीं है.
फ़िल्म की सबसे बुरी बात, इसमें काफ़ी कुछ छुआ ही नहीं गया है. फ़िल्म देखें तो लगेगा जैसे मुंबई में कभी भी शिव-सेना या बाल ठाकरे जैसा कुछ हुआ ही नहीं. गवली के उस पूरे चैप्टर को छोड़ दिया गया है. साथ ही दूसरी सबसे बुरी बात दाऊद इब्राहिम का रोल प्ले करने वाला एक्टर. उसकी कास्टिंग जिसने की उसे ब्लैक लिस्ट कर देना चाहिए. उस एक्टर का नाम नहीं बताया जाएगा. सीक्रेट है. ब्लैक फ्राइडे फ़िल्म में मात्र 5 सेकंड के लिए दाऊद दिखाई देता है. लेकिन मालूम देता है कि गजराज राव के सामने असल में दाऊद ही खड़ा है. डैडी में तो उसका कैरेक्टर मज़ाक लगता है.
डैडी एक बढ़िया गैंगस्टर फ़िल्म है. अर्जुन रामपाल ने खुद में जो विश्वास दिखाया वो फलीभूत हुआ है. ऐसा लगता है कि ये फ़िल्म धीरे-धीरे ज़ोर पकड़ेगी. क्राइम और गैंगस्टर से जुड़ी फ़िल्मों में जिन्हें आनंद आता है उनके लिए ये फ़िल्म एक ट्रीट है.
फ़िल्म देखने जाइए. एक बेहद नाटकीय ज़िन्दगी को पर्दे पर देखने के लिए. अर्जुन रामपाल समेत तमाम बेहतरीन एक्टिंग परफॉरमेंस के लिए. और लगातार बदलते नेरेशन के साथ कहानी को आगे बढ़ते हुए देखने के लिए.



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