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फ़िल्म रिव्यूः चोक्ड - पैसा बोलता है

आज, 5 जून को रिलीज़ हुई ये हिंदी फ़िल्म अनुराग कश्यप ने डायरेक्ट की है.

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फ़िल्म के दो दृश्य. सरिता की रसोई में ख़ज़ाना और टीवी पर प्रधानमंत्री की ऐतिहासिक घोषणा. (फोटोः नेटफ्लिक्स)
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गजेंद्र
5 जून 2020 (Updated: 5 जून 2020, 08:08 AM IST) कॉमेंट्स
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फ़िल्म: चोक्ड - पैसा बोलता है । डायरेक्टर: अनुराग कश्यप । कलाकार: सैयामी खेर, रोशन मैथ्यू, अमृता सुभाष, उपेंद्र लिमये । अवधि: 1 घंटा 54 मिनट । प्लेटफॉर्मः नेटफ्लिक्स

ये कहानी है सरकारी बैंक में काम करने वाली सरिता सहस्त्रबुद्धे की. मराठी महिला है, पति साउथ इंडियन. सुशांत पिल्लई. जो बेरोज़गार है. घर के छुटकर काम करता है या दोस्तों के साथ बैठकर कैरम खेलता है. इनका एक नन्हा बेटा है समीर. मध्यमवर्गीय परिवार है. रोज़ आलू की सब्ज़ी बनती है. सरिता रोज़ घर का काम करके, टिफिन बनाकर, लोकल ट्रेन पकड़कर बैंक जाती है. शाम को भाजी तरकारी लेते हुए लौटती है. थकी हारी. वापस आकर फिर रसोई में जुटती है. खाना पकाती है. लाइफ नीरस है. देखकर कोई कह नहीं सकता कि इनकी लव मैरिज थी.
एक रात सबकुछ तब बदल जाता है जब सरिता का रसोई का नाला ओवरफ्लो हो जाता है और उसमें से पैसे निकलते हैं. हज़ार हज़ार के नोट. वो चौंक जाती है. एक बार फिर ऐसा होता है. वो बहुत खुश हो जाती है. लेकिन तभी देश में नोटबंदी की घोषणा कर दी जाती है. हज़ार और पांच सौ के पुराने नोट बंद. उसे धक्का लगता है. लेकिन फिर रसोई के पाइप से 2000 के नए नोट निकलने लगते हैं. पूरा माजरा क्या है ये आगे पता चलता है.
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आलू - मशरूम सीन.

दूसरा, जब नोटबंदी का दसवां दिन होता है तो एक न्यूज चैनल के शो की हैडिंग होती है - "आंतक पर भारी नोटबंदी." जिसमें एंकर कहता है कि "सड़क पर समस्याएं हैं, लोगों को पैसे नहीं मिल रहे हैं, ज़रूरी कामकाज पर असर पड़ रहा है लेकिन लोग नोटबंदी से खुश हैं क्योंकि आंतकवाद और नक्सलवाद पर चोट लगी है. 500 और 1000 के नोट बंद होने से इन लोगों की प्लानिंग धरी रह गई." ये न्यूज़ वाला जो बोलता है उस बात के खास साक्ष्य हालांकि कभी नहीं मिले.
फिर लोग मीडिया से कैसे राय बनाते हैं ये भी दिखता है. जब वही न्यूज़ देख देखकर कहानी में फोटोग्राफर गोपाल का किरदार कहता है - "हम लोग कितने किस्मत वाले हैं न आंटी. जीते जी मोदी जी का राज देख रहे हैं. पहले घर छोड़ा, वनवास रहे, हिमालय, ताकि हमारे अच्छे दिन आ सके." इस मंडली में बैठा सुशांत भी इन बातों को सच मान लेता है. घर आता है तो बीवी के साथ ये संवाद होता है -

सुशांतः पता है मोदी जी ने कितने साल सन्यास लिया था हिमालय में? सरिताः हां, चाय बनाकर बेचते भी थे. झाड़ू भी करते थे. बस उतना कर लूं मुझे आराम मिल जाए. सुशांतः पत्नी को भी छोड़कर चले गए थे देश के लिए. सरिताः तुम भी वही कर सकते हो. कम से कम घर में शांति तो होगी. सुशांतः तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है मोदी जी से? सरिताः मेरा मोदी जी से कोई प्रॉब्लम नहीं है, तुम से है सुशांत. जान निकल रही है मेरी बैंक में. कोई रो रहा है, कोई मर रहा है. चौबीस घंटे काम करो और वापस आओ तो घर साफ नहीं रहता है. टाइम नहीं है मेरे पास प्रधानमंत्री के बारे में सोचने के लिए. और तुम्हारे पास टाइम के अलावा कुछ है नहीं. ये लो, करो साफ. बनो प्रधानमंत्री.

'चोक्ड' के एक्टर्स की बात करें तो सरिता का रोल सैयामी खेर ने किया है जिन्हें हम राकेश मेहरा की 'मिर्ज़या' और नीरज पांडे की सीरीज़ 'स्पेशल ऑप्स' से जानते हैं. सुशांत का रोल रौशन मैथ्यू ने किया है. वो मलयालम सिनेमा से हैं. बीते साल गीतू मोहनदास की फिल्म 'मूथॉन' से चर्चा में आए थे जिसके हिंदी डायलॉग अनुराग ने ही लिखे थे.
Choked Paisa Bolta Hai Movie Review Saiyami Kher Roshan Mathew
'चोक्ड' में अपने किरदारों में सैयामी और रोशन. मिर्ज़या और मूथॉन के पोस्टर्स.

फिल्म में उपेंद्र लिमये, राजश्री देशपांडे और आदित्य कुमार भी दिखते हैं. ये सभी अपने किरदारों के साथ ईमानदार रहते हैं.
Upendra Limaye Rajshri Deshpande Aditya Kumar In Choked Paisa Bolta Hai The Lallantop Review
उपेंद्र, राजश्री, आदित्य.

जैसा विट और ह्यूमर अनुराग कश्यप की फिल्मों से हमेशा याद रहता है वो चोक्ड में अमृता सुभाष लाती हैं. उन्होंने शरवरी ताई का रोल किया है. उनके दो सीन यादगार हैं - 1. जब शरवरी ताई दाल बना रही होती है तभी छत में सीलन के कारण पपड़ी कूकर में गिर जाती है. वो चिल्लाती है "सुशांत ..." क्योंकि उसे बहुत बार बोल चुकी है किचन का नाला सही करवाने को जिससे सीलन आ रही है. सुशांत कहता है - "हां ताई." तो वो कहती है - "आज खाना मत बना, मैं दाल ला रही हूं तेरे लिए". इसमें अमृता का दांत भींचकर बोलने का अंदाज मज़ेदार है.
2. उनका एक और सीन बहुत बेहतर है. जब नोटबंदी की घोषणा टीवी पर होती है तो शरवरी ताई दीवानों जैसी हंसी हंसते हुए सरिता के पास आती है, विक्षिप्त अवस्था में. कि "गए, पांच सौ और हज़ार के नोट गए. उसने बंद कर दिए." "किसने." "मोदी ने." कैसी पीड़ा. घर में बेटी की शादी. अकेली मां और ये अत्याचार.
Amruta Subhash Acting Best Scenes In Choked Paisa Bolta Hai Review The Lallantop
अमृता सुभाष. 'चोक्ड' में उनके दो दृश्य.

फ़िल्म के बाकी डिपार्टमेंट्स के लोगों के बारे में जान लेते हैं. इसमें म्यूजिक अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के म्यूज़िशियन कर्ष काले ने दिया है. अरेंजमेंट रचिता अरोड़ा का है.
कास्टिंग गौतम किशनचंदानी की है जो 'ब्लैक फ्राइडे' समेत अनुराग की शुरुआती फिल्मों की कास्टिंग करते रहे हैं. कास्टिंग में दो तीन कैरेक्टर अच्छे मिले दिखते हैं.
एक तो सब्जी बेचने वाला जिससे सरिता पूछती है - "इसमें कीड़े तो नहीं निकलेंगे ना." तो उसका जवाब होता है - "भाबी जी पूछकर नहीं घुसते कीड़े उसमें, अपने आप घुस जाते हैं." एक फिल्म के शुरू में कैश काउंटर से रुपये ले रहा आदमी जो सरिता को नोट गिनते देखकर कहता है - "बस यहीं मात खा जाती है भारत माता. उस मशीन ने दो दो बार गिनकर बता दिया कि चालीस हजार है, लेकिन नहीं. जब तक उंगली को थूक लगाके दो बार गिन नहीं लें तब तक भारत माता की जय कहां होने वाली है." या फिर एक प्लंबर का रोल करने वाले एक्टर जो हाथ से कचरा निकालकर शिकायती लहजे में कहता है - "चाय पत्ती, चावल सब इसी में डालती हैं आप?"
Funny Characters In Choked Paisa Bolta Hai Movie By Anurag Kashyap The Lallantop Movie Review
फ़िल्म के वो तीन फनी किरदार. (फोटोः नेटफ्लिक्स)

चोक्ड की सिनेमैटोग्राफी सिलवेस्टर फॉन्सेका ने की है. इससे पहले वे सेक्रेड गेम्स, लस्ट स्टोरीज़, घोस्ट स्टोरीज जैसे प्रोजेक्ट कर चुके हैं.
मूवी की एडिटिंग कोणार्क सक्सेना की है जो राज़ी, सुपर 30, इत्तेफाक जैसी फिल्मों के एडिटिंग डिपार्टमेंट में काम कर चुके हैं.
Kash Kale Gautam Kishanchandani Sylvester Fonseca Ravi Shrivastava Choked Film Departments
कर्ष काले, गौतम किशनचंदानी, सिलवेस्टर फॉन्सेका और रवि श्रीवास्तव.

प्रोडक्शन डिज़ाइनर रवि श्रीवास्तव हैं. वो शुभ मंगल ज्यादा सावधान, लाइफ ऑफ पाई, स्लमडॉग मिलियनेयर, एक्सट्रैक्शन जैसे प्रोजेक्ट्स से जुड़े रहे हैं.

'चोक्ड' पहली फिल्म नहीं है जिसमें नोटबंदी दिखाई गई है. इससे पहले 2017 में आई विजय की तमिल फिल्म 'मर्सल' थी. जिसे लेकर विवाद हुआ था. इसके सीन बीजेपी नेता हटवाना चाहते थे. इसमें नोटबंदी और जीएसटी की आलोचना की गई थी. जूनियर एनटीआर की 'जय लव कुश' में भी नोटबंदी का एक फनी रेफरेंस था. हालांकि 2017 में ही आई बंगाली फिल्म 'शून्यता' इन विषय की संवेदना को कवर करने में ज्यादा सफल रही. जिसमें कुछ बेहद आम लोगों की कहानियां बताई गई जिनकी जिंदगी बेपनाह दुख में डूब जाती है.


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मर्सल, जय लव कुश, शून्यता के पोस्टर.

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Video: 'चोक्ड - पैसा बोलता है' का रिव्यू यहां देखें

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