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चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने किया चुनाव प्रबंधन छोड़ने का ऐलान

चुनाव आयोग और अमित शाह पर भी निशाना साधा.

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पेगासस जासूसी मामले से जुड़ी लिस्ट में प्रशांत किशोर का भी नाम. (फाइल फोटो)
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Varun Kumar
2 मई 2021 (Updated: 2 मई 2021, 12:28 PM IST)
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ममता बनर्जी के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने चुनाव प्रबंधन का काम छोड़ने का ऐलान किया है. ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी की जीत तय है फिर भी प्रशांत ऐसा फैसला ले रहे हैं. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वे जीवन भर यह सब नहीं कर सकते हैं. ऐसा नहीं है प्रशांत ने पहली बार ये बात कही है. हाल ही में 'दी लल्लनटॉप' के संपादक सौरभ द्विवेदी के साथ एक इंटरव्यू में प्रशांत ने कहा था कि वे आने वाले वक्त में कभी यह काम छोड़ देंगे. हालांकि उन्होंने ये नहीं बताया था कि इतनी जल्दी वह ऐसा फैसला करने वाले हैं. तब उन्होंने और क्या कहा था वह भी आपको बताएंगे. लेकिन उससे पहले बताते हैं कि अब उन्होंने क्या कुछ कहा है. प्रशांत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मैं काफी कुछ कर चुका हूं. मैं अब जिंदगी में और कुछ करना चाहता हूं. जीवन भर यही काम करता नहीं रह सकता. मैं अपने आस पास मौजूद लोगों को हर बातचीत में ये कहता रहा हूं. चुनाव आयोग पर साधा निशाना आजतक की एक खबर के मुताबिक उन्होंने चुनाव आयोग पर तीखे हमले करते हुए उसे बीजेपी की 'बी टीम' बताया. उन्होंने इतना पक्षपात करने वाला चुनाव आयोग मैंने कभी नहीं देखा. सब पार्टियों को साथ आना चाहिए और आयोग पर रिफॉर्म के लिए दबाव बनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के दौर में भी 8 चरणों में चुनाव कराए जाने का केवल यही मकसद था कि बीजेपी के नेता अधिक से अधिक प्रचार कर सकें. प्रशांत किशोर ने कहा कि चुनाव आयोग ने पीएम नरेंद्र मोदी समेत तमाम नेताओं को पूरा वक्त दिया कि वो बीजेपी के लिए प्रचार कर सकें. इंडिया टुडे के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि अमित शाह से ये कौन पूछेगा कि आखिर वो किस आधार पर बीजेपी को 200 सीटों का दावा कर रहे थे? हर चरण के बाद वो सीटों की संख्या बता रहे थे. क्या उनके पास कोई क्रिस्टल बॉल थी. वो 120-130 सीट नहीं कहते थे बल्कि सीधे कहते थे कि चौथे चरण के बाद हम 121 सीटें जीत रहे हैं. उन्होंने चुनावी रणनीतिकार के बतौर अपनी पारी समाप्ति की घोषणा करते हुए कहा,
"मेरी कंपनी आईपैक में काफी योग्य लोग हैं. जो लोग यहां काम करते हैं, मुझे उनके काम का क्रेडिट मिल जाता है. अब वक्त है कि वो जिम्मेदारी अपने हाथ में लें और जो कुछ करना चाहते हैं वो करें. मैं वो नहीं करना चाहता जो अब तक करता आया हूं. मैं अपने जीवन में कुछ और चीजों के बारे में सोचना चाहता हूं."
लल्लनटॉप से बातचीत के दौरान किया था इशारा सौरभ द्विवेदी के एक सवाल के जवाब में प्रशांत किशोर ने कहा था कि वे राजनीति में निश्चित तौर पर आएंगे. उन्होंने कहा था कि मेरे जीवन का ध्येय, जो मैं कर रहा हूं, करते रहना नहीं है. प्रशांत ने कहा था, पहली बात कि मैं किसी को चुनाव नहीं जिताता हूं. मैंने कई इंटरव्यू में पहले भी कहा है कि हमारे जैसे लोगों को काफी ओवररेट किया गया है. देखिए जब पार्टियां जीतती हैं, तो पार्टी के लीडर्स जीतते हैं. उनका काम और उनकी नाकामी ज्यादा बडा फैक्टर है. प्रशांत किशोर या प्रशांत किशोर जैसे लोग या जो ऐसी संस्थाएं हैं. We can only contribute at the margin (हम केवल थोड़ा योगदान दे सकते हैं). मैंने JDU ज्वाइन करके पॉलिटिक्स में कुछ करने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली. फिर जो काम जानते थे, समझते थे, जिस क्षेत्र में अपनी थोड़ी बहुत जगह बनाई हुई थी, उसमें वापस लौटे हैं. इसमें कुछ अच्छा करके अगर दिखाएंगे, तो मुझे पूरा विश्वास है कि बेहतर समझ के साथ राजनीति में फिर से उतरा जा सकता है. और काम वहां पर किया जा सकता है. ये गारंटी नहीं है कि मैं फिर वहां फेल नहीं हो जाऊंगा. लेकिन मैं फेलियर से डरता नहीं हूं. फिर ट्राई करेंगे, अगर फिर सफल नहीं हुए, तो फिर से और बेहतर बनने का प्रयास करेंगे.

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