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बजट क्या है और कितनी तरह का होता है, इतनी आसान भाषा में टीचर भी नहीं बताएंगे

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज बजट पेश करने जा रही हैं

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कोटा फैक्ट्री के जीतू भैया से भी आसान भाषा में यहां समझिए बजट की ABCD.
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1 फ़रवरी 2022 (Updated: 31 जनवरी 2022, 05:19 IST)
Updated: 31 जनवरी 2022 05:19 IST
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1 फरवरी 2022 को बजट पेश होगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट भाषण देंगी. उससे पहले हम आपको बताएंगे कि आखिर बजट क्या है और कितने प्रकार का होता है. बजट में आम आदमी के लिए क्या है, इस सवाल के उत्तर में आर्थिक विशेषज्ञ और जानकार बड़े-बड़े आंकड़े और मुश्किल टर्म्स उछाल देते हैं. इससे बजट को लेकर हमारी थोड़ी बहुत उत्सुकता भी जाती रहती है. इसको ध्यान में रखते हुए हमने बजट से ऐन पहले स्पेशल सीरीज लिखनी शुरू की है. बजट 2022. इसमें सब नहीं तो बहुत कुछ बताएंगे. आपकी-हमारी, यानी आसान भाषा में.

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 बजट क्या होता है?

लीडरशिप विषय पर लिखने वाले चर्चित अमेरिकी लेखक जॉन सी मैक्सवेल के अनुसार-

बजट दरअसल अपने पैसों को ये निर्देश देना है कि वे कहां जाएं, बजाए ये आश्चर्य करने के कि वो कहां गए.

अगर कोई व्यक्ति या संस्था बजट बना रही है तो इसका मतलब ये है कि वो अनुमान लगा रही/रहा है कि आने वाले एक निश्चित समय में उसकी आय कहां से होगी और उसे वो खर्च कहां पर करेगी/करेगा.

बजट की ऐसी कई परिभाषाएं उदाहरण के तौर पर जानने को मिलेंगी. इनमें से ज्यादातर सही ही होंगी. लेकिन आसान भाषा में समझें तो- अब इससे बजट को लेकर दो बातें क्लियर हो जाती हैं. पहली बात: बजट एक निश्चित समय या इवेंट के लिए होता है. एक हफ्ता, एक महीना, एक साल, एक दिन. बजट किसी भी प्रकार और आकार का हो सकता है. जैसे शादी का बजट, पार्टी का बजट, घर का बजट आदि. 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जो बजट लेकर आएंगी, वो होगा देश का बजट. यह बजट वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2023 तक के लिए होगा. इसलिए इसे ‘बजट 2022-23’ कहा जाएगा. [caption id="attachment_304516" align="aligncenter" width="700"]वित्त मंत्री, निर्मला सीतारामण ने जब 2020-21 का बजट पेश किया था तो दरअसल तब वो 1 अप्रैल, 2020 से 31 मार्च, 2021 तक के अनुमानित खर्चे और आय का हिसाब किताब बता रही थीं. वित्त मंत्री, निर्मला सीतारामण ने जब 2020-21 का बजट पेश किया था तो दरअसल तब वो 1 अप्रैल, 2020 से 31 मार्च, 2021 तक के अनुमानित खर्चे और आय का हिसाब किताब बता रही थीं.[/caption] दूसरी बात: बजट सिर्फ एक अनुमान भर होता है. भविष्य को लेकर तो अनुमान भर ही लगाए जा सकते हैं. बस अगर इन्हीं अनुमानों को लगाने के लिए डेटा, सांख्यिकी और वैज्ञानिक अप्रोच का सहारा लिया जाएगा तो अनुमान और सटीक होते चले जाते हैं. सरकार के बजट में यही किया जाता है. ऐसा नहीं है कि एक बार बजट बनाने के बाद उसमें बदलाव नहीं हो सकता. उसका समय-समय पर रिव्यू करना पड़ता है. बजट बनाने से पहले हफ्तों-महीनों डेटा और फीडबैक लेने में लग जाते हैंतब जाकर बजट बन पाता है. कितने तरह के होते हैं बजट? बाकी चीजों के अलावा बजट में सबसे मुख्य बात होती है आय और व्यय का हिसाब. आइए जरा कचरा की नोटबुक में झांककर देखा जाए कि उसने बजट कैसे बनाया है. कचरा अपनी नोटबुक में अगले महीने का बजट बनाते हुए इनकम वाले कॉलम में लिखता है-
# मैं अगले महीने 1.26 लाख रुपये दुकान से कमा लूंगा # 42 हजार रुपये किराए से # 50 हजार 400 रुपये सैलरी मिलेगी # 33 हजार 600 रुपये की FD मैच्योर होगी
खर्च वाले कॉलम में वो लिखता है-
# 25 हजार 200 रुपये घर के राशन पानी और रोज के खर्चे # 63 हजार रुपये की EMI जाएगी # 92 हजार रुपये का LCD TV आ रहा है, वो खरीदूंगा # 35 हजार 200 रुपये घर के रेनोवेशन में लगाने हैं # बचे रुपये को अलग-अलग सेविंग्स स्कीम में लगाऊंगा
कैलक्यूलेट करने पर कचरा पाता है कि 36 हजार 600 रुपये की बचत हो रही है. यूं क्लियर होता है कि अलग-अलग सेविंग्स स्कीम में लगाने के लिए उसके पास इतने रुपये हैं. कचरा की नोटबुक देखने पर समझ में आता है कि तीन तरह के बजट संभव हैं. सरप्लस बजट- कचरा का बजट एक सरप्लस बजट है. क्यूंकि आय और व्यय का पूरा हिसाब लगा लेने के बाद कुछ पैसे ‘अतिरिक्त’ बच गए, जिन्हें कचरा अलग-अलग सेविंग्स स्कीम में लगाने की सोच रहा है. डेफिसिट बजट- डेफिसिट मतलब घाटा या कमी. सोचिए, हमारे उदाहरण में तो कचरा की बचत हो रही है. तो हो गया सरप्लस बजट. लेकिन अगर इसके ठीक उलट उसकी आय कम होती और व्यय ज्यादा तो आय और व्यय वाले कॉलम का योग बराबर करने के लिए उसे आय वाले में ‘उधार लूंगा’ जैसी कोई पंक्ति जोड़नी पड़ती. तो कचरा का बजट हो जाता डेफिसिट बजट या घाटे का बजट.
भारत का बजट घाटे वाला ही रहा है. मतलब इस बजट के आय वाले कॉलम में कोई न कोई पंक्तिउधार लूंगावाली जरूर देखने को मिलेगी.
[caption id="attachment_304633" align="aligncenter" width="700"]मोररजी देसाई ने कुल 10 बजट पेश किए. 8 पूर्णकालिक और 2 अंतरिम. (तस्वीर: US एंबेसी) बजट फ़ैक्ट्स: मोररजी देसाई ने सबसे ज़्यादा, कुल 10 बजट पेश किए. 8 पूर्णकालिक और 2 अंतरिम. (सांकेतिक तस्वीर: US एंबेसी)[/caption] बैलेन्स बजट- ऊपर के दो उदाहरणों के बाद आप जान ही गए होंगे कि ऐसा बजट जिसमें जितनी आय हो उतना ही व्यय हो, बैलेन्स बजट कहलाता है. मतलब उस बजट में न ‘उधार लूंगा’ वाली कोई पंक्ति देखने को मिलेगी न ‘बचे हुए पैसे’ वाली. (क्रमशः)

अगले एपिसोड में हम जानेंगे कि एक रुपया कहां से आता है, कहां को जाता है? और आपको इंट्रोड्यूस करेंगे कहानी के दूसरे किरदार 'लल्लन' से.

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