UPI से पेमेंट करने पर ट्रांजैक्शन चार्जेस लगने (charges on upi payment) की बात पिछले कई महीनों से चल रही है. कुछ दिनों पहले तो इसको लेकर खबर भी फैली मगर सरकार ने इस बात को सिरे से नकार दिया. लेकिन कहते हैं जहां आग होती है धुआं वहीं से उठता है. UPI में ट्रांजैक्शन चार्जेस का धुआं एक बार फिर उठ रहा है. हालांकि सरकार की तरफ से ऐसा होगा या नहीं, वो तो भविष्य की गर्त में है मगर UPI सर्विस देने वाले ऐप्स ऐसा जल्दी कर सकते हैं. इसकी वजह इन ऐप्स के ऊपर लग रही ‘transaction handling fee’ है.
UPI से ट्रांजेक्शन पर चार्ज लगेगा? एक बड़े बैंक के फैसले से इशारा तो ज़रूर मिलता है
देश के सबसे बड़े निजी सेक्टर बैंक ICICI ने UPI सर्विस मुहैया करवाने वाले ऐप्स जैसे Phone Pe, Google Pay से ‘transaction handling fee’ लेना स्टार्ट किया है. क्या इसका असर यूजर पर भी पड़ेगा?

दरअसल देश के सबसे बड़े निजी सेक्टर बैंक ICICI ने UPI सर्विस मुहैया करवाने वाले ऐप्स जैसे Phone Pe, Google Pay से ‘transaction handling fee’ लेना स्टार्ट किया है. क्या इसका असर यूजर पर भी पड़ेगा? जानते हैं.
पेमेंट एग्रीगेटर्स भरेंगे ट्रांजैक्शन फीसअगर कोई PA (payment aggregator) ICICI Bank में एस्क्रो अकाउंट (escrow account ) रखता है, तो हर ट्रांजैक्शन पर 2 बेसिस प्वाइंट (0.02%) का चार्ज लगेगा. इसकी अधिकतम लिमिट 6 रुपये प्रति ट्रांजैक्शन होगी. जिन PAs का ICICI में एस्क्रो अकाउंट नहीं है, उनसे 4 बेसिस प्वाइंट (0.04%) वसूले जाएंगे. इस स्थिति में अधिकतम चार्ज 10 रुपये प्रति ट्रांजैक्शन तय किया गया है.
ये तो हो गई बैंकिंग वाली भाषा, अब अपने तरीके से इस प्रक्रिया को समझते हैं. दरअसल Phone Pe, Google Pay जैसे ऐप्स तो UPI लेनदेन में महज एक ब्रिज का काम करते हैं. पैसा आपके अकाउंट से डेबिट होता है और दूसरे के अकाउंट में क्रेडिट. मगर इस पूरी प्रक्रिया में दो बैंक भी शामिल होते हैं. जैसे आईसीआईसीआई से पैसा डेबिट हुआ और एसबीआई में गया या इसका उल्टा भी.
मतलब हर लेनदेन पर संबंधित बैंक का सबसे बड़ा रोल होता है. इसी रोल का पैसा अब आईसीआईसीआई इन पेमेंट एग्रीगेटर्स से लेने वाला है. अब जो दिवाल मतलब पैसे देने वाले का अकाउंट और लिवाल मतलब पैसे लेने वाले का अकाउंट (escrow account ) आईसीआईसीआई बैंक में है तो PA भरेंगे 6 रुपये तक. और जो अलग-अलग बैंक वाला मामला ठहरा बल तो फिर चार्जेस 10 रुपये प्रति ट्रांजैक्शन तक जा सकते हैं.
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वैसे आईसीआईसीआई ऐसा करने वाला कोई पहला बैंक नहीं है. इससे पहले Yes Bank और Axis Bank भी ऐसा कर चुके हैं. मगर आईसीआईसीआई का कस्टमर बेस बहुत बड़ा है तो इसका असर यूजर पर भले नहीं मगर दुकानदारों पर जरूर पड़ सकता है. मतलब PA उनसे और पैसा ले सकते हैं. 'और' हमने इसलिए कहा क्योंकि अभी भी वो मर्चेंट से प्लेटफॉर्म फीस, पेमेंट रीकॉन्सिलिएशन फीस जैसी सर्विस के लिए चार्ज ले रहे हैं.
इसका सबसे बड़ा उदाहरण पेमेंट वाला साउंड बॉक्स है जिसके लिए दुकानदार को हर महीने एक तय फीस देना होती है. लेकिन ये पैसा तो PA के पास जाता है. बैंक को कुछ मिलता नहीं. इसलिए बैंक अब पेमेंट एग्रीगेटर्स से फीस वसूलकर अपने खर्चे निकालने का जुगाड़ लगा रहे हैं. आईसीआईसीआई की देखा-देखी अगर बाकी बड़े बैंक भी ऐसा ही किए तो फिर पूरे चांस हैं कि इसका असर यूजर्स पर पड़ेगा ही.
रही बात सरकार कि तो उसने UPI पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) को शून्य रखा है, लेकिन NPCI यानी नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया बैंकों से एक स्विच फीस वसूलता है. कुछ बैंक यह लागत पेमेंट एग्रीगेटर्स से वसूल रहे हैं.
कई सारे लेकिन-वेकिन, अगर-मगर हैं. जवाब 15 सेकंड में ना सही मगर 15 दिन या 15 महीने में मिल ही जाएगा. 15 सेकंड मतलब UPI पेमेंट में लगने वाला समय.
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