मुफ़्त में अगर कुछ काम का मिले तो किसे पसंद नहीं आता? लेकिन मुफ़्त कुछ होता नहीं. हर चीज की एक कीमत है. सामने से भले नजर नहीं आए, लेकिन कहीं ना कहीं, येन केन प्रकारेण कुछ ना कुछ तो आपसे और हमसे वसूला जाता है. स्टोरी का मीटर हमने बिठा लिया, अब बात मुद्दे की.
डार्क वेब तक ले जा सकते हैं मुफ्त के ऐप्स, बचने के टिप्स हर यूजर के लिए जरूरी!
गूगल से मिलने वाला 15 जीबी और आईफोन का 5 जीबी स्टोरेज भर गया. कोई बात नहीं, मुफ़्त और अनलिमेटेड स्टोरेज वाले ऐस्प डाउनलोड कर लेते हैं. एक पैसा खर्च नहीं होगा. अगर आप भी ऐसा करते हैं तो शायद दिक्कत हो सकती है.

मुद्दा है स्मार्टफोन स्टोरेज के लिए मिलने वाले ‘मुफ़्त’ वाले ऐप्स की. जैसे रायते में मिर्च उतराती है, वैसे ही आजकल ऐसे ऐप्स (unlimited storage apps) की बाढ़ आई हुई है. क्या ये ऐप्स इस्तेमाल करने चाहिए, ये कितने सुरक्षित हैं, समझने की कोशिश करते हैं.
स्मार्टफोन स्टोरेज का फुल हो जाना एक आम बात है. गूगल से मिलने वाला 15 जीबी फ्री वाला स्टोरेज कब भर जाता है, पता ही नहीं चलता. आईफोन यूजर्स का दुख और ज्यादा है. मिलता ही 5 जीबी है जो कई बार 5 दिन में भी फुल हो जाता है.
दावे से तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन इसकी पहली वजह तो वॉट्सऐप और उसका बैकअप होता है. अपने आसपास में कितने ही लोग मिल जाएंगे जिनका वॉट्सऐप बैकअप 10-15 जीबी होता है. दूसरा कारण फ़ोटो गैलरी. रील/शॉर्ट्स और स्मार्टफोन का झमाझम कैमरा. खूब खिचक-खिचक होता है. नतीजा, स्टोरेज फुल. वैसे इससे निपटने का कारगर इलाज है. जो हम आपको आगे जरूर बताएंगे. लेकिन पहले मुफ़्त-मुफ़्त खेलने वाले ऐप्स की बात कर लेते हैं.
ऐसे ऐप्स से मीलों दूर रहिएइसको निवेदन नहीं, बल्कि चेतावनी समझ लीजिए. सोशल मीडिया पर कितने ही लोग ऐसे ऐप्स के बारे में बताते मिल जाएंगे. मसलन, जीमेल का स्टोरेज भर गया तो फलां ऐप डाउनलोड कर लीजिए. आईफोन स्टोरेज के लिए पैसे नहीं देना तो ये वाला ऐप इस्तेमाल कर लीजिए. नहीं करना है…
वजह बताने की जरूरत नहीं, फिर भी बता देते हैं. आप जब भी प्ले स्टोर या ऐप स्टोर से कोई भी ऐप डाउनलोड करते हैं तो वो आपसे कई सारी परमिशन लेता है. जैसे लोकेशन, कॉल लॉग, कॉन्टैक्ट, फ़ोटो गैलरी, माइक्रोफोन वगैरा-वगैरा. ऐप को ये सारी परमिशन इसलिए चाहिए ताकि वो आपकी एक्टिविटी को समझ सके और फिर आपकी प्रोफ़ाइल तैयार करके आपको विज्ञापन परोस सके.
अब किस ऐप को परमिशन देना, कितनी देना, वो आपके ऊपर निर्भर करता है. आजकल दोनों प्लेटफॉर्म (एंड्रॉयड और iOS) इससे जुड़े कई सारे कंट्रोल अपने यूजर्स को देते हैं. ये तो बात हुई आम ऐप्स की. अब बात मुफ़्त में अनलिमेटेड स्टोरेज देने वाले ऐप्स की. ऐसे ऐप्स तो आपका पूरा डेटा ही अपने क्लाउड में स्टोर करने वाले हैं. जरा ठहरिए और सोचिए.
आपकी पुरी कुंडली, निजी जानकारी, फ़ोटो वीडियो, सब कुछ एक क्लिक में उनके पास. ऐसे ऐप्स की विश्वसनीयता पर सवाल ही सवाल हैं. मैंने एक ऐसे ही ऐप को डाउनलोड किया और लॉगिन के लिए ऐप ने पहले मुझे टेलीग्राम ऐप डाउनलोड करने के लिए फोर्स किया.
मतलब कहां एक स्टोरेज ऐप और कहां टेलीग्राम. कल्पना कीजिए अगर ऐसे ऐप्स का डेटा हैक हुआ तो आपकी निजी जानकारी कौड़ियों के भाव डार्क वेब में बिकने वाली है. इसलिए ‘मुफ़्त के चंदन को घिसने’ का मोह त्याग दीजिए. रही बात वॉट्सऐप से लेकर गूगल स्टोरेज को कैसे मैनेज करना है तो वो आप नीचे दिए लिंक्स पर क्लिक करके जान लीजिए.
अगर इतने से भी बात नहीं बने तो पैसे खर्च करके गूगल, ऐप्पल, माइक्रोसॉफ्ट, एमेजॉन या फिर किसी भरोसे वाली कंपनी का स्टोरेज खरीद लीजिए. याद रखिए, अगर कोई प्रोडक्ट आपको मुफ़्त मिल रहा तो उस प्रोडक्ट के लिए सबसे बड़े प्रोडक्ट आप खुद हैं.
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