साल 2008 में ICICI में 58 लाख, साल 2017 में बैंक ऑफ इंडिया में 24 करोड़ और साल 2024 में Nainital Bank में 17 करोड़ रुपये का फ्रॉड (RTGS Scam) हुआ. तीनों मामलों के फ्रॉड के तरीके में कोई अंतर नहीं है. तीनों ही बैंकों के एक जैसे सर्वर में सेंधमारी करके करोड़ों रुपये की ऑनलाइन लूट को अंजाम दिया गया. इस सर्वर का नाम है RTGS. फुल फॉर्म Real Time Gross Settlement, मगर लगता है इसका नाम 'Real Time Gross सेंधमारी' होना चाहिए. आखिर क्या है इस सर्वर में ऐसा जो लुटेरों की नंबर वन पसंद बना हुआ है. जानने की कोशिश करते हैं.
बैंक में पैसे ट्रांसफर करने के लिए बना RTGS सिस्टम क्यों है ऑनलाइन लुटेरों का फेवरिट?
RTGS का कार्यक्रम बच्चन साब के डायलॉग जैसा. जहां हम खड़े होते हैं लाइन वहीं से शुरू होती है. इसमें ट्रांसफर की मिनिमम लिमिट ही 2 लाख है. अधिकतम जितने आपके पास हों. असल में ये फीचर बड़ी कंपनियों से लेकर टॉप कॉर्पोरेट्स के लिए बना है. मगर यही सुविधा है जो इसको लुटेरों का फ़ेवरिट (RTGS Scam) बनाती है.

आजकल भले UPI आपके और हमारे पेमेंट का हिस्सा हो गया हो, मगर कुछ साल पहले तक ऐसा नहीं था. बैंकिंग सिस्टम में ऑनलाइन पेमेंट करने के लिए सिर्फ NEFT और RTGS ही हुआ करते थे. साल 2004 में भारत में RTGS सिस्टम आया और फिर इसके एक साल बाद 2005 में NEFT. RTGS तो बता दिया, NEFT का मतलब हुआ National Electronic Funds Transfer. दोनों ही प्रोसेस में अकाउंट नंबर एड करने के बाद लेनदेन होता था.
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फिर साल 2010 में भारत में Immediate Payment Service (IMPS) की शुरुआत हुई. ये फटाफट पेमेंट के लिए सबसे मुफीद तरीका था. एकदम आजकल के UPI जैसे. हालांकि इससे पैसे ट्रांसफर करने की एक लिमिट थी. बड़े ट्रांसफर के NEFT और बहुत बड़े ट्रांसफर के लिए RTGS. हालांकि NEFT के लिए RBI से कोई लिमिट नहीं है, मगर बैंक अपने हिसाब से इसको सेट करते हैं. बोले तो मिनिमम 1 रुपये और मैक्सिमम 2 लाख.
हालांकि RTGS का कार्यक्रम बच्चन साब के डायलॉग जैसा है. जहां हम खड़े होते हैं लाइन वहीं से शुरू होती है. इसमें ट्रांसफर की मिनिमम लिमिट ही 2 लाख है. अधिकतम जितने आपके पास हों. असल में ये फीचर बड़ी कंपनियों से लेकर टॉप कॉर्पोरेट्स के लिए बना है. मगर यही सुविधा है जो इसको लुटेरों का फ़ेवरिट बनाती है. एक बार जो सेंध लगा ली तो फिर बड़े-बड़े ट्रांसफर रियल टाइम में इधर से उधर.

वैसे लिखना और बोलना आसान है, मगर ये कोई मिट्टी की दीवार नहीं है जो इसमें सेंध लग जाएगी. ICICI बैंक और बैंक ऑफ इंडिया वाली लूट में बैंक के कर्मचारियों की मिलीभगत सामने आई थी. नैनीताल बैंक के केस में भी मैनेजर के लॉगिन डिटेल चुराकर 17 करोड़ रुपये उड़ा लिए गए. अभी इस मामले में FIR दर्ज हो गई है और जांच जारी है.
बड़े लोग बड़ी बातें की जगह बड़े फीचर और बड़ी लूट का कार्यक्रम चल रहा. अगर आप या आपके अपने RTGS का इस्तेमाल करते हों तो सावधान रहें. बैंक तो अपना देख लेगा. हम क्या करेंगे.
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