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गाड़ी नई या पुरानी, चाबी लगाने से पहले अगर ये सर्विस OK नहीं तो बुरा पछताना पड़ेगा

PDI जिसका मतलब है Pre-Delivery Inspection. गाड़ी नई या पुरानी, अगर इस पर ध्यान नहीं दिया तो गाड़ी लेने की खुशी काफूर हो सकती है.

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PDI 'OK' तभी गाड़ी ओके.

डेढ़ लाख रुपये की नई फटफटी खरीदी तो उसमें डेढ़ हजार और जोड़ लीजिए. 15 लाख की नई कार घर लेकर आने वाले हैं तो उसमें ढाई हजार और जोड़ लीजिए. नई से इतर अगर कोई पुरानी बाइक या कार खरीदने का सोच भी रहे हैं तो गाड़ी के पैसे से पहले दो से ढाई हजार रुपये अलग निकाल कर रख लीजिए. इतना पढ़कर आपको पक्का यही लगेगा कि हम गाड़ी खरीदने के बाद किसी पार्टी इत्यादि का का खर्चा निकलवा रहे तो जनाब ऐसा बिल्कुल नहीं है. हम तो गाड़ी में बैठने से पहले, चाबी घुमाकर गियर लगाने से पहले के एक जरूरी खर्चे की बात कर रहे.

हम बात कर रहे हैं PDI की. जिसका मतलब है Pre-Delivery Inspection. गाड़ी नई हो या पुरानी, अगर इस पर ध्यान नहीं दिया तो गाड़ी लेने की खुशी काफूर हो सकती है. अब आपका सवाल हो सकता है कि ये तो डीलर या एजेंसी खुद से करके देती है तो फिर जेब क्यों ढीली करना. ठीक बात, हम आपको फ्री वाली प्रोसेस में क्या देखना है और पैसे क्यों लगाना. दोनों बता देते हैं.

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क्या है PDI?

गाड़ी की चाबी हाथ में लेने से पहले की आखिरी प्रोसेस. जैसे हम और एक गाड़ी लेने से पहले देखते हैं कि एवरेज कितना है.  कलर कौन सा है, फीचर्स क्या हैं. कुछ-कुछ वैसा ही, मगर इसका असल काम गाड़ी की बाहर की बॉडी से लेकर अंदरखाने के माल की असल तसदीक करना है. उदाहरण के लिए-

# गाड़ी पर कहीं कोई खरोंच तो नहीं. मतलब वो महीन सी लकीर जो नजर नहीं आती.

# कहीं कोई पेंट निकल तो नहीं रहा. मतलब हल्की सी कहीं कोई चिपरी तो नहीं निकली है.

# दरवाजे के नीचे की तरफ कोई डेन्ट तो नहीं या छत पर कबूतर की पोट्टी का दाग तो नहीं.  

# विंडशील्ड और विंडो के कांच पर कोई बेहद महीन सा क्रैक तो नहीं लगा हुआ है.

# गाड़ी पर जो पेंट है वो एक सा है या नहीं.

# टायर एक साइज के और एक ब्रांड के हैं या नहीं

# गाड़ी में जितनी लाइटें लगी हैं वो वाकई में अपर-डिपर मार रहीं और लेफ्ट-राइट हो रही हैं या नहीं

# रेडियो वाकई में गाने बजा रहा है या नहीं

# स्क्रीन ढंग से काम कर रही है या नहीं

# गियर कहीं फंस तो नहीं रहे

# सीटों में कुछ लगा हुआ तो नहीं या कहीं से कुछ फटने का सीन तो नहीं

# छत पर जो लाइट लगी हैं वो जलती है या नहीं

# डिक्की में एक्स्ट्रा टायर है या नहीं. अगर है तो वो भी चारों टायर जैसा नया और एक ब्रांड का है या नहीं

# दोनों चाबियाँ काम कर रही हैं या नहीं

# मोबाइल चार्जिंग पॉइंट काम कर रहा है या नहीं 

सांकेतिक तस्वीर 

लिस्ट बहुत लंबी है दोस्त. लेकिन मोटा-माटी इतना तो चेक करना बनता है. ऐसा नहीं है कि डीलर या एजेंसी चेक नहीं करती लेकिन सैकड़ों गाड़ियों के बीच में इंसानी चूक की आशंका हमेशा होती है. लेकिन इस भूल का कोई भूल सुधार नहीं होता. मतलब गाड़ी शो-रूम से बाहर और फिर डीलर की जिम्मेदारी खत्म. वारंटी होती है मगर वो आमतौर पर ऊपर बताई बातों को कवर नहीं करती. अगर करेगी भी तो शायद उसकी सर्विस का पैसा नहीं लगे लेकिन पार्ट का पैसा देना पड़ेगा.

अगर जो आपको लग रहा कि क्या कोई गड़बड़ वाकई में होती है तो बस जरा गूगल कर लीजिए. होती है तभी तो गाड़ी पर PDI OK लिखा होता है. अगर आप ये सारे पॉइंट चेक कर सकते हैं तो बढ़िया नहीं तो कुछ पैसे खर्च करके किसी एजेंसी से ये काम करवा सकते हैं.

आजकल कितने ही ऐप और वेबसाइट ऐसी सर्विस मुहैया करवाते हैं और यकीन मानिए पेंट का डेंट और टायर का वायर इनकी नजर से नहीं बचता. अपनी सुविधा के हिसाब से कोई सा भी चुन लीजिए. पुरानी गाड़ी लेने वाले हैं तो बस वो वाला मीम याद रख लीजिए.

जब इतना खर्चा हो चुका है मालिक-

PDI ओके तभी ‘ओके’.

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