मेरे दो युवा दोस्त हैं. दोनों PG में रहते हैं और किराये से लेकर घर का खर्च और कई चीजें साझा करते हैं. बढ़िया साझेदारी चल रही मगर एक चीज में गरारी फंसी हुई है. मोबाइल चार्जिंग को लेकर. एक के पास वनप्लस का फोन तो दूसरे के पास शाओमी का डिवाइस. दोनों एंड्रॉयड बेस्ड स्मार्टफोन, दोनों में टाइप-सी वाली चार्जिंग. दोनों ही स्मार्टफोन फास्ट चार्जिंग भी सपोर्ट करते हैं, मगर एक दूसरे के साथ नहीं. शाओमी का चार्जर वनप्लस को बहुत धीरे-धीरे चार्ज करता है, तो वनप्लस का चार्जर भी शाओमी को कोई भाव नहीं देता.
जब अलग-अलग फोन में चार्जिंग पोर्ट एक जैसा तो फिर चार्जर अलग-अलग क्यों?
अमूमन हर घर में ऐसा होता है जब हर फोन का चार्जर अलग-अलग खोजना पड़ता है. क्यों भाई, जब सब कुछ टाइप-सी है तो एक चार्जर क्यों नहीं. अगर नहीं तो फिर क्या ऑप्शन है. चलिए आज स्मार्टफोन को ढंग से चार्ज करते हैं.

इतना पढ़कर आपको भी ऐसी सिचुएशन याद आई होगी. अमूमन हर घर में ऐसा होता है जब हर फोन का चार्जर अलग-अलग खोजना पड़ता है. क्यों भाई, जब सब कुछ टाइप-सी है तो एक चार्जर क्यों नहीं. अगर नहीं तो फिर क्या ऑप्शन है. चलिए आज स्मार्टफोन को ढंग से चार्ज करते हैं.
एक पोर्ट मगर तकनीक अलगइसके पीछे है चार्जिंग की अलग-अलग तकनीक. मतलब बाहर से आपको एक ही पोर्ट नजर आ रहा है, लेकिन चार्जिंग तकनीक कॉमन नहीं है. एक किस्म का पूल बना हुआ है. माने कि शाओमी का चार्जर अपने छोटे भाई रेडमी के साथ तो काम करेगा, मगर चचेरे भाई वीवो, ओप्पो से कट्टी रखेगा. दूसरी तरफ सैमसंग और एप्पल हैं, जिनका अपना याराना है. इसके पीछू हैं दो तकनीक.

USB Power Delivery (PD) और Qualcomm Quick Charge (QC). PD चार्जिंग जो आमतौर पर मार्केट में उपलब्ध ज्यादातर चार्जर में होती है और QC मतलब जिसे Qualcomm ने डेवलप किया है. PD का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसमें हाई आउटपुट वोल्टेज का जुगाड़ होता है. वहीं Qualcomm में आउटपुट की एक सीमा है. इसलिए ज्यादातर एंड्रॉयड स्मार्टफोन PD चार्जिंग सपोर्ट करते हैं. वहीं सैमसंग, गूगल और आईफोन में आपको QC चार्जिंग दिखेगी. इसलिए जहां शाओमी और दूसरे एंड्रॉयड डिवाइस 100-200 वॉट तक पहुंच गए हैं, वहीं सैमसंग और आईफोन में कार्यक्रम 45 वॉट के अल्ले-पल्ले ही झूल रहा.

क्योंकि QC एक क्लोज्ड तकनीक है इसलिए सैमसंग का चार्जर आईफोन के साथ काम कर जाता है. लेकिन PD में ऐसा नहीं है. PD तकनीक को स्मार्टफोन मेकर्स अपने हिसाब से डेवलप करते हैं. मसलन शाओमी के फोन में इसको HyperCharge या liquidCool कहते हैं. ऐसा कंपनी अपने प्रोडक्ट में चार्जिंग के दौरान उत्पन्न होने वाली हीट को कंट्रोल करने के लिए करती हैं. इसलिए शाओमी का चार्जर अपने फोन में तो पूरी ताकत से काम करता है मगर दसूरे डिवाइस में नॉर्मल या स्लो चार्ज करता है.
तकनीक से इतर अब दोस्तों की बात. प्लग तो एक जैसा ही है तो फिर क्या करें. पहला तरीका तो ये कि अपने-अपने चार्जर से फोन चार्ज किया जाए और दूसरा एक PD चार्जर खरीदा जाए जो मल्टीपल चार्जिंग आउटपुट सपोर्ट करता हो. मतलब 25 से लेकर 100 वॉट तक. जो फोन के हिसाब से काम करे. मार्केट में ऐसे चार्जर खूब मिलते हैं. मगर इसमें एक एहतियात बरतना जरूरी है. चार्जर हमेशा किसी भी अच्छी कंपनी का ही लीजिए. सस्ते के चक्कर में बिल्कुल नहीं पड़ें. लोकल माल नहीं, बल्कि ब्रांड पर भरोसा करें.
ये भी पढ़ें: GaN: स्मार्टफोन, लैपटॉप, टैबलेट, हेडफोन के लिए ये एक ही चार्जर काफी है
अगर दो फोन की औसत कीमत 50 हजार भी पकड़ लें तो 2 हजार रुपये के चार्जर पर लगाना बनता है. वैसे झंझट से बचना है तो नए जमाने के GaN चार्जर भी बढ़िया विकल्प हैं. लैपटॉप से लेकर आईफोन और एंड्रॉयड का ख्याल रखेगा रे तेरा फैजल टाइप काम.
वीडियो: तारीख: मगध पर राज करने वाला शिशुनाग वंश का अंत कैसे हुआ?