आदि मानव काल में लोग जंगलों में रहते और खाने की जो चीज़ मिलती उसे कच्चा ही खाते थे. फिर कुछ समय बीता, आग से वाकिफ हुए तो खाना पकाना शुरू कर दिया. साल बीतते गए. लोग चूल्हे, भट्टी, गैस स्टोव पर शिफ्ट हुए. माध्यम जो भी हो पर खाना पकाने के लिए आग को ही एकमात्र सहारा माना जाता था. तब किसी ने ऐसा नहीं सोचा था कि बिना आग के इस्तेमाल के भी खाना पकाया जा सकता है. वो भी किसी ऐसी तरंग (Wave) की मदद से, जो दिखती तक नहीं. पर अगले कुछ साल में ऐसा मुमकिन हुआ. जब माइक्रोवेव की डिस्कवरी हुई.
इंजीनियर की जेब में रखी चॉकलेट पिघल गई और माइक्रोवेव ओवन का आविष्कार हो गया!
जैसे कि इतिहास और विज्ञान गवाह हैं कि बड़े-बड़े खोज वहां हुए हैं, जब और जहां किसी ने उसकी कल्पना तक नहीं की थी. ऐसी ही कहानी माइक्रोवेव ओवन के आविष्कार की भी है.

जैसे कि इतिहास और विज्ञान गवाह हैं कि बड़े-बड़े खोज वहां हुए हैं, जब और जहां किसी ने उसकी कल्पना तक नहीं की थी. ऐसी ही कहानी माइक्रोवेव ओवन के आविष्कार की भी है. आज से करीब 80 साल पहले की बात है. एक व्यक्ति की चॉकलेट पिघल गई. उन्हें अचम्भा हुआ. बार-बार चॉकलेट पिघलने का कारण ढूंढते हुए माइक्रोवेव की खोज हो गई. ये तो है शॉर्ट स्टोरी. असल में क्या हुआ था, विस्तार से जानते हैं.
सुनो कहानी माइक्रोवेव की!1940 का दशक. एक अमेरिकन डिफेंस कंपनी ‘Raytheon’ अपने रडार प्रोजेक्ट पर काम कर रही थी. काम का सारा दारोमदार इंजीनियर पर्सी स्पेंसर के ऊपर था. बताया जाता है कि इन्हें अपनी जेब में चॉकलेट रखने का शौक था. एक्सपेरिमेंट के दौरान स्पेंसर परेशान हो रहे थे. कारण था कि बार-बार जेब में रखी चॉकलेट पिघल जाती थी. वो सोच में पड़ गए कि ‘क्या चल रहा है ये सब?’ बाकी कोई और होता तो इस बात को जाने देता. पर जैसा कि हमने पहले बताया कि वो थे चॉकलेट के शौकीन. तो उन्हें जानना था कि ऐसा क्यों हो रहा है. सोचने-समझने और ‘बाल की खाल’ निकालने पर उन्होंने अंदाजा लगाया कि वो ‘मैग्नेट्रॉन’ नाम की मशीन इस्तेमाल कर रहे थे, इसी के आसपास आने पर चॉकलेट्स पिघल रही हैं.
अपना अंदाजे को पुख्ता करने के लिए उन्होंने लगाई एक तरकीब. स्पेंसर मशीन के पास एक अंडा लाए, ये देखने के लिए कि ये गरम होता है कि नहीं. फिर क्या था, अंडा गर्म हुआ और फट के उनके एक साथी के ऊपर भी जा गिरा. ये सब देखकर स्पेंसर काफी सरप्राइज़ हो गए. उनके लिए ये एकदम ‘बवाल चीज’ थी. जिसके आसपास आने पर चीज़ें गरम हो जा रहीं थीं. पर्सी स्पेंसर को एहसास हो चुका था कि मैग्नेट्रॉन से जो तरंगे निकल रही हैं, वही खाने की चीजों को गर्म कर रहीं थीं. ये ‘माइक्रोवेव' एक तरह की इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगे थीं, जो मैग्नेट्रॉन को खाना गर्म करने में मदद कर रही थीं.

स्पेंसर ने इसी नाम का इस्तेमाल किया. 8 अक्टूबर 1945 को माइक्रोवेव ओवन का पेटेंट अपने नाम लिखवा लिया.
कैसे काम करता है माइक्रोवेव ओवन?डिस्कवरी की कहानी तो आपने जान ली. अब जानते हैं कि माइक्रोवेव ओवन काम कैसे करता है. दरअसल, ओवन के भीतर की जो माइक्रोवेव्स होती हैं वो खाने में मौजूद पानी के साथ ‘खेल’ करती हैं. किसी भी तरह की खाने की चीज हो, उसके अंदर पानी की थोड़ी बहुत मात्रा जरूर रहती है. पानी के यही कण माइक्रोवेव्स की एनर्जी को ऑब्जर्व करने लगते हैं. और फिर हिलते हैं, एक सेकंड में अरबों बार! माने कि खाने के भीतर ये इतनी जोर-जोर से डांस करते हैं कि उनके बीच घर्षण (Friction) पैदा होने लगता है. और इसी से निकली एनर्जी से खाना गर्म होना शुरू हो जाता है .

अब आपके दिमाग में ये सवाल भी आ सकता है कि ये एनर्जी तो ओवन के बाहर भी जा सकती है. पर, ऐसा होता क्यों नहीं? दरअसल, ओवन के चारों ओर मेटल की प्लेटिंग रहती है, तो ये जो वेव्स हैं, वो मेटल से टकराकर वापिस ओवन में ही घूमती रहती हैं. कुछ जगह ये वेव्स टकराकर एक दूसरे को खत्म कर देती हैं तो कुछ जगह टकराकर और बड़ी हो जाती है. जिस जगह बड़ी होती है वहां पर मौजूद खाना और जल्दी गर्म होता है. यही वजह है कि ओवन में रखी प्लेट लगातार चलती रहती है, घूमती रहती हैं. ताकि खाना हर जगह बराबर और अच्छे से गर्म हो जाए.
ओवन में क्या-क्या गर्म किया जा सकता है ?
सब्जियां तो गर्म हो ही जाती हैं. लेकिन लोग ड्राई फ्रूट्स को रोस्ट करने के लिए भी माइक्रोवेव का इस्तेमाल करते हैं. कुल मिलाकर खाने का जितना भी समान है लगभग सभी ओवन में गर्म हो जाता है. बस ये ध्यान रखना होता है कि ओवन के अंदर कोई मेटल, एल्युमिनियम फॉयल या फिर स्टायरोफोम जैसी चीजें ओवन के अंदर ना रखें. इन सबसे ओवन के अंदर चिंगारी निकलने का खतरा होता बन जाता है.
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कौन सी का सामान नहीं रखना चाहिए?
कच्चे अंडे को माइक्रोवेव में नहीं रखना चाहिए. अंगूर या पतले छिलके वाले फलों को भी ओवन में नहीं रखना चाहिए. कई लोगों ने अंगूर को माइक्रोवेव में रखकर एक्सपेरिमेंट किया तो मजाक-मजाक में अंगूर माइक्रोवेव के अंदर फट गया!

दरअसल, अंगूर के अंदर पानी होता है. जो बहुत तेजी से भाप में बदल जाता है. इसी कारण चिंगारी निकल जाती है. तो यहां समझने की बात ये है कि जो सामान असल में माइक्रोवेव में रखना सेफ है, बस उसे ही अंदर भेजिए. वरना तो अपना माइक्रोवेव ओवन खराब कर बैठेंगे.
(ये स्टोरी हमारे साथ इंटर्नशिप कर रहे सार्थक चौहान ने लिखी है)