Delhi Red Fort car blast केस में लगातार अपडेट आ रहे हैं. एजेंसियों ने देशभर में कार्रवाई तेज की है. ATS ने मुंब्रा में छापा मारकर हार्ड डिस्क और लैपटॉप जब्त किए हैं. लखनऊ में डॉ परवेज़ अंसारी की कार बरामद हुई, जिसका लिंक ब्लास्ट से जुड़ सकता है. Haryana के Faridabad जिले में बनी Al-Falah University भी जांच के दायरे में है. ऐसा ही एक और अपडेट Telegram ऐप को लेकर आ रहा है. संदिग्ध डॉक्टर टेलीग्राम ग्रुप पर जुड़े हुए थे.
दिल्ली बम ब्लास्ट के आरोपी Telegram पर चैट करते थे, ऐप पहले भी विवादों में रहा है
रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली बम ब्लास्ट के मुख्य आरोपी Dr Umar Nabi और Imam Irfan Ahmad Wagah ने टेलीग्राम पर ग्रुप बनाया हुआ था. पहले-पहल इस ग्रुप पर “Kashmir’s Aazadi” और “suppression of Kashmiris,” जैसे टॉपिक डिस्कस होते थे मगर बाद में इस ग्रुप का फोकस जेहाद और बदला लेने पर शिफ्ट हो गया.


इंडिया टुडे के Kamaljit Kaur Sandhu और Jitendra Bahadur Singh की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली बम ब्लास्ट के मुख्य आरोपी Dr Umar Nabi और Imam Irfan Ahmad Wagah ने टेलीग्राम पर ग्रुप बनाया हुआ था. पहले-पहल इस ग्रुप पर “Kashmir’s Aazadi” और “suppression of Kashmiris,” जैसे टॉपिक डिस्कस होते थे मगर बाद में इस ग्रुप का फोकस जेहाद और बदला लेने पर शिफ्ट हो गया . दिल्ली कार विस्फोट मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के पास है. इस पर जो भी अपडेट होगा वो हम आपसे साझा करेंगे मगर Telegram का ऐसे नाम ऐसे मामलों में आना कोई नई बात नहीं है.
उल्टे कामों का अड्डा है क्या Telegram?वैसे ऐसा लिखना शायद सही नहीं लगे मगर इस ऐप का इस्तेमाल सीधे-सीधे काम के लिए कम ही होता है. ऑनलाइन ठगी करने वालों को तो ऐप कुछ ज्यादा ही पसंद है. पहले-पहले वो अपने शिकार से वॉट्सऐप या दूसरे माध्यम से बात करते हैं मगर बाद में उनको Telegram पर ले जाते हैं. अब ये बात किसी से छिपी नहीं है कि फिल्म और वेब सीरीज डाउनलोड करने के लिए भी इसी ऐप को तलाशा जाता है.
ड्रग्स या मानव तस्करी या किसी बड़े अपराध के लिए भी इसी ऐप का इस्तेमाल होता है. मार्च 2024 में ऑस्ट्रेलिया की ई-सेफ्टी कमिशन ने चाइल्ड अब्यूज़ को लेकर ऐप से जवाब भी मांगा था. टेलीग्राम ने जवाब देने में 6 महीने की देरी की थी. इसी को लेकर अब ऑस्ट्रेलिया के ऑनलाइन सेफ़्टी रेगुलेटर की तरफ़ से ये जुर्माना लगाया भी लगाया गया था. मैसेजिंग प्लेटफ़ॉर्म पर दुनिया भर में सवाल उठते ही रहते हैं.
इसी वजह से इसके संस्थापक पावेल दुरोव (Pavel Durov) को अगस्त 2024 में फ्रांस ने जांच के लिए हिरासत में लिया था. आरोप थे कि इस ऐप पर कई ग़ैर-क़ानूनी एक्टिविटिज़ हो रही हैं. हालांकि, पावेल दुरोव ने सभी आरोपों से इनकार किया था. उनको जमानत भी मिल गई थी. पावेल दुरोव हमेशा से इस बात की वकालत करते रहे हैं कि दो लोगों के बीच की बातचीत एकदम सेफ होनी चाहिए. मतलब ऐप सिर्फ माध्यम है. आप क्या बात करते और क्या शेयर करते, इससे उसको मतलब नहीं.
दिल्ली बम ब्लास्ट में भी ऐप का नाम आ रहा है. देखते हैं ऐप का रुख क्या रहता है.
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