हम तो भईया महज सर्विस प्रोवाइडर हैं. हमारा काम तो अपने प्लेटफॉर्म पर प्रोडक्ट लिस्ट करना और उनको आप तक पहुंचाना है. आपका ऑर्डर अगर कैंसिल हो गया या फिर प्रोडक्ट में कोई गड़बड़ी हुई तो हमारा कोई लेना देना नहीं है. हम तो हम तो भईया महज सर्विस प्रोवाइडर हैं. दोबारा से इस लाइन को इसलिए लिखा क्यों ई-कॉमर्स पोर्टल इसी लाइन को दोबारा-तिबारा और चौबारा दोहराते हैं. और ऐसा बोलकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं. यूजर के तौर पर आपके पास झल्लाने के सिवा कुछ नहीं होता है. मगर शायद आगे से ऐसा नहीं होगा.
Flipkart ने एक के बाद एक 16 ऑर्डर कैंसिल किए, कोर्ट ने जो किया वो जानकर मौज आ जाएगी
Delhi Consumer Court ने Flipkart पर 10 हजार का जुर्माना लगाया है. अब जो Flipkart नाम पढ़कर आपको लगे कि इनका तो काम ही बेकार है तो बात तो आपकी सही है मगर मामला इस बार थोड़ा हटकर है. बताते क्या हुआ है.

इसकी वजह है Delhi Consumer Court का ऑर्डर जिसमें उसने Flipkart पर 10 हजार का जुर्माना लगाया है. अब जो Flipkart नाम पढ़कर आपको लगे कि इनका तो काम ही बेकार है तो बात तो आपकी सही है मगर मामला इस बार थोड़ा हटकर है. बताते क्या हुआ है.
कैंसिल-कैंसिल-कैंसिलदिल्ली के रहने वाले Utkarsh Srivastava ई-कॉमर्स पोर्टल फ्लिपकार्ट के बंधे ग्राहक. लेकिन पोर्टल तो उनको इतना तंग कर दिया कि उनको उपभोक्ता फोरम में जाना पड़ा. उत्कर्ष ने फ्लिपकार्ट पर मानसिक पीड़ा, उत्पीड़न, सेवाओं में कमी और unfair trade practices के लिए केस किया और मुआवजे की मांग की.
वजह, फ्लिपकार्ट ने उनके ऑर्डर कैंसिल कर दिए वो भी एक नहीं, दो नहीं, तीन भी नहीं बल्कि पूरे 16 ऑर्डर. अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कि इसमें से कई ऑर्डर सेल और ऑफर्स के दौरान के भी थे. फ्लिपकार्ट ने ऐसा करने का कोई कारण ग्राहक को नहीं बताया. कंपनी के कस्टमर केयर ने भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया. इतना ही नहीं, बल्कि कस्टमर केयर ने अपना नाम भी बताने से इनकार किया.
परेशान उत्कर्ष ने Delhi Consumer Court का रुख किया. फ्लिपकार्ट ने यहां वही दलील दी जो हमने आपको बताई. जनाब हम तो सर्विस प्रोवाइडर हैं. कानून की भाषा में कहें तो हम तो Information Technology Act 2000, के Section 2(1)(w) के तहत "intermediary" ठहरे. ऑर्डर कैंसिल होने में हमारा कोई हाथ नहीं. माने अब आगे से ही प्रोडक्ट नहीं आया तो क्या ही कर सकते हैं. कोर्ट ने पोर्टल की इस दलील को नहीं माना और उनके ऊपर 10 हजार का जुर्माना लगाया है.
खबर हो गई खत्म मगर हमने ये खबर आपको बताने के लिए बल्कि आपको खबरदार करने के लिए बताई है. ई-कॉमर्स पोर्टल्स की मनमानियों के किस्से कोई नए नहीं हैं. खुद को सर्विस प्रोवाइडर कहते हैं मगर सर्विस के नाम पर अजीब-अजीब चार्ज लगाते हैं. इसलिए अगर आपके साथ भी ऐसा हो तो आप भी कोर्ट का रुख कीजिए. क्या पता ऐसा करने से इनकी सर्विस वाकई सुधर जाए.
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