चीनी AI प्लेटफॉर्म DeepSeek ने अमेरिका के सिलिकॉन वैली की कई बड़ी कंपनियों की नींद उड़ा दी है. जब लॉन्च हुआ तो सबको लगा कि होगा एक और एआई प्लेटफॉर्म, अब तो कई हैं. लेकिन पहली चौंकाने वाली जानकारी ये थी कि इसे बनाने की लागत कुछ ज्यादा ही कम है. फिर मच गया बवंडर. बाजार टूट गए. चिप बनाने वाली कंपनी NVIDIA को तो करीब 50 लाख करोड़ रुपये डूब गए. फिर सबके अंदर क्यूरॉसिटी जागने लगी. आखिर क्या है ये बला जिसने इनोवेशन के सारी थ्योरी धता बताते हुए कमाल कर दिया. और क्यूरॉसिटी ने जन्म दिए कुछ ऐसे सवाल जिसके बाद हर कोई यही कहने लगा DeepSeek वाकई में चाइना का माल निकला. ऐसा क्यों? हम समझते हैं.
DeepSeek की वो बातें जो बताती हैं कि ये है तो 'चाइना का माल'
आखिर क्या बला है DeepSeek जिसने इनोवेशन के सारी थ्योरी धता बताते हुए कमाल कर दिया. और क्यूरॉसिटी ने जन्म दिए कुछ ऐसे सवाल जिसके बाद हर कोई यही कहने लगा DeepSeek वाकई में चाइना का माल निकला. ऐसा क्यों? हम समझते हैं.

डीपसीक का कहना है उसने महज 51 करोड़ रुपये खर्च करके इस चैटबॉट को तैयार किया है. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक ये META AI की लागत से 10 गुना कम है. सवाल उठे कि ऐसा संभव हुआ कैसे. इसको लेकर DeepSeek ने दावा किया कि उसने H800 (GPU) को इस्तेमाल किया है, जो एक पुराना चिप है और उसे सिर्फ 2000 चिप्स ज़रूरत पड़ी. वहीं आम तौर पर बड़ी कंपनियों को लगभग 16 हजार चिप्स की जरूरत पड़ी थी. वहीं अमेरिका आधारित AI कंपनियां NVIDIA H100 Tensor Core GPU का इस्तेमाल करती हैं, जो एक एडवांस चिप है.
लेकिन डीपसीक के इन दावों को स्केल AI के CEO एलेक्जेंडर वांग ने खारिज कर दिया है.
एलेक्जेंडर वांग ने CNBC को बताया,
DeepSeek के पास 50 हजार से ज्यादा NVIDIA H100 चिप्स हैं, जो एक बहुत बड़ी मात्रा है. अमेरिका के एक्सपोर्ट कंट्रोल से जुड़े नियमों के कारण वो इस बात को खुलकर बता नहीं पा रहे हैं.
मेटा और SpaceX कंपनी के मालिक एलन मस्क ने वांग के बयान पर सहमति दर्ज कराई.
दरअसल, एलेक्जेंडर वांग पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के एक फैसले का जिक्र कर रहे थे. 7 अक्टूबर, 2022 को अमेरिका ने चीन के खिलाफ एक फैसला लिया. तब राष्ट्रपति थे जो बाइडन. फैसले के तहत अमेरिका से चीन भेजी जानी वाली कुछ खास चिप्स के एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी गई. तर्क था कि इन चिप्स से चीन की सेना दिन-ब-दिन मजबूत हो रही है. आधुनिक हथियार बना रही है. दुनिया को लगा कि इन चिप्स के बगैर चीन को तकनीक के क्षेत्र में भी खासा नुकसान होगा. इन चिप्स से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की तकनीक तैयार होती है. कहा गया था कि अब चीन AI की दौड़ में भी बहुत पीछे रह जाएगा.
ये भी पढ़ें: हफ्ते भर पुरानी चीनी DeepSeek ने इस अमेरिकी को 50 लाख करोड़ का झटका दे दिया
ऐसे भी चीन महंगी चीजों को सस्ते में उपलब्ध कराने के लिए जाना जाता है. वर्तमान में ChatGpt में हर इनपुट के लिए 86 पैसे खर्च होते हैं. इस हिसाब से 10 लाख इनपुट पर 12 लाख का खर्चा आता है. अभी जो दावे हैं उसके मुताबिक, DeepSeek में 10 लाख इनपुट के लिए $0.14 (12 रुपये) और आउटपुट के लिए $0.28 (24 रुपये) ही खर्च करने होंगे. कई लोगों ने इस दावे पर संशय जताया.
सिक्योरिटी और प्राइवेसी का मसलादुनिया भर से कई शिक्षाविदों और सरकारी अधिकारियों ने DeepSeek के इस्तेमाल में सावधानी बरतने की सलाह दी है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में 'फाउंडेशन्स ऑफ एआई' के प्रोफेसर माइकल वूल्ड्रिज ने यूजर्स से अपील की है कि यूजर्स कोई भी सेंसिटिव जनाकारी इस चैट बॉट को ना दें. उन्होंने कहा कि अभी इस बात की जनाकारी नहीं है कि DeepSeek को दी गई जानकारी कहां जा रही है. द गार्जियन ने प्रोफेसर के हवाले से लिखा,
निष्पक्षता पर उठे सवालमुझे लगता है कि इसे डाउनलोड करना और इससे फुटबॉल क्लब के बारे में बात करना ठीक है. लेकिन क्या मैं इसमें कोई सेंसेटिव या पर्सनल जानकारी डालने की सलाह दूंगा? बिल्कुल नहीं… क्योंकि आपको नहीं पता कि ये डेटा जाता कहां है.
चीन के बने हर प्लेटफॉर्म पर दो आरोप बहुत कॉमन रहे हैं. पहला प्लेटफॉर्म का निष्पक्ष ना होना और दूसरा प्राइवेसी उल्लंघन का खतरा. हम पहले निष्पक्षता पर आते हैं. एक बात तो साफ है, चीन के अपने प्रोडक्ट बिल्कुल ही राष्ट्रभक्त (सत्ताभक्त) होते हैं. इसका उदाहरण आप खुद ही देख लीजिए.
जब DeepSeek से पूछा गया कि अरुणाचल प्रदेश किस देश में है. जवाब मिला,
माफ कीजिएगा! ये मेरे स्कोप से बाहर की चीज है. आइए कुछ और बात करें. (इंग्लिश में)

4 जून, 1989 को चीन के बीजिंग के तियानमेन स्क्वायर पर छात्रों ने सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था. इसे रोकने के लिए पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने बहुत सारे नागरिकों की हत्या कर दी थी. DeepSeek ने इस बारे में कुछ बताने से मना कर दिया.

शुरुआती दौर में ChatGPT की निष्पक्षता पर भी सवाल उठे थे. लेकिन फिलहाल ऐसे मामलों में ChatGPT में अपेक्षाकृत सुधार देखने को मिला है. मसलन कि यही सवाल जब ChatGPT से पूछे गए तो उसका जवाब कुछ इस तरह था-

अमेरिकी नौसेना ने भी अपने कर्मियों को DeepSeek का इस्तेमाल नहीं करने को कहा है. उन्होंने सिक्योरिटी और मोरल ग्राउंड पर जोखिमों का हवाला दिया है. नौसेना के प्रवक्ता ने इस बात की पुष्टि की है. एक इंटरनल मेल में इस बात पर चिंता जताई गई है कि DeepSeek का गलत इस्तेमाल किया जा सकता है. इसलिए किसी भी तरह से इसका इस्तेमाल नहीं करने के लिए चेतावनी जारी की गई है.
डरना भी लाजमी है. TikTok, Shein, Xiaomi, AliExpress, Temu और WeChat जैसे प्लेटफॉर्म पर पहले भी निजता के उल्लंघन के आरोप लगते रहे हैं. भई दूध का जला तो छाछ भी फूंक फूंक कर पीता है. तो भरोसा करने में टाइम तो लगेगा.
DeepSeek का भविष्य जो भी हो लेकिन कई मामलों में उस पर संशय बना हुआ है. एक सच्चाई ये भी है कि रिलीज के कुछ ही दिनों बाद इसने बड़ी AI कंपनियों को सोचने पर मजबूर कर दिया है.
वीडियो: दुनियादारी: क्या है चीन का चैटबॉट 'DeepSeek' जिसने अमेरिका को हिलाकर रख दिया?