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आपके नए पावर बैंक में क्या-कुछ होना ही चाहिए...

कभी भी और कहीं भी महसूस होती है पावर बैंक की ज़रूरत.

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पावर बैंक खरीदने से पहले जानें ज़रूरी बातें
Nokia 3310 फोन याद है. फीचर्स वगैरह छोड़िए, लेकिन बैटरी का बाप था. कई लोग आज भी कहते मिल जाएंगे, भई हमारा 3310 तो हफ्ते भर (हकीकत से थोड़ी दूर) चल जाता था. नोकिया 3310 तो गया फिर स्मार्टफोन आ गए और बैटरी भी बड़ी होती गई, लेकिन परफॉर्मेंस में सुधार की गुंजाइश अब भी है. कुछ तरीके हैं जिससे फोन की बैटरी लाइफ बेहतर हो सकती है, इनके बारे में हमने आपको बताया भी है. लेकिन उसके अलावा क्या? ऐसे में जरूरत महसूस होती है एक बढ़िया पावर बैंक की. गूगल पर सर्च करिए या किसी ऑनलाइन साइट पर, ज़्यादा से ज़्यादा क्षमता वाले पावर बैंक सामने आ जाएंगे. क्या सच में इतना देखकर आपको पावर बैंक खरीद लेना चाहिए या फिर कुछ और बातें भी ध्यान रखना जरूरी हैं. एक बात गांठ बांध लीजिए, किसी गैजेट की आंकने के लिए सिर्फ एक पैमाना काफी नहीं होता, इसलिए आपका ये जानना बहुत जरूरी है कि पावर बैंक लेते समय क्या-क्या देखना जरूरी है.
पावर बैंक दरअसल होता क्या है? जैसे नाम से लगता है कि पावर को संभालकर रखने वाला और जरूरत पड़ने पर आपके स्मार्टफोन या दूसरे गैजेट्स को चार्ज करने वाला एक पोर्टेबल डिवाइस. पावर बैंक भी बनता लीथियम इयॉन बैटरी से है जो आपके फोन में होती है, बस ताकत ज्यादा होती है. बैटरी के ये ताकत मापी जाती है mAh (milli amp hours) में, जैसे कि 5000 mAh या 10000 mAh या उससे भी कहीं ज्यादा. अब Power Bank में भी लीथियम इयॉन बैटरी है तो जाहिर सी बात है इसके काम करने का तरीका भी एक जैसा होगा. पावर बैंक के बारे में तो आप जान गए, लेकिन उसे खरीदने से पहले क्या-क्या ध्यान रखना चाहिए उस पर नजर डालते हैं. बिल्ड क्वालिटी पावर बैंक की बिल्ड क्वालिटी अच्छी होनी बहुत जरूरी है. मान लीजिए कि क्षमता तो है 20000mAh की, लेकिन बंद कर दिया है घटिया प्लास्टिक के अंदर तो दिक्कत होना तय है. लीथियम इयॉन बैटरी में यदि वोल्टेज 4.2 V से ज्यादा हो तो वो गरम होने लगती है तो बिल्ड क्वालिटी अच्छी होना जरूरी है. इसका एक फायदा और भी है कि पावर बैंक आमतौर पर थोड़े भारी होते हैं तो कभी गिर गया तो टूट फूट से बच जाएंगे.
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चार्जिंग पोर्ट पावर बैंक है तो आप मोबाइल के साथ और भी डिवाइस चार्ज करेंगे तो इसके लिए कितने और किस तरह के चार्जिंग पोर्ट हैं वो देखना जरूरी है. माइक्रो-यूएसबी और टाइप सी पोर्ट होना तो आम बात है. लेकिन एक बार आप ये जांच लें कि किस पोर्ट से पावरबैंक चार्ज होगा और किसी पोर्ट से दूसरे गैजेट्स चार्ज किए जाएंगे. क्योंकि आपके पास कनेक्टर भी तो होना चाहिए.
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मल्टीपल डिवाइस सपोर्ट ऊपर से देखने पर आपको लगेगा कि पावर बैंक ले लिया, फोन में लगाया और कहानी खत्म. ऐसा होता भी है, लेकिन यदि आप अपने स्मार्टफोन के हिसाब से पावर बैंक खरीदेंगे तो ठीक रहेगा. एंड्रॉयड और iOS दोनों अलग-अलग तरह का वोल्टेज लेवल फॉलो करते हैं और सस्ते पावर बैंक में इसको मैनेज करने का जुगाड़ नहीं होता, जिसके लिए वो दो यूएसबी पोर्ट अलग-अलग देते हैं. उच्च क्वालिटी वाले हाई एंड पावर बैंक ऐसा अपने आप कर सकते हैं, लेकिन आप ध्यान रखें कि आपको क्या चार्ज करना है, फिर वैसा ही पावर बैंक लीजिए. पावर डिलिवरी पावर बैंक कितना ही mAh का हो, आउटपुट यदि कम या नॉर्मल है तो धीरे-धीरे चार्जिंग होगी. देख लीजिए कि कम से कम एक पोर्ट तो 18 वॉट पावर डिलिवरी आउटपुट देता हो तभी फटाफट चार्ज या आम बोलचाल में कहें तो ऑन दि गो चार्ज का मजा मिल पाएगा. फास्ट चार्जिंग आउटपुट तो देख लिया, अब बारी इनपुट मतलब पावर बैंक की चार्जिंग स्पीड से है. फास्ट चार्जिंग ही एकमात्र विकल्प होना चाहिए, क्यूंकि स्लो चार्जिंग लायक वक्त आजकल होता नहीं. यहां एक बात और ध्यान रखिए कि फास्ट चार्जिंग आपके अपने चार्जर से हो जाएगी या फिर पावर बैंक के लिए अलग से कंपेटेबल चार्जर लेना पड़ेगा. स्टैंड बाय टाइम कहने को तो पावर बैंक है लेकिन जरूरी नहीं कि रोज काम आए. कई बार हफ्तों बैग में पड़ा रहता है तो जितना ज्यादा स्टैंड बाय टाइम मिले उतना ठीक रहेगा. ऐसा न हो कि आपने हफ्ते भर बाद पावर बैंक निकाला और वो खुद आपको तलाश रहा था कि भैया मुझे पावर दे दो. लोड डिटेक्शन स्टैंड बाय टाइम जैसा ही है, लेकिन तब जब पावर बैंक किसी डिवाइस को चार्ज कर रहा हो. एक बार आपका डिवाइस फ़ुल चार्ज हो गया तो पावर बैंक में ऑटो कट ऑफ हो जाना चाहिए न कि बस फेंके जाओ करंट. इससे बिना आपका फोन भी खराब होगा और पावर बैंक भी. डिस्प्ले पैनल पावर बैंक कैसे काम कर रहा? क्या काम कर रहा? उसके लिए जरूरी है नोटिफिकेशन लाइट या डिस्प्ले पैनल. पावर बैंक कितना चार्ज है? कितनी ताकत बची है? उसके लिए नोटिफिकेशन लाइट या डिस्प्ले पैनल होना सबसे जरूरी है, वरना अंदाजा लगाते रहिए.
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Image Courtesy Gionee
क्षमता आपको लगा होगा कि जो सबसे पहले दिखता है वो भूल गए क्या. ऐसा नहीं है, क्यूंकि हम माल थोड़े न बेच रहे हैं जो सीधे ताकत बताने लगे. एक बात जान लीजिए कि पावर बैंक कितना काम करेगा वो महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि ये महत्वपूर्ण है कि आप उससे कितना काम कराना चाहते हैं. उदाहरण के तौर पर, आपको सिर्फ अपना स्मार्टफोन ही चार्ज करना है और उसकी बैटरी 3000 mAh की है तो 10000 mAh का पावर बैंक ठीक रहेगा. इसका कोई फॉर्मूला तो नहीं है लेकिन हमारा निजी अनुभव ऐसा है कि स्मार्टफोन की बैटरी क्षमता की तीन गुना क्षमता वाला पावर बैंक लीजिए. करीब-करीब ढाई बार चार्ज करने की सुविधा रहेगी. ब्रांड पावर बैंक के साथ अच्छा ब्रांड बहुत जरूरी है. आजकल ब्रांड लेने में कोई खास मुश्किल है नहीं, क्यूंकि वो भी कोई अनाप शनाप मूल्य नहीं लेते, उल्टा क्वालिटी की गारंटी अलग से देते हैं. अच्छा ब्रांड लेने का एक फायदा ये है कि तमाम क्वालिटी चेक सही तरीके से होते हैं तो अच्छी पावर के लिए अच्छा ब्रांड. लगे हाथ एक बात और जान लीजिए, वैसे इसका पावर बैंक से सीधे-सीधे लेना देना नहीं है. यदि आपके पास वायरलेस चार्जिंग वाला फोन है तो आप वैसा पावर बैंक भी ले सकते हैं.

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