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क्या WhatsApp वाले आपका मैसेज पढ़ते हैं? आज अंदर की हकीकत जान ही लीजिए

मेटा के मालिकाना हक वाला इंसटेंट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म जिस End to end encryption की बात करता है, वो वाकई में काम करता है क्या? अगर करता है तो कैसे. आज इस Encryption की चाबी तलाशते हैं.

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वॉट्सऐप का end to end encryption क्या है

WhatsApp हमेशा एक बात बड़े जोर शोर से कहता है. प्लेटफॉर्म पर दो लोगों के बीच की बातचीत एकदम प्राइवेट है. दो लोग आपस में या दस लोग ग्रुप में क्या बात करते हैं, वॉट्सऐप का उससे कोई लेना देना नहीं है. वो आपके मैसेज नहीं पढ़ता है मगर उसे ये जरूर पता होता है कि मैसेज इधर से उधर गया. मैसेज के ऊपर एक कवर होता जिसे तकनीक की भाषा में Encryption कहते हैं. मतलब वो आंखे होते हुए भी अपनी आंखे बंद रखता है. एकदम गांधारी के जैसे. उदाहरण थोड़ा अलग है मगर फिट बैठ रहा. क्या वाकई में ऐसा है.

माने मेटा के मालिकाना हक वाला इंसटेंट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म जिस End to end encryption की बात करता है, वो वाकई में काम करता है क्या? अगर करता है तो कैसे. आज इस Encryption की चाबी तलाशते हैं.

क्या है End to end encryption?

आसान भाषा में कहें तो प्याज के छिलके. मतलब अगर प्याज आंख के सामने भी रखा है और उसके ऊपर छिलके हैं तो अंदर का मामला पता नहीं चलेगा. एन्क्रिप्शन का मामला भी ऐसा ही है. जब आप अपने मोबाइल पर वॉट्सऐप इंस्टाल करके मोबाइल नंबर से लॉगिन करते हैं तो बाकी सब होने से पहले फाइल में ‘com.whatsapp’ का एक फोल्डर अपने आप बन जाता है.

इसे आप फोन के फाइल फोल्डर में डेटा के अंदर देख सकते हैं. इसी फोल्डर के अंदर फाइल जनरेट होती हैं जिन्हें पब्लिक Key और प्राइवेट Key कहते हैं. प्राइवेट Key हमारे फोन में सेव होती है और पब्लिक key ऐप के सर्वर पर सेव हो जाती है. ये सिस्टम दुनिया के हर फोन में होता है जिसमें ऐप को इंस्टाल किया जाता है.

प्राइवेट Key को आप दरवाजे की वो चाबी समझ लीजिए जिसे आप अंदर से ताला खोलने के लिए इस्तेमाल करते हैं. और पब्लिक Key मतलब ऐसी चाबी जो बाहर से ताला खोलने के काम आती है. जब आप किसी को पहली बार मैसेज भेजते हैं तो ऐप इस पब्लिक Key को सबसे पहले उस यूजर के पास भेज देता है. आप अगर चैट स्क्रीन पर देखेंगे तो इसका मैसेज वहां नमूदार होता है.

आपको कोई मैसेज आता है तो फिर आपके पास प्राइवेट Key होती है. मतलब दोनों तरफ चाबी होती है मगर ताला कहां होता है. दरअसल ताला यहां एक ऑटोमैटिक प्रोसेस है. इसके लिए आपको एन्क्रिप्शन शब्द का हिन्दी समझना होगा. इसका मतलब है कूटलेखन. मतलब लिखने का ऐसा तरीका जो सिर्फ लिखने वाले और पढ़ने वाले को पता होता है.

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माने हमने आपस में तय किया कि हम 'आ' की जगह 'बा' लिखेंगे तो भले हमने ‘बाप’ लिख दिया मगर उसका मतलब ‘आप’ हुआ. एक और तरीका है. जैसे नंबर को किसी अक्षर के लिए तय कर देना. माने 1 नंबर का मतलब अ हुआ और 9 का प तो 19 का मतलब 'आप' हुआ. इसलिए जब आप अपने सिस्टम पर कोई मैसेज लिखते हैं तो सिस्टम उसे इसी कूट भाषा में बदल देता है. मतलब जो कोई बीच में आ भी गया तो उसे कुछ समझ में नहीं आएगा.

एकदम फिल्मों और सीरियल जैसे होता है ना. मतलब जब सफेद कागज पर हल्दी डालते हैं तो सब अक्षर सामने आ जाते हैं. अब भले ऐसा होना कल्पना लगे मगर एन्क्रिप्शन का मामला भी ऐसा ही है. हल्दी की जगह चाबी होती है और वो तो WhatsApp के पास नहीं है. आपके पास है. मतलब ऐसा मान लेते हैं.

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