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कार सेफ्टी तय करने में आत्मनिर्भर हुआ भारत, BNCAP लॉन्च, जानें कैसे काम करेगा

एक अक्टूबर, 2023 से प्रोग्राम शुरु होने के बाद भारत अमेरिका, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया के बाद ऐसा सिस्टम रखने वाला दुनिया का पांचवां देश बन जाएगा.

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कारों को मिलेगी देसी रेटिंग (तस्वीर साभार: बिजनेस टुडे)

भारत ने 22 अगस्त को खुद का कार सेफ्टी टेस्ट प्रोग्राम Bharat NCAP लॉन्च कर दिया है. मंगलवार को दिल्ली में हुए एक इवेंट में केंद्रीय सड़क-परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (Bharat NCAP या BNCAP) लॉन्च किया. यह पुणे के चाकन में भारतीय परिस्थितियों के अनुसार तय नियमों के तहत कारों का क्रैश टेस्ट करेगा. नया प्रोग्राम 1 अक्टूबर से सेफ्टी रेटिंग देना शुरू करेगा. बता दें कि कारों को 0 से 5 स्टार तक की रेटिंग दी जाती है. 0 मतलब अनसेफ और 5 मतलब पूरी तरफ सेफ. क्या मायने हैं इस प्रोग्राम के, चलिए जानते हैं.

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GNCAP और LNCAP तय करती थीं रेटिंग

अभी तक देश में विदेशी स्टैंडर्ड के अनुसार भारतीय कारों का टेस्ट होता था. विदेशी एजेंसी ग्लोबल एनकैप (GNCAP) और लैटिन एनकैप (LNCAP) टेस्ट करके कारों को सेफ्टी रेटिंग देती थीं. यह रेटिंग कई मायनों में भारतीय कंडीशन के हिसाब से फिट नहीं होती, इसलिए केंद्र सरकार ने अपनी रेटिंग सिस्‍टम BNCAP की शुरुआत की है. 

BNCAP रेटिंग में ग्लोबल लेवल के सभी मानकों को शामिल किया गया है. BNCAP क्रैश टेस्ट कार को एडल्ट ऑक्यूपेंट प्रोटेक्शन (AOP ), चाइल्ड ऑक्यूपेंट प्रोटेक्शन (COP) और सेफ्टी असिस्ट टेक्नोलॉजी (SAT) के आधार पर सेफ्टी रेटिंग देगा.

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# एडल्ट ऑक्यूपेंट प्रोटेक्शन (AOP) रेटिंग में ये देखा जाता है कि जब कार सामने और साइड की तरफ से टकराती है, तब इसमें बैठने वाले पैंसेजर और ड्राइवर कितने सेफ हैं.

# चाइल्ड ऑक्यूपेंट प्रोटेक्शन (COP) भी AOP जैसा ही है, मगर इसमें कार के सामने और साइड से टक्कर होने पर इसमें बैठने वाले बच्चे की सेफ़्टी को परखा जाता है.

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# कार में सरकार के नियम अनुसार स्टैंडर्ड सेफ्टी फीचर्स हैं या नहीं और वे हादसे के समय सही से काम करते हैं या नहीं, सेफ्टी असिस्ट टेक्नोलॉजी (SAT) में इसका पता लगाया जाता है.

क्रैश टेस्ट प्रोसेस

# सबसे पहले डमी कार को अलग-अलग एंगल से हिट करवाया जाता है. फिर नुकसान या फिर कहें सुरक्षा का आंकलन किया जाता है. इस आधार पर सेफ्टी रेटिंग तय की जाती है.

# कार में लगे सेफ्टी इक्विपमेंट भी रेटिंग का बड़ा आधार हैं. उदाहरण के लिए, जब डमी कार को 64 या 128 किलोमीटर की रफ्तार से हिट किया गया तो कार में किस तरह का नुकसान हुआ. डमी कार को फ्रंट-बैक साइड से भी हिट करवाया जाता है. गाड़ी में कितनी टूट-फूट हुई, इस आधार पर सेफ्टी रेटिंग तय की जाती है. यह भी देखा जाता है कि एक्सीडेंट के दौरान एयर बैग्स जैसे इक्विपमेंट सही तरह से खुले या नहीं.

# टेस्ट के लिए कार में डमी एडल्ट पर्सन और बच्चे को बिठाकर हिट कराया जाता है. डमी एडल्ट को कितनी चोटें लगीं, मसलन उसके माथे में कितनी गंभीर चोट आई, उसके पैर में कितना फ्रैक्चर हुआ, उसकी पसलियों का क्या हाल हुआ, उन सबको आधार बनाकर प्वाइंट तय किए जाते हैं.  

पॉइंट्स के क्या मायने हैं?

प्रोसेस पूरा होने के बाद कार को एडल्ट और बच्चों के हिसाब से पॉइंट दिए जाते हैं. अगर कार को एडल्ट के लिए 27 प्वांइट मिले तो मतलब फाइव स्टार रेटिंग. बच्चों में फाइव स्टार रेटिंग का मतलब 41 प्वांइट. इसी तरह अगर एडल्ट रेटिंग में सिर्फ 4 पॉइंट मिले तो कार की रेटिंग एक मानी जाएगी. बच्चों के लिए सिंगल रेटिंग का मतलब 9 प्वांइट मिलना होता है.

आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि भारत-NCAP के तहत देश में व्हीकल की टेस्टिंग का खर्च करीब 60 लाख रुपये होगा, जबकि ग्लोबल लेवल पर इसके लिए 2.5 करोड़ रुपये खर्च करना पड़ते हैं. यानी अब देसी एजेंसी से टेस्टिंग कराने पर कंपनियों को 75 फीसदी कम पैसा देना होगा.

वेबसाइट पर मिलेगा रिजल्ट

केंद्र ने एक मॉनिटरिंग कमेटी बनाई है. यह BNCAP की टेस्टिंग का एनालिसिस करेगी. मॉनिटरिंग कमेटी की मंजूरी मिलने पर ही BNCAP अपनी वेबसाइट पर स्टार रेटिंग और टेस्ट रिजल्ट्स शो करेगा.

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