207 पन्नों का ऐसा फैसला, जिसे पढ़ते हुए जज का भी गला भर आया
सज्जन कुमार कांग्रेस का सांसद था. निचली अदालत ने पहले उसे बरी कर दिया था. मगर अब दिल्ली हाई कोर्ट ने उसे उम्रकैद की सजा दी है.
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आज वारिस शाह से कहती हूं-
अपनी क़ब्र से बोलो !
और इश्क़ की किताब का कोई नया वर्क़ खोलो !.. जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस विनोद गोयल ने अपने फैसले की शुरूआत अमृता प्रीतम की इस कविता से की है. 207 पन्नों के इस फैसले में 2,733 सिखों की हत्या का दर्द भी छिपा है. पेज दर पेज हमने इस फैसले को पढ़कर आपके लिए इस विश्लेषण को तैयार किया है.
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