जब इस धर्मगुरु के कहने पर 913 लोगों ने एक साथ खुदकुशी कर ली
पूरे कंपाउंड में लाशें बिछी थीं. ये किसी आतंकवादी का काम नहीं था.
अगर ये घटना न हुई होती, तो शायद ओशो और बड़े होते. और लंबा जीते. अमेरिका में उनकी वैसी बेइज्जती न हुई होती. और शायद उन्हें अमेरिका से लौटकर भारत नहीं आना पड़ता.नस्लीय भाईचारे और बराबरी जैसी अच्छी बातें करने वाला एक शख्स इंसानों को दिमाग पर इतना हावी हो गया कि वो लोग उसकी बात मानकर आत्महत्या करने को राजी हो गए. एक-दो नहीं, बल्कि 918 लोग.