The Lallantop

क्रिकेटर जो ज़्यादा फड़फड़ाने वाले नॉन-स्ट्राइकर बैट्समैन को शांत कर देता था

आउट करने का ऐसा तरीका निकाला कि उस तरीके का नाम ही उस पर पड़ गया.

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फोटो - thelallantop
ICC Hall Of Fame 2021 की लिस्ट आ चुकी है. इस बार इस लिस्ट में वीनू मांकड़ इकलौते भारतीय हैं. पढ़िए उनके रोचक क़िस्से. वीनू मांकड़. ऑस्ट्रेलिया का टूर. साल 1948. सीरीज़ शुरू होने से पहले कुछ प्रैक्टिस मैच थे. न्यू साउथ वेल्स के खिलाफ़ वीनू ने 67 और अगली इनिंग्स में 22 रन बनाये. सीरीज़ शुरू हुई तो अगले दो टेस्ट की चार इनिंग्स में 0, 7, 7 और 5 रन बनाए. उन्हें 6 में 6 इनिंग्स में रे लिंडवॉल ने ही आउट किया था. वीनू मांकड़ एक दमदार प्लेयर थे. उनकी बैटिंग में एक अलग तेज था. इसके साथ ही उनमें एक क्वॉलिटी ये भी कि वो अपनी की हुई गलतियों को पढ़ते रहते थे. उनके अन्दर ईगो पर आने वाली बात नहीं थी. इसलिए वो जुट गए इस सवाल का जवाब ढूंढने में कि आखिर समस्या कहां थी. तीसरे टेस्ट से पहले एक पार्टी रखी गई. दोनों टीमें उसमें शामिल हुईं. मांकड़ के पास यही मौका था. वो मौके से चूकते भी नहीं थे. उन्होंने जैसे ही माहौल बनता देखा, शराब की एक बोतल उठाई और रे लिंडवॉल के पास पहुंच गए. अमूमन होता ये है कि बार-बार आउट करने वाले बॉलर और बैट्समेन के बीच तनातनी हो जाती है. लेकिन यहां केस ऐसा नहीं था. यहां लिंडवॉल को शराब खुद मांकड़ परोस रहे थे. और बातों ही बातों में मांकड़ ने उनसे कहा,
'मैं आपसे कुछ पूछ सकता हूं?'
लिंडवॉल ने हामी भरी.
'मुझे आप हर बार कैसे आउट कर ले रहे हैं?'
लिंडवॉल ने बताया,
'तुम्हारा बैटफ्लो धीमा है. यॉर्कर पर तुम्हारा बैट लेट आता है.'
मांकड़ को सारा खेल समझ में आ चुका था. मांकड़ ने लिंडवॉल को थैंक यू कहा और दो दिन बाद 111 रन मारे. चौथे और आख़िरी टेस्ट में 116 रन. और इस दौरान जब भी मांकड़ लिंडवॉल को चौका मारते थे, उसके पास जाते, हल्की सी मुस्कान के साथ उससे पूछते,
'मेरा बैट अब लेट तो नहीं आ रहा है न?'
vinoo pictures इस सीरीज़ के ठीक एक साल पहले साल 1947 में वीनू मांकड़ ने गज़ब का काम किया था. उनकी वजह से बॉलर को नॉन-स्ट्राइकर के रन आउट कर देने को एक नाम मिला. मान्कडिंग. 47 की सीरीज़ में मांकड़ ने 13 दिसंबर को सिडनी टेस्ट में बॉल फेंकते वक़्त बिल ब्राउन को रन आउट कर दिया. मांकड़ गेंद फेंकने जा रहे थे और ब्राउन बार-बार गेंद फेंके जाने से पहले ही रन लेने के लिए निकल रहे थे. मांकड़ ने उन्हें रन आउट कर दिया. इससे पहले वो बिल ब्राउन को ही ऑस्ट्रेलियन इलेवेन के खिलाफ़ खेलते हुए ऐसे ही आउट कर चुके थे. पहली बार के रन आउट में मांकड़ ने एक वॉर्निंग दी थी. सिडनी टेस्ट में कोई वॉर्निंग नहीं. ऑस्ट्रेलिया की प्रेस बौरा गई. त्राहिमाम करती घूम रही थी. मांकड़ को खेल भावना की धज्जियां उड़ाने वाला प्लेयर बता दिया. उस वक़्त डॉन ब्रैडमैन ऑस्ट्रेलिया के कप्तान थे. उन्होंने मांकड़ के कर्मों को डिफेंड किया. और तबसे जब भी कोई बॉलर, ज़्यादा फड़फड़ाने वाले नॉन-स्ट्राइकर बैट्समैन को शांत कर देता है, उसे मान्कडिंग कहा जाने लगा. वीनू मांकड़ ने 233 फर्स्ट क्लास टेस्ट मैचों में 11, 591 रन बनाये. साथ में थे कुल 782 विकेट. 1952 में लॉर्ड्स में वीनू ने अपनी छप छोड़ी लेकिन असली खेल उन्होंने 1955 में पंकज रॉय के साथ खेला जब इन दोनों ने पहले विकेट के लिए रिकॉर्ड 413 रन की पार्टनरशिप बनाई. इनके करियर को अगर देखा जाए तो मालूम पड़ेगा कि कपिल देव के सिवा और कोई भी ऑल राउन्डर वीनू मांकड़ के आस पास भी नहीं भटक सकता. वीनूभाई. हर कोई उन्हें प्यार से यही बुलाता था. वीनू अपने आप में एक क्रिकेट इंस्टिट्यूशन थे. उनके खून में बैटिंग, बॉलिंग और फील्डिंग दौड़ती थी. प्लेयर्स को कोच और गुरु खेलना सिखा सकते हैं लेकिन कोई भी किसी भी प्लेयर को परफॉर्म करना नहीं सिखा सकता. वीनूभाई को परफॉर्म करना आता था. 80 के दशक में मुंबई में एक बहस चल रही थी. पैनल में बैठे क्रिकेट एक्सपर्ट्स दो भागों में बंट गए. मुद्दा था इंडियन क्रिकेट का बेस्ट ऑल-राउन्डर कौन है. डिबेट गंभीर होती जा रही थी. तभी किसी ने वीनू मांकड़ को इंडिया के एक और स्पिनर ऑल राउंडर से कम्पेयर कर दिया. अब युद्धस्तर की बहस चालू हो गई. बहुत ही सीनियर कोच वासु परांजपे उठे और एक बात कही,
'वीनू भाई को किनारे करो, किसी भी दूसरे ऑल राउन्डर से पूछो कि क्या वो ब्रैडमैन, ह्यूटन, हैमंड, वीक्स, वॉरेल, और वेलकट जैसों का विकेट ले पायेगा. और इस सवाल के जवाब में उसके चेहरे के एक्सप्रेशन तुम्हें सब कुछ बता देंगे.'
सारी बहस यहीं खतम हो गई. वीनू सच में इंडिया के सबसे बेहतरीन क्रिकेट ऑलराउंडर हैं.
वीडियो देखें: भारत को पहली विदेशी सीरीज़ जिताने वाले प्लेयर की कहानी

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