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9वें नंबर पर 41 की बैटिंग एवरेज से खेलने वाला मैल्कम मार्शल का शागिर्द गेंदबाज!

शॉन पॉलक. वनडे क्रिकेट का छठा सबसे सफल गेंदबाज़. टेस्ट क्रिकेट में 14वें सबसे ज़्यादा विकेट.

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शॉन पॉलक. फोटो: File Photo

शॉन पॉलक. वनडे क्रिकेट का छठा सबसे सफल गेंदबाज़. टेस्ट क्रिकेट में 14वां सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाला खिलाड़ी. आप इसे साउथ अफ्रीकन क्रिकेट हिस्ट्री में डेल स्टेन के बाद दूसरे सबसे अधिक विकेट लेने वाले खिलाड़ी के रूप में भी पहचान सकते हैं. लेकिन अगर सिर्फ विकेट्स को लेकर ही पॉलक की बात होगी तो वो बेमानी रहेगी. क्योंकि टेस्ट क्रिकेट में नौवें नंबर पर सबसे तगड़ी बैटिंग एवरेज से किसी ने रन्स बनाए तो वो शॉन पॉलक ही हैं. 9वें नंबर पर बैटिंग करते हुए पॉलक का बैटिंग एवरेज 41 का रहा. वहीं टेस्ट क्रिकेट में उनके नाम दो शतक और 16 अर्धशतकों के साथ कुल 3781 रन्स हैं. इससे आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि वो वर्ल्ड क्रिकेट के बेहतरीन ऑल-राउंडर्स में से एक रहे.  

शॉन पॉलक के खून में क्रिकेट था. ये कहना बिल्कुल जायज़ होगा. पिता पीटर पॉलक 1970 के दशक में साउथ अफ्रीकी टीम के तेज़ गेंदबाज़ रहे. वहीं अंकल यानि चाचा ग्रेम पॉलक 70 के दशक के आला दर्जे के खब्बू बल्लेबाज़ रहे. जिन्होंने उस दौरान 61 की बैटिंग एवरेज से 23 टेस्ट में 2256 रन कूटे. लेकिन पापा और चाचा दोनों के क्रिकेटर होने के चलते उन्हें भी उसी परफॉर्मेंस प्रेशर वाली सिचुएशन का सामना करना पड़ा जो अभिषेक बच्चन और रोहन गावस्कर को करना पड़ा. बचपन से ही पॉलक को जब भी टीम में चुना जाता तो उनके चयन पर शक किया जाता. लोग कहते,

'यह केवल अपने नाम की वजह से सेलेक्ट हुआ है'

और फिर अपने चयन को सही ठहराने के लिए उन्हें कम से कम दो बार अच्छा प्रदर्शन करना होता. ऐसा करते-करते साल दर साल वो जूनियर स्कूल से हाई स्कूल और यूनिवर्सिटी क्रिकेट टीम तक पहुंच गए. साउथ अफ्रीका में एनुअल स्कूल वीक टूर्नामेंट को नेशनल टीम में पहुंचने का रास्ता माना जाता था. और जब शॉन पॉलक 1991 में कवाज़ुलू नेटल टीम में पहुंचे तब जाकर लोगों ने उन्हें सीरियसली लेना शुरू किया. लेकिन यहां से भी रास्ता आसान नहीं हुआ. जब दुनिया ने इस खिलाड़ी को सीरियसली लिया तो घर के अंदर से ही समस्या आ खड़ी हुई. क्योंकि जब पिता के साथ अंकल भी क्रिकेट खेल रहे थे तो वहां भी क्रिकेट का माहौल था. शॉन पॉलक के साथ-साथ बड़े हो रहे उनके चचेरे भाई एंथनी और एंड्रयू भी साउथ अफ्रीकन क्रिकेट की रेस में शामिल थे. लेकिन क्या सही में साउथ अफ्रीकन फर्स्ट-क्लास क्रिकेट में एक नहीं तीन-तीन पॉलक के लिए उस वक्त जगह थी? इसका जवाब है, नहीं. क्योंकि शॉन पॉलक के खेल के आगे ये दोनों कज़न ब्रदर्स फीके पड़ गए.

यहां से एक स्कूल बॉय के तौर पर शॉन पॉलक को अपने पहले नेटल B टीम में डेब्यू करने का मौका मिला. इसके अगले ही साल उन्हें First XI से कॉल आ गई. शॉन पॉलक ने इन मौकों का फायदा उठाया और किंग्समीड की ग्रीन और घास वाली विकेट्स पर ढेर सारे विकेट्स चटका डाले. यहीं पर उन्होंने मिडल ऑर्डर में अपने बल्ले का जौहर भी दिखाया. जिसके बाद शॉन को यहां बेहद किफायती माना जाने लगा.

1992-93 में पॉलक के डेब्यू के ठीक बाद नेटल की टीम ने मैल्कम मार्शल को एक ओवरसीज़ प्रोफेशनल के तौर पर टीम के साथ जोड़ लिया. और यहीं से शॉन पॉलक के बनने की शुरुआत हुई. खुद पॉलक ने एक बार मार्शल को लेकर कहा था,

'वो मेरे मेंटॉर हैं. मैंने गेंदबाज़ी में जो भी सीखा वो उससे ही निकला जो उन्होंने मुझे सिखाया है.'

मार्शल से सीखे गुर के बाद शॉन पॉलक 1995 में साउथ अफ्रीका के लिए डेब्यू करने में कामयाब हो गए. हालांकि साल 2000-2001 से पहले वो कभी भी वेस्टइंडीज़ नहीं जा पाए. और जब वो वहां गए तब तक बहुत देर हो चुकी थी. यानि उनके मेंटॉर मैल्कम मार्शल का टूर से ठीक पहले निधन हो गया. उस दौरे पर पॉलक साउथ अफ्रीकी टीम के कप्तान थे और अपने मेंटॉर को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने इस सीरीज़ को 2-1 से जीता. इस जीत के बाद उन्होंने कहा भी था कि

'मैं बारबडोस में उस जगह पर जाने के लिए बेताब था, जहां उन्हें दफ़न किया गया. मैं उन विकेटों पर गेंदबाजी करना चाहता था जहां उन्होंने गेंदबाजी की. मैं उन लोगों से मिलना चाहता हूं जिनके साथ उन्होंने समय बिताया और वो कहां बड़े हुए. ये बेहद दुख की बात है कि मुझे उनके साथ डिनर करने की जगह उनकी कब्र पर श्रद्धांजलि देनी पड़ी.'

मार्शल का प्रभाव पॉलक के करियर पर कितना गहरा था. इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब मार्शल नेटल टीम के साथ अपने चौथे और आखिरी साल में थे तो जॉन्टी रोड्स टीम में स्थायी हो चुके थे. लांस क्लूज़नर खुद को इंटरनेशनल ऑल-राउंडर स्थापित करने की दिशा में थे. वहीं पॉलक अपने इंटरनेशनल क्रिकेट के लिए पूरी तरह से तैयार हो गए थे.

डॉमेस्टिक सर्किट में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद खुद पॉलक के पिता पीटर पॉलक ने 14 नवंबर साल 1995 को इंग्लैंड के खिलाफ़ पहले टेस्ट मैच के लिए साउथ अफ्रीकी टीम की घोषणा की. पीटर उस वक्त राष्ट्रीय चयनकर्ताओं के संयोजक थे. इस टीम में एंड्र्यू हडसन, गैरी कर्स्टन, हैंसी क्रॉन्ये, क्रेग मैथ्यूज़, एलन डोनाल्ड और शॉन पॉलक का नाम भी था. इन नामों की घोषणा करते हुए पीटर ने पन्ने से ऊपर नज़र उठाकर नहीं देखा.  

हालांकि चयन के बाद एक सवाल के जवाब में उन्होंने ज़रूर कहा कि

'शॉन को अभी बहुत कुछ सीखना है, लेकिन उनका हालिया सीज़न कमाल का रहा है और मुझे लगता है कि वो हमारे लिए काम आ सकते हैं.'

जैसा शॉन के पापा ने कहा बिल्कुल वैसा ही हुआ भी. इंग्लैंड के खिलाफ पहले चारों मैच ड्रॉ पर खत्म हुए. सीरीज़ 0-0 की बराबरी पर खड़ी थी. इसके बाद सीरीज़ डिसाइडर चौथे मुकाबले में पहली पारी में एलन डोनाल्ड ने पांच विकेट चटकाए. वहीं दूसरी पारी में शॉन पॉलक ने 32 रन देकर पांच विकेट अपने नाम किए. उनके इस कमाल के प्रदर्शन से इंग्लैंड की टीम  इस मुकाबले में 10 विकेट से हार गई. ये ऐलन और पॉलक के बीच एक तेज़ गेंदबाज़ी वाली पार्टनरशिप की शुरुआत भी थी. जिसने बाद में कितने ही मुकाबलों में साउथ अफ्रीका को मैच जिताए.  

इसके बाद शुरुआती सालों में ही उन्होंने एक और कमाल का प्रदर्शन किया. साल 1997 में फैसलाबाद में उन्होंने पारी में पांच विकेट लेकर पाकिस्तान को सिर्फ 92 रन पर ऑल-आउट कर दिया. जिसकी मदद से साउथ अफ्रीका ने इस डिसाइडिंग मैच में 146 रन का टार्गेट आसानी से चेज़ कर लिया. इसके तीन महीने बाद ही उनके साथी ऐलन डोनाल्ड चोटिल हो गए और पॉलक ने एडिलेड की तपतपाती गर्मी में घंटों तक लगातार गेंदबाज़ की. उन्होंने इस बेहतरीन स्पेल में 41 ओवर गेंदबाज़ी की और बैटिंग के लिए शानदार बताई जा रही विकेट पर 87 रन देकर सात विकेट चटकाए. इसके बाद भारत के खिलाफ़ 2001-02 में उन्होंने एक ही मुकाबले में 10 विकेट चटकाए और अपनी टीम को जीत दिलाने वाला बेमिसल प्रदर्शन भी किया.  जो कि साउथ अफ्रीकी क्रिकेट के इतिहास में किसी भी कप्तान के द्वारा पहली बार था.

बल्लेबाज़ी में भी दिखाए हाथ: 

गेंदबाज़ी ही नहीं बल्लेबाज़ी में भी शॉन पॉलक क्रिकेट जगत के लिए चर्चा का विषय बने रहे. शॉन पॉलक ने इंटरनेशनल क्रिकेट में 7300 से अधिक रन्स बनाए. जिसमें 3 शतक और 30 अर्धशतक शामिल रहे, साल 2003 में जब शॉन पॉलक को विज़्डन क्रिकेटर ऑफ द ईयर चुना गया तब उनका टेस्ट में बैटिंग एवरेज दो शतकों के साथ 33.45 का था. वहीं बॉलिंग एवरेज 20 का था. जो कि उस वक्त लेजेंड्री ऑल-राउंडर ईयान बॉथम से भी बेस्ट था.

नंबर नौ पर बैटिंग करते हुए आज भी शॉन पॉलक से बेहतर बैटिंग एवरेज किसी भी बल्लेबाज़ का नहीं है. इस पोज़ीशन पर पॉलक ने 41.07 की बैटिंग औसत से दो शतक और एक अर्धशतक लगाया है.

शॉन पॉलक साउथ अफ्रीकन क्रिकेट का वो नायाब हीरा थे जिन्होंने हर तरीके से अपनी नेशनल टीम के लिए योगदान दिया. साल 1998 में गैरी कर्स्टन ने अचानक साउथ अफ्रीका के उप-कप्तान पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद पॉलक को हैन्सी क्रॉन्ये का उत्तराधिकारी यानी टीम का उप-कप्तान बनाया गया.

क्रॉन्ये पर लगे गंभीर आरोपों के बाद शॉन पॉलक को पूरी तरह से टीम का कप्तान बनाया गया. पॉलक बहुत लंबे समय तक तो नहीं लेकिन टीम के सफल कप्तान रहे. पॉलक की कप्तानी में साल 2000-2003 के बीच साउथ अफ्रीका ने 26 टेस्ट मुकाबलों में 14 मैच जीते. वहीं बात वनडे की करें तो पॉलक ने 2000 से 2005 तक टीम की कप्तानी की और 97 वनडे मुकाबलों में उन्होंने टीम को 60 मैच जिताए. जो कि वनडे क्रिकेट में सबसे अधिक जीत वाले कप्तानों में से एक है.

शॉन पॉलक ने साउथ अफ्रीका के लिए सालों क्रिकेट खेली. लेकिन विवादों में उनका नाम ना के बराबर ही रहा. शॉन पॉलक को लल्लनटॉप स्पोर्ट्स टीम की तरफ से ढेर सारी शुभकामनाएं. 

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