# बैटिंग में नाम
बाद में 1946 के इंग्लैंड टूर के लिए उन्हें भारतीय टीम में जगह मिली. इस टूर पर उन्होंने कुल 39 विकेट लिए. हालांकि यह विकेट टेस्ट मैचों में नहीं आए थे. इस टूर पर शिंदे ने सिर्फ एक टेस्ट खेला. लॉर्ड्स में हुए इस टेस्ट में उनकी बॉलिंग से ज्यादा बैटिंग चर्चा में रही. शिंदे ने रूसी मोदी के साथ आखिरी विकेट के लिए 43 रन की पार्टनरशिप की. हालांकि बॉल से वह कुछ खास नहीं कर पाए और अगले पांच साल में वो सिर्फ एक ही टेस्ट और खेल पाए. शिंदे ने 1951-52 सीजन के दौरान दिल्ली में हुए एक टेस्ट मै में अपना बेस्ट प्रदर्शन किया. इंग्लैंड के खिलाफ हुए इस टेस्ट में शिंदे को तीसरे चेंज के रूप में बॉल मिली थी. मैच के पहले दिन लंच के बाद बोलिंग करने आए शिंदे ने डॉन केन्यॉन को बोल्ड कर अपना खाता खोला. इसके बाद उन्होंने जैक रॉबर्टसन और डॉनल्ड कर को आउट कराया. शिंदे ने अपने पहले आठ ओवर में सिर्फ 16 रन देकर तीन विकेट ले लिए. बाद में इंग्लैंड की टीम 203 पर सिमट गई. इसमें से छह विकेट शिंदे ने लिए.# फील्डिंग ने डुबोया
भारत ने पहली पारी में लीड ले ली और मैच आसानी से मेजबानों के पक्ष में आता दिख रहा था. लेकिन इंग्लैंड की दूसरी पारी के दौरान भारतीय टीम ने बेहद खराब फील्डिंग की. बताते हैं कि सिर्फ शिंदे की गेंदबाजी पर उस दिन भारत ने विकेट लेने के सात मौके गंवाए थे. खासतौर से विकेटकीपर नाना जोशी और सब्स्टीट्यूट दत्ताजीराव गायकवाड़ ने उस दिन बेहद खराब फील्डिंग की. इंग्लैंड ने किसी तरह मैच बचा लिया. हालांकि शिंदे को पहली पारी के प्रदर्शन का फायदा मिला. उन्होंने 1952 के इंग्लैंड टूर की टीम में जगह मिल गई. कहा जाता था कि शिंदे को इस टूर पर सुभाष गुप्ते की जगह चुना गया था. शिंदे ने इस टूर पर एक बार फिर से 39 विकेट लिए. लीड्स टेस्ट के दौरान उन्होंने पीटर मे को आउट किया. यह उनका आखिरी टेस्ट विकेट भी साबित हुआ. अपने करियर के सात टेस्ट मैचों में शिंदे ने कुल 12 विकेट लिए थे. इन मैचों में उन्होंने 85 रन भी बनाए थे. इस दौरान उनका हाईएस्ट स्कोर 14 रन था, जबकि एवरेज 14.16.# ट्रिविया