
विक्टोरिया और न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी के साइंटिस्टों ने मिल-बैठ के एक स्टडी की है. उस स्टडी में स्पिन गेंदबाजी को देखा-समझा गया. और फिर कुछ एक्सपेरिमेंट्स भी किये गए. फ़िर जो रिज़ल्ट आया, उससे मालूम चला कि कुछ तरीके हैं, जिनसे स्पिन गेंदबाजी को और भी खतरनाक बनाया जा सकता. एकदम शोखियों में थोड़ा सा शबाब घोल उसमें फिर शराब मिलाने वाली बात हो गयी. क्यूंकि उसके बाद जो नशा तैयार होता है, वो होता है प्यार. तो बस स्पिन गेंदबाजी में शबाब और शराब घोल उसे और 'नशीला' करने का जुगाड़ हो चुका है.
इस स्टडी में किये गए गुणा-भाग से ऐसी चीज़ें मालूम चली हैं कि उन्हें अप्लाई करने से गेंद के टप्पा खाने से पहले ही बैट्समैन जूझने लगेगा. क्यूंकि स्पिन बॉलर वैसे भी गेंद की स्पीड को कम-ज़्यादा कर और फ्लाइट से बैट्समैन को झांसे में लेते हैं. बाकी का काम टर्न कर देता है.
ऊपर-ऊपर से देखा जाए तो स्पिन बॉलिंग में गेंद फेंकने के तीन तरीके होते हैं. टॉप स्पिन, साइड स्पिन और ऑफ-स्पिन. टॉप स्पिन में गेंद थोड़ी सी ड्रिफ्ट होती है और अक्सर बैट्समैन जहां गेंद के टप्पा खाने की उम्मीद लगाये बैठा होता है, वहां से कुछ पहले ही गिर जाती है. इसे गेंद का डिप होना कहते हैं. क्यूंकि गेंद की सीम सीधी होती है और उस पर ज़्यादा ताकत लगाकर रोटेशन बढ़ा कर फेंका जाता है, जिसकी वजह से गेंद के चमड़े और हवा के बीच फ्रिक्शन बढ़ता है. और इस वजह से गेंद को पीछे लाने वाला फ़ोर्स बढ़ जाता है. साइड स्पिन में गेंद बायें से दायें डायरेक्शन में तैरती है. क्यूंकि इसमें गेंद की सीम साइड की ओर होती है. और ऑफ़ स्पिन में गेंद बॉलर से बैट्समैन तक की यात्रा के दौरान यात्रा के अंत में ड्रिफ्ट होना शुरू करती है. ज़्यादातर बैट्समैन की ओर.

स्पिन करने की कोशिश करता एक 'नौजवान'.
तो हुआ ये कि साइंटिस्टों ने बताया कि बॉलर जो भी गेंद फेंके, उसमें हल्की सी टॉप स्पिन जोड़ दे. ये सुनने में ऐसा लग रहा है जैसे खाने की डिश में थोड़ा नमक और डाला जा रहा हो. लेकिन है आसान. (और नहीं भी.) बॉलर को टॉप स्पिन जोड़ने के लिए गेंद की सीम को कुछ सीधा करना होगा. इससे ऑफ़-स्पिन कुछ कम ज़रूर होगी. और चाहिए भी यही. इससे होगा ये कि बैट्समैन फ्लाइट देखकर जहां गेंद गिरने के बारे में सोचेगा, वहां नहीं गिरेगी. गेंद के गिरने के बदले हुए अड्डे में कुछ 25 सेंटीमीटर का अंतर आ सकता है.
दूसरी तरफ अगर किसी गेंद में टॉप स्पिन और ऑफ़-स्पिन बराबर मात्रा में मिले हुए हैं तो उसमें साइड स्पिन को हल्का सा मिला देना चाहिए. ऐसे होगा ये कि ऑफ स्पिन होने वाली गेंद साइड में भी तैरने लगेगी. दायें से बायें भी, और बायें से दायें भी. कैसे चाहिए, वो बॉलर के ऊपर है.
ये सारी जानकारी गैरी रॉबिनसन ने दी. गैरी यूनिवर्सिटी ऑफ़ साउथ वेल्स में रिसर्च करते हैं. रिसर्च करने वालों को ये उम्मीद है कि इन तरीकों से नए नवेले या एंट्री मारने वाले स्पिनर्स को हेल्प मिलेगी. साथ ही वो जो बरसों से गेंद घिसे पड़े हैं, वो भी इससे मदद पा सकते हैं.