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अब बृजभूषण शरण सिंह का ये 'चेला' चलाएगा भारतीय कुश्ती संघ

टलते-टलते भारतीय कुश्ती संघ (WFI) का चुनाव भी हो ही गया. इस चुनाव में WFI का अध्यक्ष और बाकी पदाधिकारी चुने गए. अध्यक्ष पद पर दो दावेदार थे, संजय सिंह और पहलवान रही अनीता श्योराण. इस चुनाव में संजय सिंह की उम्मीदवारी पर आपत्ति जताई जा रही थी क्योंकि वो बृजभूषण शरण सिंह के करीबी हैं.

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भारतीय कुश्ती संघ के चुनाव में अध्यक्ष पद के उम्मीदवार संजय सिंह उर्फ 'बबलू' बृजभूषण शरण सिंह के करीबी बताए जाते हैं. (फोटो: फेसबुक/Sanjay Singh bablu)

‘दबदबा है, दबदबा रहेगा’, भारतीय कुश्ती संघ के चुनाव में जब संजय कुमार सिंह को जीत मिली तो बृजभूषण शरण सिंह का खेमा कुछ ऐसे ही पोस्टर लहराता नजर आया. भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के अध्यक्ष पद से बृजभूषण शरण सिंह की भले ही विदाई हो गई हो. मगर WFI के अध्यक्ष का पद अब भी उन्हीं के खेमे में है. 21 दिसंबर को हुए भारतीय कुश्ती संघ के चुनाव में बृजभूषण के करीबी संजय कुमार सिंह को जीत मिली है. संजय सिंह का मुकाबला कॉमन वेल्थ गेम में गोल्ड मेडल जीत चुकी अनीता श्योराण से था. अनीता श्योराण महिला पहलवानों के यौन शोषण मामले में बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ गवाह भी हैं. उन्हें बृजभूषण के खिलाफ धरना देने वाले पहलवानों का समर्थन था.

WFI के कुल 15 पदों पर चुनाव हुए. अध्यक्ष पद के अलावा वरिष्ठ उपाध्यक्ष, उपाध्यक्ष के 4 पदों, महासचिव, कोषाध्यक्ष, संयुक्त सचिव के 2 पदों और 5 कार्यकारी सदस्यों का चुनाव हुआ. चुनाव की प्रक्रिया इस साल जुलाई में शुरू हुई थी, लेकिन कोर्ट केस के कारण ये चुनाव टल गया. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस चुनाव पर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की ओर से लगाई गई रोक को रद्द किया और इसके बाद चुनाव की तारीख का ऐलान हो पाया. अब 21 दिसंबर को चुनाव हुआ और इसके नतीजे बृजभूषण खेमे के पक्ष में आए.

अध्यक्ष पद के चुनाव में संजय सिंह ने अनीता श्योराण को 33 वोटों से मात दी. संजय सिंह को 40 वोट मिले, जबकि अनीता श्योराण को मात्र 7 वोट मिले.

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भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद पर पिछले 12 साल से बृजभूषण शरण सिंह थे. साल 2011 से लगातार तीन बार वो कुश्ती संघ के अध्यक्ष चुने गए. बृजभूषण शरण सिंह के अध्यक्ष रहने के दौरान ही देश के कई पहलवानों ने उनके खिलाफ आंदोलन किया था. बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों के यौन शोषण के आरोप लगाए गए थे. याद होगा आपको, जब जंतर मंतर पर पहलवान धरने पर बैठे थे. मामला कोर्ट में है. 

अब आते हैं WFI के नये अध्यक्ष चुने गए संजय सिंह पर, जो इन्हीं बृजभूषण शरण सिंह का दायां हाथ कहे जाते हैं. बृजभूषण शरण सिंह का करीबी होने के नाते ही भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद पर उनकी दावेदारी पर भी सवाल उठ रहे थे. 

कौन हैं संजय कुमार सिंह?

WFI के नए अध्यक्ष संजय कुमार सिंह, ‘बबलू’ नाम से भी जाने जाते हैं. वो उत्तर प्रदेश के कुश्ती संघ और राष्ट्रीय कुश्ती संघ दोनों में पदाधिकारी रहे हैं. साल 2019 में भारतीय कुश्ती संघ की कार्यकारी कमिटी में संयुक्त सचिव चुने गए थे. मतलब WFI की पिछली कार्यकारी परिषद का हिस्सा थे. 

संजय सिंह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के चंदौली के रहने वाले हैं. संजय सिंह के पिता और दादा दंगल कराया करते थे. इस वजह से संजय सिंह भी कुश्ती में हमेशा काम करते रहे. 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक संजय सिंह 2008 में वाराणसी कुश्ती संघ के जिला अध्यक्ष बने थे. जब 2009 में उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ बना तो बृज भूषण शरण सिंह प्रदेश अध्यक्ष बने और संजय सिंह उपाध्यक्ष बने. ऐसा कहा जाता है कि पूर्वांचल की महिला पहलवानों को आगे लाने में संजय सिंह 'बबलू' की अहम भूमिका रही है. 

संजय कुमार सिंह बृजभूषण शरण सिंह के करीबी सहयोगी हैं. BBC की एक रिपोर्ट में संजय सिंह खुद कहते हैं कि बृजभूषण शरण सिंह और उनके पारिवारिक ताल्लुकात हैं. वे दोनों पिछले तीन दशक से एक-दूसरे के साथ काम कर रहे हैं.

बृजभूषण शरण सिंह के साथ संजय सिंह (फोटो: फेसबुक/Sanjay Singh bablu)
अपनी जीत तय मान रहे थे संजय सिंह

न्यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट के मुताबिक संजय सिंह काफी समय से खुलेआम दावा कर रहे थे कि जीत उन्हीं की होगी. वोटिंग से पहले संजय सिंह ने PTI से कहा था कि,

"सभी जानते हैं कि  किसने खेल की बेहतरी के लिए काम किया है और किसने नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है. जब वोट डाला जाएगा तो निर्वाचक मंडल के मन में ये बात रहेगी."

संजय सिंह की दावेदारी पर आपत्ति

11 दिसंबर को पहलवान बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक ने खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से मुलाकात की थी. उन्होंने खेल मंत्री से अपील की थी कि संजय सिंह को WFI के अध्यक्ष पद का चुनाव न लड़ने दिया जाए. PTI की रिपोर्ट के मुताबिक बजरंग पूनिया ने कहा था कि सरकार ने आश्वासन दिया था कि बृजभूषण शरण सिंह से जुड़ा कोई भी व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ेगा, इस भरोसे पर पहलवानों ने अपना विरोध वापस लिया था. 

बजरंग पूनिया ने कहा,

"खेल मंत्री से मिलकर हमने उन्हें उनका वादा याद दिलाया कि बृजभूषण शरण सिंह से जुड़ा कोई भी WFI का चुनाव नहीं लड़ सकता है. संजय सिंह बृजभूषण शरण सिंह के करीबी सहयोगी हैं और उन्हें चुनाव से हट जाना चाहिए, नहीं तो हम जल्द ही अपनी आगे की रणनीति तय करेंगे. हमने यह बात मंत्री को बता दी है."

वहीं एक पूर्व WFI अधिकारी ने कहा था कि,

“संजय सिंह चुनाव लड़ने के योग्य हैं और इसीलिए रिटर्निंग ऑफिसर ने उनके नाम को चुनाव के लिए मंजूरी दी है. किसी को उनके नामांकन पर आपत्ति क्यों होनी चाहिए.”

बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आंदोलन करने वाले पहलवानों से वादा किया गया था कि बृजभूषण के परिवार के किसी भी सदस्य को चुनाव लड़ने की मंजूरी नहीं दी जाएगी. इसलिए बृजभूषण के बेटे प्रतीक और दामाद विशाल सिंह कुश्ती संघ के चुनाव में नहीं उतरे. लेकिन बृजभूषण शरण सिंह का करीबी होने के नाते संजय सिंह की दावेदारी पर भी आपत्ति जताई गई थी. 

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