रिचर्ड्स हर बोलर को कूट रहे थे. टूर्नामेंट में 15 विकेट्स ले चुके मदन लाल की गेंदों पर भी तीन चौके पड़े थे. बमुश्किल 130 की रफ्तार से बोलिंग करने वाले मदन लाल के बारे में मजाक में कहा जाता था कि जब तक उनकी बॉल रिचर्ड्स तक पहुंचती है, रिचर्ड्स के पास दो स्ट्रोक खेलने का मौका होता है. कपिल ने उनसे कहा कि अब आराम करो, कुछ ओवर्स बाद वापस आना.
लेकिन डेसमंड हेंस को रोजर बिन्नी के हाथों कैच करा चुके मदन लाल नहीं माने. उन्होंने कपिल से कहा,
'कपसी (कपिल को टीम इसी नाम से बुलाती थी), तुम मुझे बॉल दो. मैं पहले भी विवियन रिचर्ड्स को आउट कर चुका हूं, मैं इसे एक बार और कर सकता हूं'इस बारे में कई साल बाद कपिल ने कहा,
'मेरा उसे बॉल देने का मन नहीं था. लेकिन मैंने सोचा कि चलो इसे एक और ओवर दे ही देते हैं. कहते हैं ना, कुछ चीजें आपके लिए बस हो जाती हैं और यह हमारे साथ भी हुआ.'मदन लाल ने कपिल से लगभग बॉल छीन ली और बोलिंग करने आए. वेस्ट इंडीज़ की टीम सिर्फ दो विकेट खोकर 57 रन बना चुकी थी. क्रीज़ पर रिचर्ड्स के साथ थे सर क्लाइव लॉयड. लॉयड को उस दिन ग्रोइन में कुछ समस्या थी. वह सही से चल नहीं पा रहे थे. शायद इसी चक्कर में रिचर्ड्स मैच जल्दी खत्म करना चाहते थे. लगातार लंबे-लंबे शॉट्स लगा रहे थे. ऐसे में मदन लाल ने बॉल को ऑफ स्टंप के करीब शॉर्ट रखा.

जब Kapil Dev ने Vivian Richards का कैच पकड़ा और Fans मैदान में घुस उनके कंधे पर चढ़ गए.
रिचर्ड्स ने बेहद तसल्ली के साथ खुद को तैयार किया और बॉल को मिडविकेट के पार बैठे दर्शकों तक पहुंचाने की तैयारी कर ली. लेकिन बॉल तो मदन लाल फेंक रहे थे. स्लो आनी ही थी. तो रिचर्ड्स की टाइमिंग बैठी नहीं. बल्ला पहले चला और बॉल आई बाद में. ऊपरी किनारा लगा. बॉल हवा में उड़ी. फाइन लेग से यशपाल शर्मा उसे पकड़ने के लिए दौड़े. लेकिन तभी मिड-ऑन पर खड़े कपिल ने भी दौड़ लगा दी. भागते-भागते कपिल ने शर्मा को रोक दिया. कपिल बॉल को देखते हुए उल्टी दिशा में भाग रहे थे. कई मीटर तक भागने के बाद अंततः बॉल कपिल के दोनों हाथों में आ गिरी.
यह कैच बहुत चर्चित रहा. आज भी कहा जाता है कि इसी कैच ने मैच भारत की ओर मोड़ा. वेस्ट इंडीज़ के लेजेंडरी बोलर रहे जोएल गार्नर कहते हैं,
'वही कैच, हार और जीत के बीच का अंतर था.'
# बैकग्राउंड वाले हीरो
इस कैच के लिए कपिल की हमेशा तारीफ होती है लेकिन मदन लाल कम ही लोगों को याद आते हैं. मदन लाल का करियर ही ऐसा रहा है. उन्होंने जब भी अच्छा प्रदर्शन किया, किसी और ने उनसे बेहतर किया और हेडलाइंस बटोर लीं. लेकिन, जब भी भारत के लिए खेले मेहनती प्लेयर्स की बात होगी, मदन लाल का नाम उसमें जरूर शामिल होगा. फिर चाहे वो 1986 का इंग्लैंड टूर हो, या एक दशक से ज्यादा वक्त तक टीम इंडिया के लिए नई बॉल संभालने की बात. किस्से बहुत से हैं. लेकिन सबसे पहला किस्सा होना चाहिए 18 जून 1983 का.वर्ल्ड कप का 20वां मैच. भारत के सामने थी जिम्बाब्वे. ये वो दौर था, जब भारत और जिम्बाब्वे क्रिकेट के इस फॉर्मेट में एक जैसे थे. टर्नब्रिज ओवल के मैदान में कपिल ने टॉस जीता. पहले बैटिंग का फैसला किया, भारत ने 17 रन पर पांच विकेट खो दिए. फिर कपिल ने 175 मारे और भारत जीत गया. ये किस्सा सबको मालूम है.
लेकिन इन किस्सों के बीच भी कई किस्से हैं. जैसे 78 पर भारत के सात विकेट गिर गए थे. कपिल एक एंड पर खड़े थे लेकिन उनका साथ देने के लिए कोई नहीं था. तब आए मदन लाल. मदन ने रन तो सिर्फ 17 बनाए लेकिन इस दौरान उन्होंने कपिल के साथ 62 रन की बेहद जरूरी पार्टनरशिप की.

Lower Order के अच्चे बल्लेबाज थे Madan Lal (गेटी)
यह मैच ना सिर्फ भारत बल्कि आयोजकों के लिए भी बेहद जरूरी था. भारत के पांच विकेट गिरने के बाद BBC ने जिम्बाब्वे के मैनेजर डेव एलमैन ब्राउन को फोन किया. जिम्बाब्वे की जीत पक्की मान BBC ने ब्राउन को आकर इंटरव्यू देने के लिए कहा. इससे पहले आयोजक भी भागकर उन तक जा चुके थे. जाकर उन्होंने ब्राउन से आशंका जताई थी कि मैच तो लंच टाइम से पहले खत्म हो जाएगा. बेहद अनुभवी क्रिकेट प्रशासक ब्राउन ने दोनों को एक ही जवाब दिया.
'मैच अभी खत्म नहीं हुआ.'और उनकी बात सही भी साबित हुई. पहले मदन लाल और फिर विकेटकीपर सैयद किरमानी ने कपिल के साथ मिलकर भारत को 266 तक पहुंचा दिया. इन दोनों ने ही रन तो बहुत ज्यादा नहीं बनाए लेकिन बैटिंग पूरी चतुराई के साथ की. लगातार सिंगल्स लेकर कपिल को स्ट्राइक पर रखा.
कपिल ने टर्नब्रिज ओवल की एक कोने की पिच पर खेले गए इस मैच में मैदान का खूब फायदा उठाया. दरअसल मैदान के एक ओर की बाउंड्री छोटी जबकि दूसरे ओर की काफी बड़ी थी. छोटे तरफ मारा तो बाउंड्री और बड़े साइड में मारा तो तीन रन भागकर लिए जा सकते थे. जवाब में खेलने उतरी जिम्बाब्वे की टीम 235 पर सिमट गई. मदन लाल ने तीन विकेट निकाले.
1983 वर्ल्ड कप में मदन लाल ने कुल 17 विकेट लिए थे. उनसे ज्यादा विकेट सिर्फ रोजर बिन्नी (18) के हाथ आए थे. लेकिन भारत को वर्ल्ड कप जिताने वाले प्लेयर्स में उनका नाम कम ही लिया जाता है.

Madan Lal के बारे में Kapil Dev कहते हैं- मद्दी पा मुझसे भी ज्यादा जमीन से जुड़े हैं. शायद इसीलिए मदन लाल ने कभी क्रेडिट नहीं मांगा.
कट टू 1986. इंडियन क्रिकेट टीम इंग्लैंड टूर पर थी. चेतन शर्मा, जावेद मियांदाद के छक्के को भूल चुके थे. इस टूर पर शर्मा गज़ब की फॉर्म में थे. इंग्लिश बल्लेबाजों को खूब परेशान कर रहे थे. प्रैक्टिस मैचों में कमाल करने के बाद टूर के पहले टेस्ट में शर्मा ने छह विकेट निकाले और भारत ने यह टेस्ट पांच विकेट से जीत लिया. यह लॉर्ड्स में भारत की पहली टेस्ट जीत थी. लेकिन यह जीत टीम के लिए बुरी ख़बर भी लेकर आई. चेतन शर्मा चोटिल हो गए.
उस वक्त 35 साल के हो चुके मदन लाल वहीं सेंट्रल लेंकशर लीग में खेल रहे थे. तुरंत उन्हें बुलाया गया. मदन लाल को वहां से बुलाकर सीधे लीड्स में हुए दूसरे टेस्ट में उतार दिया गया. मदन ने पहली पारी में सिर्फ 18 रन देकर तीन विकेट निकाले. यह उनके टेस्ट करियर का आखिरी टेस्ट साबित हुआ. कमाल की बात यह है कि मदन लाल ने 12 साल पहले अपना टेस्ट करियर मैनचेस्टर से शुरू किया था. मैनचेस्टर से लीड्स बस एक घंटे की ड्राइव पर है.

इंडियन क्रिकेट इतिहास के सबसे उम्दा Medium Pace Bowlers में से एक हैं Madan Lal (गेटी)
मदन लाल 20 मार्च 1951 को अमृतसर में पैदा हुए थे. मदन लाल ने भारत के लिए कुल 39 टेस्ट और 67 वनडे खेले. फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उनके नाम 10 हजार से ज्यादा रन और 600 से ज्यादा विकेट हैं.
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