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बैडमिंटन स्टार लक्ष्य सेन के बारे में ये बातें जानते हैं आप?

कमाल के हैं लक्ष्य के कारनामे.

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ऑल इंग्लैंड ओपन के फाइनल के दौरान लक्ष्य सेन (फोटो - एपी)
अगर आप भारतीय हैं, तो पिछले कुछ दिनों में आपने कम से कम एक बार लक्ष्य सेन का नाम जरूर सुना होगा. अगर नहीं सुना, तो हम बता देते हैं. लक्ष्य ने मार्च महीने की 20 तारीख को ऑल इंग्लैंड ओपन का फाइनल खेला. फाइनल में उनका सामना वर्ल्ड नंबर वन विक्टर एक्सेसन से हुआ. और यहां लक्ष्य 10-21, 15-21 से हार गए. हालांकि इस हार के बाद भी लक्ष्य के लिए साल 2022 की पहली तिमाही कमाल की गई है. ऐसे में हमने सोचा कि क्यों ना आपको लक्ष्य के बारे में कुछ बताया जाए. एकदम बेसिक से शुरू करें तो लक्ष्य साल 2001 में उत्तराखंड के अल्मोड़ा में जन्मे थे. उनके पिता धीरेंद्र और भाई चिराग भी बैडमिंटन से जुड़े रहे हैं. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि बैडमिंटन उनके खून में दौड़ता है. पिता धीरेंद्र ही लक्ष्य के शुरुआती कोच भी थे. लक्ष्य ने 2018 के यूथ ओलंपिक में सिल्वर पदक जीता था. इसके साथ ही उनके नाम एशियन जूनियर चैंपियनशिप में गोल्ड और सिल्वर भी हैं. चलिए, अब आपको बताते हैं लक्ष्य के बारे में कुछ ऐसी बातें, जो उन्हें बाकी भारतीय पुरुष बैडमिंटन खिलाड़ियों से अलग बनाती हैं. # India Open Badminton लक्ष्य ने साल के शुरुआती टूर्नामेंट, इंडिया ओपन में शानदार प्रदर्शन किया. नई दिल्ली में खेले गए इस टूर्नामेंट के फाइनल में लक्ष्य ने वर्ल्ड चैंपियन लो कीन यू को हराकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया. इस जीत के साथ ही लक्ष्य ने एक एलीट ग्रुप में एंट्री कर ली. लक्ष्य से पहले इस टूर्नामेंट के मेंस सिंगल्स का खिताब सिर्फ प्रकाश पादुकोण और किदांबी श्रीकांत ने ही जीता था. इसके बाद लक्ष्य ने 8 से 13 मार्च के बीच खेले गए जर्मन ओपन 2022 में भी सराहनीय प्रदर्शन किया था. लक्ष्य ने यहां सेमीफाइनल में वर्ल्ड नंबर वन विक्टर एक्सेसन को 21-13, 12-21, 22-20 से हराया था. हालांकि, इस टूर्नामेंट के फाइनल में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. # All England Open जर्मन ओपन के बाद आया ऑल इंग्लैंड ओपन. और लक्ष्य ने यहां फिर कमाल कर दिया. बेहतरीन खेल दिखाते हुए लक्ष्य ऑल इंग्लैंड का फाइनल खेलने वाले चौथे भारतीय पुरुष बन गए. हालांकि, जो बात लक्ष्य को खास बनाती है, वो ये है कि उन्होंने सिर्फ 20 साल की उम्र में ही ये कर दिखाया. प्रकाश नाथ ने जब 1947 में ऑल इंग्लैंड ओपन का फाइनल खेला, तब उनकी उम्र 27 साल थी. वहीं प्रकाश पादुकोण ने जब 1980 में इतिहास बनाते हुए ऑल इंग्लैंड ओपन जीता, तब वो 25 वर्ष के थे. आपको ये भी बता दें कि प्रकाश अगले ही साल, यानी 1981 में फिर ऑल इंग्लैंड ओपन के फाइनल में पहुंचे थे. फिर जब 2001 में हांग चेन को हराकर पुलेला गोपीचंद ऑल इंग्लैंड ओपन जीतने वाले दूसरे भारतीय बने, तब उनकी आयु 28 साल थी. जिस तरह ने लक्ष्य ने अपने गेम को आगे बढ़ाया है, ये कहना गलत नहीं होगा कि निकट भविष्य में वह भारत के सबसे युवा ऑल इंग्लैंड चैंपियन बन सकते हैं. # टॅाप-10 में शामिल सिर्फ 20 साल की उम्र में ही लक्ष्य ने अपने कैरियर का एक बड़ा लक्ष्य हासिल कर लिया है. जनवरी 2022 में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस युवा टैलेंट ने कहा था कि वो 2022 के अंत तक दुनिया के टॉप-10 बैडमिंटन प्लेयर्स में शामिल होना चाहते हैं. ये मुकाम लक्ष्य ने मार्च में ही हासिल कर लिया है. जिस निष्ठा से लक्ष्य खेल रहे हैं, उनकी रैंकिंग और ऊपर जानी तय है. इतनी कम उम्र में ही लक्ष्य ने और भी कई मुकाम हासिल किए है. पिछले साल लक्ष्य BWF वर्ल्ड टूर फाइनल्स में जगह बनाने वाले सबसे युवा भारतीय बने थे. लक्ष्य की एक और ख़ास बात ये है कि वह ऑल इंग्लैंड फाइनल खेलने वाले 21वीं सदी में जन्मे पहले प्लेयर हैं. लक्ष्य अब हमें अप्रैल में कोरिया ओपन में हिस्सा लेते नजर आएंगे.

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