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जय शाह ने तिरंगा हाथ में ना लेकर बिल्कुल सही किया

जय शाह ने नहीं तोड़ा कोई नियम.

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जय शाह ने तिरंगा हाथ में ना लेकर ठीक किया (स्क्रीनग्रैब)

जय शाह. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बेटे और BCCI के मौजूदा सेक्रेटरी. BCCI के साथ जय शाह इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल और एशियन क्रिकेट काउंसिल में भी हैं. ICC में जहां वह क्रिकेट कमिटी में मेंबर बोर्ड रिप्रेजेंटेटिव हैं. वहीं ACC में उनके पास प्रेसिडेंट की पोस्ट है. जय शाह इससे पहले गुजरात क्रिकेट असोसिएशन में भी थे.

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सालों तक वहां काम करने के बाद वह पूर्व कप्तान सौरव गांगुली के साथ BCCI में आए.  इंडिया में क्रिकेट चलाने वाले कौन लोग हैं, ये सबको पता है. इस बहस में जाने का ना तो कोई मतलब है और ना ही इसका कोई अंत होना है. जिसकी जैसी विचारधारा, वो उससे उलट वाले क्रिकेट प्रशासक को कोसकर काम चला लेता है.

इसलिए हम दोबारा जय शाह पर लौटते हैं. जय शाह आजकल UAE में हैं. संडे, 28 अगस्त को हुए इंडिया वर्सेज पाकिस्तान मैच के दौरान उन्हें स्टैंड्स में देखा गया. कैमरा बार-बार उन पर फोकस हो रहा था. और भारत के लगभग हर चौके-छक्के पर उनके एक्सप्रेशन देखने लायक थे. इंडिया ने मैच पांच विकेट से जीता. और इस जीत का जश्न लगभग हर हिंदुस्तानी ने मनाया.

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# Jay Shah Tiranga

इस दौरान स्टैंड्स में भी काफी जोश दिखा. और इसी जोश-जश्न का एक वीडियो अब वायरल है. इस वायरल वीडियो में जय शाह को ताली बजाते देखा जा सकता है. और इसी दौरान एक व्यक्ति हाथ में लिया तिरंगा उनकी ओर बढ़ाता और उनसे कुछ कहता दिखता है. इस व्यक्ति और जय शाह के बीच क्या बात हुई, किसी को नहीं पता.

लेकिन लोगों ने अनुमान लगा लिया कि जय शाह को तिरंगा दिया जा रहा था, और उन्होंने इसे मना कर दिया. अब इस बात के दो पहलू हैं. पहली चीज, ये कंफर्म नहीं है कि जय शाह और उस व्यक्ति के बीच क्या बात हुई और इस बात में तिरंगे का क्या रोल था. और दूसरा पहलू ये कि हो सकता है कि उस व्यक्ति ने जय शाह को तिरंगा ऑफर किया हो. और जय शाह ने मना कर दिया हो.

अब आगे हम इसी दूसरे पहलू पर चर्चा करेंगे कि क्यों जय शाह ने ऐसा करके कुछ गलत नहीं किया. सबसे पहली बात तो ये कि कहीं ऐसा नहीं लिखा है कि कोई आपको तिरंगा ऑफर करे, तो आप मना नहीं सकते. यानी ऐसा कोई नियम या कानून नहीं है, जो आपको तिरंगा स्वीकार करने पर मजबूर करे. यानी जय शाह ने कोई नियम नहीं तोड़ा.

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और अब बात नियम की आई तो जानने लायक है कि जय शाह अगर हाथ में तिरंगा लेते, तो निश्चित तौर पर यहां नियम टूटते. अब वो नियम क्या हैं और कौन से हैं, ये भी बता देते हैं. जैसा कि हमने बताया कि जय शाह ICC और ACC में भी महत्वपूर्ण पदों पर हैं. और ICC के कोड ऑफ एथिक्स के क्लॉज 2.2 यानी लॉयल्टी के अंडर आने वाले नियम संख्या 2.2.2.2 के मुताबिक,

'एक डायरेक्टर, कमिटी मेंबर या स्टाफ मेंबर किसी भी खास स्टेकहोल्डर (जैसे कोई नेशनल क्रिकेट फेडरेशन या किसी नेशनल क्रिकेट फेडरेशंस के समूह) या किसी थर्ड पार्टी (जैसे कि कोई सरकार या पॉलिटिकल बॉडी) के इंट्रेस्ट को प्रमोट ना करे. ऐसा करना ICC से जुड़े लोगों और क्रिकेट के खेल के सर्वोत्तम हित में कार्य करने की उसकी ड्यूटी के खिलाफ़ होगा.

यानी अगर जय शाह वहां तिरंगा हाथ में लेते, तो यह सीधे तौर पर ICC के कोड ऑफ एथिक्स का उल्लंघन होता. और माना कि हम ट्रैफिक लाइट कूदकर भागने वाले देश से हैं, लेकिन इतने बड़े लेवल पर नियम तोड़ना सही थोड़े लगता है. अभी कुछ लोग कहेंगे कि जब हर चौके-छक्के पर ताली बज रही थी, तो नियम कहां थे?

तो सर, अच्छा गेम कोई भी सेलिब्रेट कर सकता है. लेकिन झंडा उठाते ही आप पार्टी बन जाते हैं. और पार्टी बनना ICC के कोड ऑफ एथिक्स के साथ पद की गरिमा के भी खिलाफ़ होता. और जाहिर तौर कोई नहीं चाहेगा कि वो जिस पद पर बैठा है उसका अपमान हो.

हालांकि इस पूरे मामले में वीडियो सामने आने के बाद से ही जय शाह को जमकर ट्रोल किया जा रहा है. कई स्वनामधन्य, पढ़े-लिखे तार्किक लोग भी तमाम सारी बातें कर रहे हैं. और निश्चित तौर पर ऐसे लोगों को ना ICC से मतलब है और ना ही ACC से. इन्होंने इस मसले में तमाम सारी चीजें मिक्स कर एक कॉकटेल बना ली है. और इनके निशाने पर जय शाह हैं.

जाहिर है, कि मेरा काम जय शाह को डिफेंड करना नहीं है. लेकिन मुझे ये जरूरी लगा कि इस मामले में पूरी बात सबको बताई जाए. इसलिए मैंने नियमों के जरिए यह बात समझाने की कोशिश की है कि जय शाह टेक्निकली गलत नहीं थे. बाकी, ये पब्लिक है... सब जानती है.

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