The Lallantop

महिला के पेट से निकला आधा मीटर कपड़ा, CMO और ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर नप गए

Gautam Buddha Nagar CMO Booked: उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले में ऑपरेशन के दौरान एक महिला के पेट में कथित तौर पर आधा मीटर कपड़ा छोड़ दिया गया. पीड़ित महिला ने कार्रवाई ना होने पर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. अब कोर्ट के आदेश पर गौतम बुद्ध नगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) समेत 6 लोगों के खिलाफ नॉलेज पार्क थाने में FIR दर्ज की गई है.

Advertisement
post-main-image
मामला गौतम बुद्ध नगर जिले के Bakson हॉस्पिटल का है. (ITG)
author-image
भूपेंद्र चौधरी

ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों के पेट में कैंची छोड़ देने की बातें आपने भी सुनी होंगी. उसके ‘सच-झूठ’ के बारे में तो नहीं पता लेकिन गौतमबुद्ध नगर जिले के एक अस्पताल में ठीक ऐसा ही मामला सामने आया है. यहां ऑपरेशन के दौरान एक महिला के पेट में कथित तौर पर आधा मीटर कपड़ा छोड़ दिया गया. अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद भी महिला के पेट में असहनीय दर्द उठा तो दोबारा ऑपरेशन हुआ. तब यह खौफनाक सच सामने आया. 

Add Lallantop as a Trusted Sourcegoogle-icon
Advertisement

बताया गया कि महिला ने डॉक्टरों की इस लापरवाही की शिकायत सीएमओ तक से की लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई. इसके बाद महिला को कोर्ट जाना पड़ा. कोर्ट के आदेश के बाद अब गौतमबुद्ध नगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) समेत 6 लोगों के खिलाफ नॉलेज पार्क थाने में FIR दर्ज की गई है. इंडिया टुडे से जुड़े भूपेंद्र चौधरी की रिपोर्ट के मुताबिक, पूरा मामला ग्रेटर नोएडा स्थित निजी Bakson हॉस्पिटल से जुड़ा है. पीड़िता ने यहां के डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया है. उन्होंने CMO की टीम पर भी मामले की जांच ठीक से न करने का आरोप लगाया है. 

दरअसल, 14 नवंबर 2023 को पीड़िता अंशुल वर्मा की ऑपरेशन के जरिए डिलीवरी की गई थी. आरोप है कि ऑपरेशन करने वाली डॉक्टर अंजना अग्रवाल ने लापरवाही बरतते हुए महिला के पेट में लगभग आधा मीटर कपड़ा छोड़ दिया. इसके बाद 16 नवंबर 2023 को महिला को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया. आरोप है कि डिस्चार्ज के बाद पीड़िता की तबीयत लगातार खराब रहने लगी. पेट में असहनीय दर्द बना रहा. 

Advertisement
दोबारा ऑपरेशन कराना पड़ा

दर्द से राहत पाने के लिए पीड़िता ने मुजफ्फरनगर और ग्रेटर नोएडा के कई अस्पतालों में इलाज कराया. अल्ट्रासाउंड, MRI (मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग) और अन्य जांचें भी हुईं, लेकिन किसी डॉक्टर को असली कारण का पता नहीं चल सका. लगातार बिगड़ती हालत के बाद 22 अप्रैल 2025 को पीड़िता का कैलाश अस्पताल में दोबारा ऑपरेशन किया गया. इस ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों को पेट के अंदर से लगभग आधा मीटर कपड़ा मिला. 

इस दौरान पीड़िता को 8 यूनिट खून भी चढ़ाना पड़ा. पीड़िता का आरोप है कि पहली डिलीवरी सर्जरी के दौरान ही यह कपड़ा उनके पेट में छोड़ा गया. पीड़ित का कहना है कि उनके पास ऑपरेशन के फोटो और वीडियो सबूत के तौर पर मौजूद हैं.

वहीं, दूसरे ऑपरेशन में कपड़ा निकलने के बाद पीड़िता के पति ने मामले की शिकायत CMO नरेंद्र कुमार से की. CMO ने जांच के लिए डॉक्टर चंदन सोनी और डॉक्टर आशा किरण चौधरी को अधिकारी नियुक्त किया. लेकिन आरोप है कि जानबूझकर करीब दो महीने तक जांच को लटकाया गया. यह भी इल्जाम है कि कपड़े की FSL (फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री) जांच तक नहीं कराई गई.

Advertisement

शिकायत में पीड़िता ने आरोप लगाया कि डॉक्टर अंजना अग्रवाल और उनके पति डॉक्टर मनीष गोयल ने मामले को दबाने की कोशिश की और चुप रहने के लिए धमकियां भी दीं. पीड़िता के मुताबिक, यहां तक कहा गया कि उनके राजनीतिक संपर्क हैं और कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता. पीड़िता का कहना है कि दो बड़ी सर्जरी के चलते अब तीसरा ऑपरेशन संभव नहीं है, जिससे भविष्य में वे दूसरा बच्चा पैदा नही कर पाएंगी. डेढ़ साल तक असहनीय दर्द झेलने के कारण वे घरेलू काम भी नहीं कर पा रही थीं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल अगस्त में उन्होंने गौतम बुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरेट में शिकायत भेजी थी. कथित तौर पर शिकायत का कोई जवाब नहीं मिला. वर्मा ने कहा कि इसके बाद उनके पास कोर्ट जाने के अलावा कोई चारा नहीं बचा था. जांच में कार्रवाई ना होने के बाद पीड़िता ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, गौतमबुद्ध नगर की अदालत का दरवाजा खटखटाया. 

कोर्ट के आदेश पर केस दर्ज

अब कोर्ट के आदेश पर 24 दिसंबर को थाना नॉलेज पार्क में Bakson हॉस्पिटल (CMO/मालिक), डॉक्टर अंजना अग्रवाल, डॉक्टर मनीष गोयल, CMO नरेंद्र कुमार, जांच अधिकारी डॉक्टर चंदन सोनी और डॉक्टर आशा किरण चौधरी के खिलाफ FIR दर्ज की गई है. स्टेशन हाउस ऑफिसर (SHO) सर्वेश चंद्र ने देरी के आरोपों से इनकार किया है. उन्होंने दावा किया कि जांच अधिकारियों को समय पर कपड़ा नहीं दिया गया था. 

Bakson हॉस्पिटल के सुपरिटेंडेंट विशाल सिंह चौहान ने कहा कि अग्रवाल और गोयल कभी भी आधिकारिक तौर पर अस्पताल के पेरोल पर नहीं थे. चौहान ने बताया,

अंजना सिर्फ एक विजिटिंग कंसल्टेंट थीं. नवंबर 2023 में उन्होंने अपने एक मरीज के लिए अस्पताल की फैसिलिटी इस्तेमाल करने का अनुरोध किया था. मरीज को भर्ती किया गया और बाद में डिस्चार्ज कर दिया गया. हमने पिछले डेढ़ साल में उनके बारे में कभी नहीं सुना.

इस बीच, नोएडा जिला अस्पताल के एडिशनल CMO सोनी ने कहा कि मामले की जांच की गई और एक रिपोर्ट तैयार की गई. उन्होंने कहा,

"हमें दो अस्पतालों से बात करनी पड़ी, इसलिए रिपोर्ट तैयार करने में समय लगा. हमें नहीं पता कि हमारे खिलाफ FIR क्यों दर्ज की गई."

CMO नरेंद्र कुमार ने बताया कि कोर्ट के निर्देश के मुताबिक ही कार्रवाई की जाएगी.

वीडियो: बरेली में बजरंग दल वालों का उत्पात, लव जिहाद का नाम लेकर बर्थडे पार्टी में घुस कर लोगों को पीटा

Advertisement