अपनी बारी का इंतजार किया. मौका मिला, बल्ला नहीं चला. लेकिन हिम्मत नहीं हारी. और जब बल्ला चलना शुरू हुआ, तो ठाठ ही हो गए. सालों तक वो रुतबा रखा कि इंडियन क्रिकेट को जैसे चाहा वैसे ही चलाया. और इन सबके बीच जब IPL आया, तो धोनी के लिए मार मच गई. याद करिए 2008 का ऑक्शन. धोनी की शुरुआती कीमत थी चार लाख अमेरिकी डॉलर. भयंकर बिडिंग के बाद वह बिके 15 लाख अमेरिकी डॉलर, यानी लगभग छह करोड़ रुपये में.
एक वो दिन है एक आज का, धोनी के बिना CSK की कल्पना भी नहीं कर सकते. धोनी IPL के पहले सीजन से लेकर अभी तक चेन्नई के सर्वाधिकारी हैं. बीच के दो सीजन हटा दें तो उन्होंने किसी और टीम के लिए नहीं खेला. हालांकि, ऐसा भी नहीं है कि धोनी हमेशा से CSK के लॉयल थे. आम इंसानों की तरह, उन्हें भी पैसे से प्यार था. या ये कहें कि पैसे से बहुत ज्यादा प्यार था. तभी तो स्टार स्पोर्ट्स पर वह बोले थे,
‘जब पांच मार्की प्लेयर्स की घोषणा हुई, तो एक फ़्रैंचाइज़ मुझे भी मार्की प्लेयर बनाना चाहती थी. मुझे जल्दी ही कोई फैसला लेना था. 2007 की वर्ल्ड कप विनिंग टीम का कैप्टन होने के नाते मैंने सोचा कि मैं दस लाख अमेरिकी डॉलर तो पा ही सकता हूं. इसलिए मैंने रिस्क लेकर ऑक्शन में आने की सोची. अगर बाक़ी फ़्रैंचाइज़ के साथ, बिना मार्की प्लेयर वाली तीन में से दो टीम्स भी मुझमें इंट्रेस्ट दिखा देतीं, तो मेरे पास खूब पैसे कमाने का मौका था.
जब एक क्रिकेटर मार्की प्लेयर बनता है, तो फ़्रैंचाइज़ के मालिक सोचते हैं कि उन्हें उस प्लेयर को 10 या 15 परसेंट ज्यादा देना होगा. इसलिए, इससे बचने के लिए मैंने ऑक्शन में आने का फैसला किया. इस तरह, अगर बिना मार्की प्लेयर वाली कोई फ़्रैंचाइज़ मुझे खरीदती है, तो मेरे पास ज्यादा पैसे पाने का मौका था. ऑक्शन के दौरान चेन्नई सुपर किंग्स ने मुझे 15 लाख डॉलर में खरीदा. उस वक्त की मेरी स्ट्रैटेज़ी काम कर गई.’
धोनी की आज तक कोई भी स्ट्रैटेज़ी फ़्लॉप नहीं हुई. उन्होंने तक़रीबन अपनी इच्छा के अनुसार चेन्नई को IPL जिताया. जहां से चाहा, वहां से मैच पलट दिया. विकेट के आगे से भी और पीछे से भी. CSK के फ़ैन्स, प्लेयर्स और मालिक तक सभी कहते हैं कि ये माही की टीम है. वो जैसा चाहेंगे, वैसा होगा. टीम के CEO काशी विश्वनाथ ने IPL2024 की शुरुआत से ठीक पहले कहा था,
‘धोनी जो भी करते हैं, वह टीम के हित में होता है.’
अब अगर टीम से जुड़े सारे लोगों को यक़ीन है कि धोनी जो करते हैं, टीम के हित में करते हैं. तो बाहर बैठे लोगों को किसने हक़ दिया कि वो इससे उलट सोचें? धोनी ओपन करें या नंबर ग्यारह पर आएं. या फिर खुद बैटिंग करने की जगह नौ विकेट गिरने पर पारी घोषित कर दें. आपको क्या समस्या है?
फ़्रैंचाइज़ मतलब दुकान. जिनकी दुकान है, अगर वो कुछ नहीं बोल रहे. तो आप क्यों चाचा चौधरी बन रहे हैं? आपको नहीं पसंद आप मत देखिए. किनारे रहिए, अपनी टीवी फोड़ दीजिए. फ़ोन फ़ेंक दीजिए, लैपटॉप तोड़ दीजिए. लेकिन ज्ञान मत दीजिए. ज्ञान बहुत है. और इसी ज्ञान के दम पर धोनी IPL और इंडियन क्रिकेट के सबसे बड़े कप्तान हैं.
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