दो साल तक उसे हर तरह के क्रिकेट से दूर कर दिया. उसके साथी खेल रहे थे. करिश्मे कर रहे थे. नाम कमा रहे थे. वह उनसे दूर कहीं अपनी चोट को ठीक करने में लगा था. जिस टीम ने उसे खरीदा था. वह भी उसके साथ डटी रही. मुश्किल वक्त में साथ नहीं छोड़ा. कहानी आगे बढ़ी. दो साल बाद वह लौट आया. और लौटते ही छा गया. उसकी और टीम, दोनों की मेहनत सफल रही. यह कहानी है कमलेश नागरकोटी और कोलकाता नाइट राइडर्स की.
कौन है कमलेश नागरकोटी
कमलेश नागरकोटी. साल 2018 में अंडर 19 वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम का खिलाड़ी. तेज गेंदबाज. 150 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार वाली गेंदें बड़े आराम से डाल देता है. बॉलिंग एक्शन देखेंगे तो देखते ही जाएंगे. एकदम सधा हुआ. हाथ, पैर और पूरा शरीर एक लय में उठते हैं और गेंद को बल्लेबाज की तरफ फेंक देते हैं.होंठ शायद मजरूह सुल्तानपुरी साहब से माफी के साथ कह उठे, 'तेरे बॉलिंग एक्शन के सिवा दुनिया में रखा क्या है...' इसी एक्शन और गोली की रफ्तार ने नागरकोटी को छह मैच में नौ विकेट दिलाए. और टीम को वर्ल्ड कप की ट्रॉफी. साथ ही दुनियाभर के कई दिग्गज उनके फैन बन गए. इनमें एक नाम है इयान बिशप. बिशप वेस्ट इंडीज के पूर्व क्रिकेटर हैं. खुद भी तेज गेंदबाज रहे हैं.
लेकिन KKR नागरकोटी को अपने साथ लेने का पक्का इरादा कर आई थी. उसने पंजाब और हैदराबाद को पीछे छोड़ दिया. टीम ने नागरकोटी के लिए तीन करोड़ 20 लाख रुपये खर्च किए. यह बोली बेंगलुरु में लगी थी. उस समय नागरकोटी इस शहर से हजारों किलोमीटर दूर न्यूजीलैंड में थे. वे बाथरूम के अंदर के बैठे थे. क्योंकि बोली की नर्वसनेस उनसे बर्दाश्त नहीं हो रही थी.

केकेआर के साथियों के साथ विकेट का जश्न मनाते हुए कमलेश नागरकोटी.
एक चोट और लगा ब्रेक
लेकिन कहानी में हमेशा सब कुछ सही नहीं होता है. जिस IPL में खेलने के लिए उन पर करोड़ों रुपये खर्च हुए. उसके शुरू होने से ठीक पहले वे बैटिंग करते हुए चोटिल हो गए. उनकी कमर में चोट थी. वे IPL से बाहर हो गए. रिहैब के लिए उन्हें बेंगलुरु में नेशनल क्रिकेट एकेडमी में भेज दिया गया. चोटिल खिलाड़ियों को ठीक होने तक यहीं रखा जाता है.इधर नागरकोटी की चोट किसी एकतरफा आशिक की तरह निकली. दो साल तक चिपटी रही. इस दौरान नागरकोटी खेल से दूर रहे. साथियों को रन बनाते, विकेट लेते और कैच लपकते देखते रहे. शुभमन गिल, पृथ्वी शॉ जैसे उनके साथी सीनियर टीम के दरवाजे पर पहुंच चुके थे. शिवम मावी, अभिषेक शर्मा जैसे नाम IPL में खेल रहे थे.
एनसीए में रहते-रहते नागरकोटी फ्रस्ट्रेट हो गए. यहां उन्हें राहुल द्रविड़ से सहारा मिला. वहीं द्रविड़ जो अंडर 19 टीम में उनके कोच थे. जिन्होंने ऑक्शन के समय नागरकोटी और उनके साथियों से कहा था कि IPL में आज नहीं तो कल खेल लोगे, अभी पूरा ध्यान वर्ल्ड कप पर लगाओ, क्योंकि ऐसे मौके रोज नहीं आते. जब कमलेश नागरकोटी चोट से लड़ रहे थे तो द्रविड़ ने उन्हें पैट कमिंस का उदाहरण दिया.

राहुल द्रविड़ के साथ कमलेश नागरकोटी.
ऑस्ट्रेलिया के पेसर कमिंस ने साल 2011 में टेस्ट डेब्यू किया था. लेकिन लगातार होने वाली इंजरी के चलते दूसरा टेस्ट मैच उनके खाते में करीब साढ़े पांच साल बाद आया. साल 2017 में भारत के खिलाफ. अगले दो साल में वे टेस्ट के नंबर वन गेंदबाज बन गए. द्रविड़ ने कहा कि अपने समय का इंतजार करो. उसके लिए तैयार रहो. पॉजीटिव सोचो. संयोग देखिए कि अब दो साल बाद जब नागरकोटी IPL खेल रहे हैं तो कमिंस उनके टीम साथी हैं.
फील्डिंग में भी टॉप क्लास
करीब दो साल तक नागरकोटी क्रिकेट से दूर रहे. इस दौरान KKR की टीम उनके साथ डटी रही. फ्रेंजाइची क्रिकेट के दौर में जब टीम मालिक पैसों के चलते दूसरे खिलाड़ियों की ओर बढ़ जाते हैं. ऐसे समय में KKR का धैर्य और सहयोग काबिलेतारीफ है. आखिरकार नागरकोटी ने 26 सितंबर 2020 को सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ अपना IPL डेब्यू किया.चार दिन बाद ही राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ फिर खेले. दो विकेट लिए और दो कैच पकड़े. उनकी बॉलिंग की क्षमता को सब जानते हैं, लेकिन उनकी फील्डिंग पर कम ही बात होती है. बताया जाता है कि आज अगर भारत में कोई फील्डिंग में रवींद्र जडेजा को टक्कर दे सकता है तो वह नागरकोटी ही है. राजस्थान के खिलाफ नागरकोटी की फील्डिंग इस पर मुहर लगा रही थी.