28 मार्च को ऑस्कर्स अनाउंस हुए. ड्यून ने सबसे ज़्यादा 6 अवार्ड्स अपने नाम किये. पर बेस्ट फ़िल्म बनने से चूक गयी. बेस्ट फ़िल्म का oscar मिला CODA को.
ऑस्कर विनिंग 'कोडा' जैसी 6 भारतीय फ़िल्में, जहां बोल-सुन न सकने वाले किरदारों की कहानियां थीं
भारत में ऐसी कई फ़िल्में बनी हैं जिनमें उनका किरदार बोल-सुन नहीं सकता है, ये 6 बेस्ट हैं.

इसे और दो कैटेगरी में अवार्ड्स मिले. बेस्ट सपोर्टिंग रोल के लिए ट्रॉय कॉट्सर को और बेस्ट अडैप्टेड स्क्रीनप्ले के लिए फ़िल्म की डायरेक्टर-राइटर सियान हेडर को. 'कोडा' एक ऐसे परिवार की कहानी है, जिसमें उस घर का सिर्फ़ एक सदस्य सुन सकता है. बाक़ी सभी डेफ हैं. भारत में भी ऐसी कई फ़िल्में बनी हैं जिनमें उनका किरदार बोल-सुन नहीं सकता है. CODA के बहाने आज हम उन्हीं फिल्मों की बात करेंगे.
1.कोशिश (1972)

कोशिश मूवी में संजीव कपूर और जया बच्चन
भारत में बनी पहली मेनस्ट्रीम मूक-बधिर फ़िल्म. जिसे गुलज़ार ने डायरेक्ट किया. संजीव कपूर और जय बच्चन ने दो डेफ एंड म्यूट कपल को पर्दे पर जिया. इसे हिंदी सिनेमा का लैंडमार्क माना जा सकता है. दो कपल जो बोल और सुन नहीं सकते. उनके निजी व सामाजिक जीवन संघर्ष, दुःख-दर्द और ट्रेजेडी को दिखाने की यह शायद पहली कोशिश थी. यह जापानी फ़िल्म 'हैप्पीनेस ऑफ़ अस अलोन' से इंस्पायर्ड थी. इस फ़िल्म के 5 साल बाद गुलज़ार की लिखी इसी कहानी पर साउथ में भी एक फ़िल्म बनी 'उयर्नधावर्गल'. जिसे टी.एन. बालू ने डायरेक्ट किया. कमल हसन और सुजाता ने लीड रोल किये.
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2.ख़ामोशी (1996)

1996 में रिलीज़ हुई फ़िल्म ख़ामोशी
1996 में आयी संजय लीला भंसाली की डेब्यू फ़िल्म 'खामोशी'. नाना पाटेकर, सलमान खान, मनीषा कोइराला और सीमा विश्वास जैसे कलाकारों से सजी हुई म्यूजिकल रोमांटिक ड्रामा. नाना और सीमा विश्वास ने इसमें मूक-बधिर कपल का रोल बखूबी निभाया. मनीषा कोइराला ने उनकी बेटी का रोल प्ले किया. इसके लिए उन्हें बेस्ट ऐक्ट्रेस का और भंसाली को बेस्ट डायरेक्टर का फ़िल्म फेयर भी मिला. मूवी ने कुल पांच फ़िल्म फेयर अपने नाम किये. फ़िल्म में दिए गये जतिन-ललित के संगीत को भी हाथोंहाथ लिया गया.
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3. ब्लैक(2005)

ब्लैक में रानी मुखर्जी और अमिताभ बच्चन
हमारी लिस्ट में अगली फ़िल्म है 2005 में रिलीज़ हुई 'ब्लैक'. इसे भी संजय लीला भंसाली ने डायरेक्ट किया. फ़िल्म डेफ-ब्लाइंड गर्ल और उसके अल्कोहलिक टीचर के रिश्ते की कहानी है. टीचर का रोल अमिताभ बच्चन और डेफ-ब्लाइंड लड़की का किरदार रानी मुखर्जी ने निभाया. पहले रानी यह रोल करने से हिचक रही थी. बाद में भंसाली ने उन्हें कन्विंस किया. इस रोल के लिए रानी ने मुंबई के हेलेन किलर इंस्टिट्यूट से साइन लैंग्वेज की ट्रेनिंग भी ली. उनकी अदाकारी को ख़ूब सराहा गया. बेस्ट ऐक्ट्रेस क्रिटिक और बेस्ट ऐक्ट्रेस पॉपुलर, एक ही रोल के लिए दोनों फ़िल्म फेयर पाने वाली वो पहली और इकलौती अभिनेत्री हैं. फ़िल्म के लिए अमिताभ को भी बेस्ट ऐक्टर का फ़िल्म फेयर और नेशनल अवॉर्ड मिला. मूवी ने 11 फ़िल्म फेयर और 3 नेशनल अवॉर्ड्स अपने नाम किये. 2013 में इसका तुर्किश रीमेक भी बना.
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4. इक़बाल (2005)

इक़बाल में श्रेयस और नसीर
'ब्लैक' के साथ-साथ 2005 में आयी एक और फ़िल्म, 'इक़बाल'. श्रेयस तलपड़े ने इसमें एक मूक-बधिर लड़के का रोल प्ले किया. जो क्रिकेटर बनना चाहता है. भारतीय टीम के लिए क्रिकेट खेलना उसका सपना है. इसे श्रेयस के करियर का सबसे अच्छा रोल माना जाता है. तलपड़े के कोच की भूमिका निभायी नसीरुद्दीन शाह ने. फिल्म का निर्देशन नागेश कुकनूर ने किया. फिल्म ने दो नेशनल अवॉर्ड जीते. श्रेयस ने बेस्ट ऐक्टर के लिए आईफा और जी सिने अवार्ड अपने नाम किया. मूवी का दुर्भाग्य रहा कि उसी साल 'ब्लैक' रिलीज़ हुई. नहीं तो और भी कई अवार्ड्स इसकी झोली में आते.
कहां देखें: ज़ी5
5. मोड़ी (2007)

2007 में आयी फ़िल्म Mozhi
2007 में आयी तमिल फ़िल्म मोड़ी एक म्यूजिकल रोमैंटिक कॉमेडी है. फ़िल्म को राधा मोहन ने लिखा और डायरेक्ट किया. पृथ्वीराज, सुकुमारन और प्रकाश राज ने फ़िल्म में अहम किरदार निभाये. यह एक म्यूजिशियन कार्तिक की कहानी है, जो एक डेफ एंड म्यूट लड़की अर्चना से प्रेम कर बैठता है. पर वो उसे अपना दोस्त समझती है. मूवी अर्चना के कार्तिक का प्रेम स्वीकारने के इर्दगिर्द घूमती है. इसकी स्क्रीनिंग 2007 के कान फ़िल्म फेस्टिवल में भी की गयी.
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6. बर्फ़ी (2012)

बर्फी में रणबीर और प्रियंका
इस सूची की सबसे ताज़ा फ़िल्म है 2012 में आयी रणबीर कपूर और प्रियंका चोपड़ा स्टारर 'बर्फ़ी'. जिसे डायरेक्ट किया अनुराग बासु ने. फ़िल्म में इलियाना डिक्रूज ने भी अहम किरदार निभाया. मूवी में रणबीर कपूर ने हैप्पी गो लकी टाइप्स किरदार निभाया है. जो ख़ुद बोल सुन नहीं सकता. पर उसे दूसरों की प्रॉब्लम्स सॉल्व करना पसंद है. इसके लिए रणबीर को बेस्ट ऐक्टर का फ़िल्म फ़ेयर मिला. इसे भारत की तरफ़ से फॉरेन लैंग्वेज फ़िल्म कैटेगरी में ऑस्कर्स ऑफिशियल एंट्री के तौर पर भी भेजा गया.
कहां देखें:
यह थीं कुछ भारतीय फ़िल्में जिन्हें oscar विनिंग फ़िल्म CODA के बहाने हमने याद किया.