कुछ खिलाड़ी अपनी इस समस्या से पार पाकर विराट कोहली जैसे ग्रेट बन गए. जबकि मार्कस ट्रेस्कोथिक जैसे खिलाड़ियों ने इस समस्या की वजह से इंटरनेशनल क्रिकेट छोड़ दिया. वो खिलाड़ी जिन्होंने डिप्रेशन पर खुलकर बात की:
1. मार्कस ट्रेसकोथिक:
साल 2006 में इंग्लैंड की टीम को भारत आना था. इस वक्त मार्क्स इंग्लिश टीम के एक मजबूत स्तंभ बन चुके थे. लेकिन दौरे पर पहुंचते ही वो तुरंत घर लौट गए. ये थोड़ा अजीब था, बाद में उन्होंने इसके लिए एक वायरस को ज़िम्मेदार ठहराया.
इसके बाद मई के महीने में उन्होंने टेस्ट क्रिकेट के जरिए फिर से मैदान पर वापसी की, वापसी भी बेमिसाल. आते ही श्रीलंका के खिलाफ 106 रन ठोके और इंग्लिश सीज़न में शतक बनाने वाले पहले बल्लेबाज़ भी बने.

मार्कस ट्रेस्कोथिक
लेकिन सबकुछ ठीक चलते-चलते अचानक से सितंबर में उन्होंने फिर से पाकिस्तान के खिलाफ वनडे टीम से अपना नाम वापस ले लिया. साथ ही उन्होंने आने वाली चैम्पियन ट्रॉफी के लिए भी खुद के सलेक्शन के लिए मना कर दिया. इसके पीछे की वजह उन्होंने स्ट्रेस से होने वाली बीमारी को बताया.
बाद में इस बात का भी खुलासा हुआ कि ट्रेस्कोथिक क्लिनिकल डिप्रेशन का शिकार हैं. जिसकी वजह से साल 2006 में उन्हें ये सब झेलना पड़ा.
इस बीमारी से लड़ने के बाद ट्रेस्कोथिक ने एक बार फिर इंटरनेशनल क्रिकेट में वापसी की. साल 2006-07 में उन्हें फिर से ऑस्ट्रेलिया जाने वाली एशेज़ टीम के लिए चुना गया. लेकिन दौरे की शुरुआत में दो टूर मैच खेलते ही उनकी बीमारी फिर से अजागर हुई और वो एशेज़ के बीच में ही वापस लौट गए.
साल 2007 में ट्रेस्कोथिक ने काउंटी क्रिकेट में बेहतरीन खेल दिखाया. उन्होंने 22 मार्च, 2008 को इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया.
अपने संन्यास के लगभग छह महीने बाद मार्कस ट्रेस्कोथिक ने अपने करियर और जीवन पर एक ऑटोबायोग्राफी भी लिखी. जिसमें उन्होंने लिखा,
''मैं 10 साल की उम्र से ही एंग्जायटी के अटैक झेल रहा हूं, मेरा हमेशा डॉमेस्टिक क्रिकेट खेलने का कारण यही रहा कि मैं अपने परिवार से सिर्फ तीन घंटे के लिए ही अलग होता था.''ट्रेस्कोथिक ने इंग्लैंड के लिए 200 से अधिक मैचों में 10,000 से ज़्यादा रन बनाए. जब उन्होंने क्रिकेट छोड़ा तब वो बेहतरीन फॉर्म में थे. अगर वो और ज़्यादा वक्त तक इंग्लैंड टीम के सदस्य रहते तो और भी कई रिकॉर्ड्स उनके नाम हो सकते थे.
2. विराट कोहली:
वर्ल्ड क्रिकेट के सबसे बड़े स्टार. बल्लेबाज़ी का शायद ही कोई ऐसा रिकॉर्ड होगा जो उनकी पहुंच से अब बहुत ज़्यादा दूर होगा. लेकिन टीम इंडिया की कप्तानी मिलने से पहले विराट कोहली भी डिप्रेशन का शिकार थे. उस वक्त विराट कोहली को लगा था कि अब उनका करियर खत्म हो गया है. ऑस्ट्रेलियन बल्लेबाज़ ग्लेन मैक्सवेल ने जब मेंटल हेल्थ इशू की वजह से क्रिकेट से ब्रेक का ऐलान किया था, तब विराट कोहली ने अपने बारे में ये खुलासा किया था.
विराट कोहली ने साल 2019 में बताया था,
''मैं भी अपने करियर में इस तरह के फेज़ से गुज़रा हूं. उस वक्त मुझे लगने लगा था कि अब मेरे लिए दुनिया खत्म हो गई है. मुझे उस वक्त कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि किसी से क्या कहूं और क्या करूं. किस तरह से अपनी परेशानी बताऊं और समझाऊं. सच बताऊं तो मैंने किसी को भी ये नहीं बताया कि मैं दिमागी तौर पर पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हूं और मैं खेल से कुछ समय के लिए अलग होना चाहता हूं. क्योंकि आप नहीं जानते कि इसे किस तरह से लिया जाएगा.''

2014 में खराब परफॉर्मेंस की वजह से परेशान थे विराट कोहली.
विराट कोहली के साथ ये समस्या 2014 के इंग्लैंड दौरे के बाद शुरू हुई. जब वो 10 पारियों में सिर्फ 134 रन ही बना सके थे.
विराट कोहली ने मानसिक स्थिति पर कहा था,
''लोग डिप्रेशन में चले जाते हैं जो कि बहुत खतरनाक स्थिति होती है. मैं ऐसे वक्त से गुज़रा हूं. उस वक्त से मैंने यही सीखा है कि फेल होना सीखने का एक मौका होता है. आप अपने देश का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं, रन बनाना चाहते हैं. लेकिन जब ऐसा नहीं हो पाता है तो आपका आत्मविश्वास कम होता है. बहुत से लोग इस बात को नहीं समझ पाते हैं कि किसी की आलोचना उसे कितनी बुरी तरह से नुकसान पहुंचाती है. यहां तक की अगर उसे कोई रास्ता नहीं मिलता तो ये चीज़ उसकी जान भी ले सकती है.''हालांकि मौजूदा समय में विराट कोहली इस परेशानी से उबरकर भारतीय टीम के कप्तान और एक सफल क्रिकेटर हैं.
3. प्रवीन कुमार:
टीम इंडिया के स्टार और स्विंग के सिकंदर प्रवीन कुमार की ज़िंदगी में भी एक वक्त ऐसा आया था. जब वो अपनी जान लेना चाहते थे. इसके लिए वो अपने घर से बहुत दूर निकल गए थे.
इंडियन एक्सप्रेस अखबार से बातचीत में प्रवीन ने बताया था कि वो एक बार अपनी जान लेने के लिए गाड़ी में बैठकर मेरठ-हरिद्वार हाइवे पर निकल गए थे.

विराट कोहली के साथ प्रवीन कुमार.
डिप्रेशन पर अकसर चुप रहने वाले लोगों के बीच प्रवीन ने खुलकर अपनी दिमागी स्थिति शेयर की थी. उन्होंने उस इंटरव्यू में बताया था,
''मैंने खुद से कहा, ये सब क्या है? बस खत्म करते हैं. लेकिन तभी मेरी नज़र गाड़ी में रखी मेरे बच्चों की हंसती हुई फोटो पर पड़ी. मैं अपने फूल जैसे बच्चों के साथ ऐसा नहीं कर सकता था. उन्हें इस नर्क में नहीं छोड़ सकता. और फिर मैंने अपना फैसला बदला और वापस लौट आया.''प्रवीन ने साल 2018 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया. उन्होंने टीम इंडिया के लिए 68 वनडे, छह टेस्ट और दस टी20 मुकाबले खेले. इसमें उन्होंने कुल 112 विकेट अपने नाम किए.
4. जोनाथन ट्रॉट:
इंग्लैंड क्रिकेट टीम के स्टाइलिश बल्लेबाज़ जोनाथन ट्रॉट ने भी मानसिक बीमारी को लंबे वक्त तक झेला. 2013 में एशेज़ सीरीज़ में इंग्लैंड टीम का हिस्सा रहे ट्रॉट ने अचानक से अपने करियर को खत्म कर दिया. क्रिकेट से संन्यास लेते वक्त ट्रॉट ने कहा था कि वो ''लॉन्ग स्टैंडिंग स्ट्रेस रिलेटिड कंडीशन'' की वजह से ये फैसला ले रहे हैं. हालांकि उन्होंने इस पर खुलकर और कोई भी बात नहीं की.
एक बार तो जब उनसे इस बीमारी के बारे में पूछा गया कि क्या ये डिप्रेशन है. तो उन्होंने गुस्से में जवाब देते हुए कहा था,
''मैं पागल नहीं हूं.''

जोनाथन ट्रॉट
लेकिन कई साल पहले इंटरनेशनल क्रिकेट छोड़ चुके ट्रॉट अब भी इस बीमारी से जूझ रहे हैं. पिछले साल ही वर्कविकशर के लिए काउंटी क्रिकेट खेलते हुए उन्होंने अचानक से अपना नाम वापस ले लिया. उन्होंने इसका कारण 'एन्साइटी डिसऑर्डर' को बताया था.
उन्होंने अपने मुश्किल वक्त का वाक्या शेयर करते हुए कहा था कि एक बार टीम में वो किसी से भी बात करना नहीं चाहते थे. उन्होंने कहा था
''ब्रेकफास्ट के लिए आने पर. मैं सिर पर कैप पहने बाकी टीम से अलग-थलग बैठ जाता था. क्योंकि मुझे नहीं पता होता था कि फिर से मैदान पर जाने की बात पर मैं किस तरह से रिएक्ट करूंगा.''ट्रॉट ने बताया था कि उन्हें मैदान पर जाने से नफरत हो गई थी. कहा था,
''मैं जब भी सोकर उठता था तो सोचता था कि घड़ी रुक जाए. बिजली का बड़ा सा खंभा मैदान पर गिर जाए और मैच कैंसिल हो जाए. या फिर स्टेडियम टूट कर गिर जाए. मैं मैदान पर खेलने जाने से बचने के लिए हर चीज़ सोचता था.''ट्रॉट ने इंग्लैंड के लिए 52 टेस्ट और 68 वनडे मुकाबले खेले. जिसमें उन्होंने 6600 से अधिक रन बनाए. वनडे में उनका औसत 51 से भी अधिक रहा. लेकिन खराब स्वास्थ्य की वजह से उनका करियर बीच में ही रुक गया.
5. सैरा टेलर:
इंग्लैंड की विकेटकीपर बल्लेबाज़ सैरा टेलर ने 30 साल की उम्र में ही क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया. उनके संन्यास लेने के पीछे की वजह भी मानसिक स्वास्थ्य ही रहा. वह एंग्जायटी से जूझ रही थीं.
साल 2006 में इंग्लैंड के लिए महज़ 17 साल की उम्र में डेब्यू करने वाली सैरा ने कई मकाम हासिल किए. वो 2008 में वुमेन्स क्रिकेट में सबसे कम उम्र में एक हज़ार रन पूरे करने वाली खिलाड़ी बनीं. उन्होंने अपने करियर में 10 टेस्ट, 126 वनडे और 90 टी20 मैच खेले. वो साल 2009 और 2017 में इंग्लैंड की वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम की सदस्य रही. इसके अलावा उन्होंने अपने करियर में तीन बार एशेज़ सीरीज़ जीतीं. साल 2019 में संन्यास के वक्त में वो महिला क्रिकेट की सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में गिनी गईं.

सैरा टेलर (दाएं)
साल 2016 में उन्होंने क्रिकेट से ब्रेक लिया, लेकिन इसके बाद 2017 में वो इंग्लैंड की वर्ल्डकप टीम का हिस्सा बनीं. साल 2019 आते-आते, उन्हें मेंटल हेल्थ से जुड़े इशू होने लगे और उन्होंने कई सीरीज़ मिस की. इसके बाद एशेज़ के बीच में उन्होंने अपना नाम सीरीज़ से वापस ले लिया. इसके तुरंत बाद एंग्जायटी की वजह से उन्होंने क्रिकेट छोड़ दिया.
टेलर ने अपने संन्यास के वक्त कहा,
''ये एक मुश्किल फैसला है लेकिन मुझे पता है कि मेरे लिए और मेरी सेहत को देखते हुए ये एक सही कदम है.''ये थे वो चुनिंदा क्रिकेटर्स, जो मेंटल हेल्थ की समस्याओं से गुज़रे और उन्होंने उस पर खुलकर बात की.
जब इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर निक कॉम्पटन पर विराट कोहली आग बबूला हो गए थे