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'बंदिशें प्रेमपत्र पर ही लगाई जाएंगी'

आज पढ़िए बद्री नारायण की कविता 'प्रेमपत्र '

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फोटो - thelallantop

प्रेम को जो चीज़ सुंदर बनाती है, वह है उसकी विकट ईमानदारी. प्रेम में सबसे मामूली बात ही उसकी सबसे ख़ास बात होती है. एक कविता रोज़ में आज पढ़िए प्रेम में लिखी 'चिट्ठी' पर बद्री नारायण की यह कविता-

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प्रेमपत्र 

प्रेत आएगा

किताब से निकाल ले जाएगा प्रेमपत्र गिद्ध उसे पहाड़ पर नोच-नोच खाएगा

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चोर आएगा तो प्रेमपत्र ही चुराएगा जुआरी प्रेमपत्र ही दांव लगाएगा

ऋषि आएंगे तो दान में मांगेंगे प्रेमपत्र

बारिश आएगी तो प्रेमपत्र ही गलाएगी आग आएगी तो जलाएगी प्रेमपत्र

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बंदिशें प्रेमपत्र पर ही लगाई जाएंगी

सांप आएगा तो डसेगा प्रेमपत्र झींगुर आएंगे तो चाटेंगे प्रेमपत्र कीड़े प्रेमपत्र ही काटेंगे

प्रलय के दिनों में सप्तर्षि मछली और मनु सब वेद बचाएंगे कोई नहीं बचाएगा प्रेमपत्र

कोई रोम बचाएगा कोई मदीना कोई चांदी बचाएगा कोई सोना

मैं निपट अकेला कैसे बचाऊंगा तुम्हारा प्रेमपत्र


कुछ और कविताएं यहां पढ़िए:

‘पूछो, मां-बहनों पर यों बदमाश झपटते क्यों हैं’

‘ठोकर दे कह युग – चलता चल, युग के सर चढ़ तू चलता चल’

मैं तुम्हारे ध्यान में हूं!'

जिस तरह हम बोलते हैं उस तरह तू लिख'

‘दबा रहूंगा किसी रजिस्टर में, अपने स्थायी पते के अक्षरों के नीचे’


सुनिए ये कविता-

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